Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
प्रकाशित: 29 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र
-अनिल नरेन्द्र
भारत तो हमेशा से कहता आया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई एक सही एजेंसी नहीं है और यह आतंकवाद को बतौर एक हथियार इस्तेमाल करती है पर अमेरिका सहित अधिकतर पश्चिमी देश हमारी बात से सहमत नहीं थे। अमेरिका ने तो आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को अपना स्ट्रेटेजिक पार्टनर तक बना रखा है पर जब खुद पर बीतती है तो अमेरिका भी बोलने में मजबूर हो जाता है कि आईएसआई एक आतंकवादी संगठन है। द गार्डियन जैसे प्रतिष्ठित ब्रिटिश अखबार ने अमेरिकी गुप्तचर फाइलों का हवाला देते हुए कहा है कि गुआंतानामो-वे के जांचकर्ताओं को की गई सिफारिश में इंटरसर्विसेज महानिदेशालय के साथ-साथ अलकायदा, हमास और हिजबुल्ला को एक चुनौती करार दिया गया है। सितम्बर 2007 के इन दस्तावेजों में कहा गया है, इन समूहों में से किसी से भी संबंधित होने का अर्थ आतंकवादी या विद्रोही गतिविधि है। दस्तावेज में कहा गया है, `इन संगठनों के साथ संबंध रखने का अर्थ है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति ने अलकायदा या तालिबान को समर्थन दिया है या वह अमेरिका पर गठबंधन बलों के खिलाफ कार्रवाइयों में लिप्त रहा है।' हाल ही में अमेरिका की गुप्तचर सेवाओं को खबरें मिली थीं कि आईएसआई तालिबान को अफगानिस्तान में कई वर्षों से समर्थन दे रही है। इस खबर के प्रकाशित होने के कुछ समय बाद ही यह नया खुलासा हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों की ओर से तैयार खुफिया दस्तावेज में आईएसआई का जिन तीन दर्जन आतंकी संगठनों के साथ उल्लेख किया गया है उनमें अलकायदा, तालिबान के अलावा भारत को खासतौर पर आतंकित करते रहने वाले लश्कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन भी हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि यह दस्तावेज 2007 में तैयार किया गया हो लेकिन माना जा रहा है कि अमेरिका को चुनौती देने वाले संगठनों की सूची में से आईएसआई को अभी हटाया नहीं गया है। इसका सीधा अर्थ है कि जिस तरह पाकिस्तान ने आतंकवाद को लेकर दोहरे मानदंड अपना रखे हैं उसी तरह अमेरिका ने भी। पाकिस्तान यह दावा करता है कि वह भी आतंकवाद के खिलाफ है और अपने दावे को सही ठहराने के लिए खुद के आतंकवाद से त्रस्त होने का रोना रोता है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह एक बड़ी संख्या में आतंकी संगठनों का परोक्ष-प्रत्यक्ष रूप से समर्थन करता है। समय-समय पर अमेरिकी विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और यहां तक कि राष्ट्रपति बराक ओबामा यह कह चुके हैं कि आतंकवाद के खिलाफ अपेक्षित कदम उठाने से पाकिस्तान इंकार कर रहा है।
सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान दुनिया में एक मात्र देश है जो अपनी नीति और रणनीति के तहत आतंकवाद को प्रश्रय देता है। पाकिस्तान को आज इसीलिए आतंकवाद की नर्सरी कहा जाता है और आईएसआई की विभिन्न आतंकी कार्रवाइयों में संलिप्तता बार-बार उजागर भी होती रही है। मुंबई हमले में भी उसकी भूमिका से अब अमेरिका पूरी तरह वाकिफ हो चुका है। यही नहीं अमेरिका में 9/11 हमलों में भी आईएसआई की भूमिका थी। अमेरिका अन्दरखाते यह सब जानता है पर चूंकि अफगानिस्तान में उसे आईएसआई का साथ चाहिए इसलिए भी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बन जाता है। ताजा खुलासे से अमेरिका का पाक की ओर शायद ही नजरिया बदले पर भारत को यह संतोष जरूर होगा कि आज सारी दुनिया मानने लगी है कि आईएसआई एक आतंकी संगठन है।
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