![]() |
Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
प्रकाशित: 28 अप्रैल 2011
अनिल नरेन्द्र
अनिल नरेन्द्र
अंतत सुरेश कलमाडी गिरफ्तार हो ही गए। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी बहुत दिन पहले ही हो जानी चाहिए थी जब दिल्ली में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार और बदइंतजामी को लेकर पूरी दुनिया में देश की किरकिरी शुरू हो गई थी। कलमाडी के लिए राहत की बात यह रही कि सारी दिक्कतों के बावजूद न केवल खेल ठीक से सम्पन्न हो गए बल्कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने भी पदकों का रिकार्ड बनाया। इधर भ्रष्टाचार का रिकार्ड बना तो उधर स्वर्ण पदकों का। पहले कई बार की पूछताछ के बाद सोमवार की सुबह सुरेश कलमाडी जब सीबीआई मुख्यालय पहुंचे तो कुछ घंटे की पूछताछ के बाद तकरीबन साढ़े तीन बजे जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कलमाडी के अलावा उप महानिदेशक (पोक्योरमेंट) सुरजीत लाल और संयुक्त महानिदेशक (स्पोर्ट्स) एएसवी पसाद को भी गिरफ्तार किया गया। इन तीनों को स्विट्जरलैंड की कंपनी को कामनवेल्थ गेम्स के दौरान टाइमिंग, स्कोरिंग और रिजल्ट (टीएसआर) पणाली से संबंधित 141 करोड़ रुपए का ठेका देने में अनियमितता बरतने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
कलमाडी को सीबीआई ने अचानक गिरफ्तार नहीं किया है। इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। रोचक तथ्य यह है कि कलमाडी को सलाखों के पीछे करने के लिए दोनों सीबीआई और कांग्रेस पार्टी को भारी मशक्कत करनी पड़ी। सीबीआई ने महज दस्तावेजों पर यकीन नहीं किया। यदि इन दस्तावेजों के आधार पर ही सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी करनी होती तो क्वींस बेटन रिले के दौरान राष्ट्रमंडल खेलों में आपूर्तिकर्ता लंदन निवासी एक ठेकेदार आशीष पटेल के घर देर रात को चालीस हजार पाउंड लेने गए कलमाडी के निकट सहयोगी और खेल समिति के सचिव महेन्द्र और अतिरिक्त निदेशक पद पर तैनात टीएस दरबारी के खिलाफ लिखाई गई पाथमिकी पर कार्रवाई न करना ही मजबूत आधार था। यही नहीं, एएम फिल्म्स तथा एएम कार और वैन हायर लिमिटेड मामले में अनियमितता के भी कई कागजी सबूत सीबीआई के हाथ थे। लेकिन इसे पुख्ता आधार न बनाकर सीबीआई ने बाकायदा कलमाडी के खिलाफ ऑडियो और वीडियो पमाण भी जुटाए। कलमाडी पर तो दर्जनों मामले बनेंगे, अभी तो यह शुरुआत है। सीबीआई ने बहुत सबूत एकत्र करके ही हाथ डाला है।
कलमाडी के सलाखों के पीछे जाने की पटकथा पधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर लिखी गई है। कैबिनेट सचिवालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को राष्ट्रमंडल खेल के घोटालों की जांच के लिए बनी शुंगलू कमेटी की रपट पर अपनी सलाह देने के अलावा इस रपट को आवश्यक कार्रवाई के लिए सीबीआई और पवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी देने के लिए कहा गया। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट सचिवालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को 18 अपैल को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया था कि खेल में घोटाले को लेकर शुंगलू कमेटी ने जो रपट दी है उस पर मंत्रालय अपने स्तर पर जांच करे। खेल घोटाले को लेकर शुंगलू कमेटी ने जो 6 रपट दी है उसमें से रपट नम्बर पांच खेल मंत्रालय के आधीन हुए काम से संबंधित है। इसमें इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ईकेएस और स्विस कंपनी टीएसआर (टाइम, स्कोर, रिजल्ट) में कथित घोटालों को अंगित किया गया है। मंत्रालय को जब यह रिपोर्ट मिली तो अगले दिन ही जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया। सीबीआई ने भी इस मामले में कार्रवाई तेज करते हुए कलमाडी को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई हो और वह नजर भी आए इसका संकेत पधानमंत्री कार्यालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को भी कहा है कि वह सीबीआई का भी साथ दे।
2-जी घोटाले पर सीबीआई के पूरक आरोप पत्र में द्रमुक सुपीमो की बेटी कनिमोझी का जिक और राष्ट्रमंडल खेलों में घपलों के घेरे में आए कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी और पार्टी से निलबंन। दरअसल कांग्रेस कलमाडी की गिरफ्तारी से असहज होने के बजाए, इस कार्रवाई के बहाने भ्रष्टाचार के खिलाफ बने माहौल में अपनी नैतिक सियासी बढ़त देख रही है। कलमाडी की गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है जब कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के सबसे बड़े सहयोगी द्रमुक पमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोझी के खिलाफ सीबीआई ने शिकंजा कसते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है। पार्टी पवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि मामला चाहे राष्ट्रमंडल खेलों का हो, 2-जी स्पेक्ट्रम का हो या फिर आदर्श हाउसिंग सोसायटी का मामला हो, कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने बिना किसी हस्तक्षेप के हर जांच को अपने निर्णायक निष्कर्ष तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि तथाकथित भ्रष्टाचार के पति एक संवेदनशील सरकार का उत्तरदायित्व यूपीए सरकार ने बखूबी निभाया है।
सुरेश कलमाडी की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई बिना पुख्ता सबूत जुटाए उन्हें सलाखों के पीछे भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। लेकिन संकट में फंसते ही कलमाडी की राजनीतिक ताकत भी मुट्ठी में भरे बालू की तरह फिसलती गई। उनकी पार्टी ने आनन-फानन में उनसे दूरी बना ली और पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया। यह बात और है कि आरोपों के दलदल में गर्दन तक फंसे होने के बावजूद कलमाडी हमेशा आकामक मुद्रा में ही नजर आते थे और बढ़ावे में अन्य बड़े लोगों को भी कठघरे में खड़ा करने लगते थे। सुरेश कलमाडी ने जो भी घपले किए हैं वह अकेले नहीं किए। दिल्ली की एक अदालत ने कलमाडी को आठ दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। पता नहीं कलमाडी सीबीआई हिरासत में क्या-क्या राज खोलते हैं, किस-किस का नाम लेते हैं। इस मामले में अभी और गिरफ्तारियों की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अब इसे भारतीय लेकतंत्र का दुर्भाग्य कहिए या शुद्धिकरण की पकिया, तिहाड़ जेल में इन दिनों राजनीति, उद्योग जगत, नौकरशाह की ऐसी नामचीन हस्तियां आराम फरमा रही हैं जो कल तक देश को अपने ठेंगे पर रखती थी। अपनों को फायदा देने के लिए कानून को ताक पर रख दिया गया। विरोध करने वालों की खाट खड़ी कर दी गई और सीना तान कर हर किस्म की बेईमानी की। सवाल यह भी पूछा जा सकता है कि जब यह सब हो रहा था तो क्या यूपीए सरकार सो रही थी या फिर जब अन्ना हजारे आंदोलन ने इन्हें यह सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया?
कलमाडी को सीबीआई ने अचानक गिरफ्तार नहीं किया है। इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। रोचक तथ्य यह है कि कलमाडी को सलाखों के पीछे करने के लिए दोनों सीबीआई और कांग्रेस पार्टी को भारी मशक्कत करनी पड़ी। सीबीआई ने महज दस्तावेजों पर यकीन नहीं किया। यदि इन दस्तावेजों के आधार पर ही सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी करनी होती तो क्वींस बेटन रिले के दौरान राष्ट्रमंडल खेलों में आपूर्तिकर्ता लंदन निवासी एक ठेकेदार आशीष पटेल के घर देर रात को चालीस हजार पाउंड लेने गए कलमाडी के निकट सहयोगी और खेल समिति के सचिव महेन्द्र और अतिरिक्त निदेशक पद पर तैनात टीएस दरबारी के खिलाफ लिखाई गई पाथमिकी पर कार्रवाई न करना ही मजबूत आधार था। यही नहीं, एएम फिल्म्स तथा एएम कार और वैन हायर लिमिटेड मामले में अनियमितता के भी कई कागजी सबूत सीबीआई के हाथ थे। लेकिन इसे पुख्ता आधार न बनाकर सीबीआई ने बाकायदा कलमाडी के खिलाफ ऑडियो और वीडियो पमाण भी जुटाए। कलमाडी पर तो दर्जनों मामले बनेंगे, अभी तो यह शुरुआत है। सीबीआई ने बहुत सबूत एकत्र करके ही हाथ डाला है।
कलमाडी के सलाखों के पीछे जाने की पटकथा पधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर लिखी गई है। कैबिनेट सचिवालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को राष्ट्रमंडल खेल के घोटालों की जांच के लिए बनी शुंगलू कमेटी की रपट पर अपनी सलाह देने के अलावा इस रपट को आवश्यक कार्रवाई के लिए सीबीआई और पवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी देने के लिए कहा गया। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट सचिवालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को 18 अपैल को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया था कि खेल में घोटाले को लेकर शुंगलू कमेटी ने जो रपट दी है उस पर मंत्रालय अपने स्तर पर जांच करे। खेल घोटाले को लेकर शुंगलू कमेटी ने जो 6 रपट दी है उसमें से रपट नम्बर पांच खेल मंत्रालय के आधीन हुए काम से संबंधित है। इसमें इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ईकेएस और स्विस कंपनी टीएसआर (टाइम, स्कोर, रिजल्ट) में कथित घोटालों को अंगित किया गया है। मंत्रालय को जब यह रिपोर्ट मिली तो अगले दिन ही जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया। सीबीआई ने भी इस मामले में कार्रवाई तेज करते हुए कलमाडी को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई हो और वह नजर भी आए इसका संकेत पधानमंत्री कार्यालय ने युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को भी कहा है कि वह सीबीआई का भी साथ दे।
2-जी घोटाले पर सीबीआई के पूरक आरोप पत्र में द्रमुक सुपीमो की बेटी कनिमोझी का जिक और राष्ट्रमंडल खेलों में घपलों के घेरे में आए कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी की गिरफ्तारी और पार्टी से निलबंन। दरअसल कांग्रेस कलमाडी की गिरफ्तारी से असहज होने के बजाए, इस कार्रवाई के बहाने भ्रष्टाचार के खिलाफ बने माहौल में अपनी नैतिक सियासी बढ़त देख रही है। कलमाडी की गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है जब कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के सबसे बड़े सहयोगी द्रमुक पमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोझी के खिलाफ सीबीआई ने शिकंजा कसते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है। पार्टी पवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि मामला चाहे राष्ट्रमंडल खेलों का हो, 2-जी स्पेक्ट्रम का हो या फिर आदर्श हाउसिंग सोसायटी का मामला हो, कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने बिना किसी हस्तक्षेप के हर जांच को अपने निर्णायक निष्कर्ष तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि तथाकथित भ्रष्टाचार के पति एक संवेदनशील सरकार का उत्तरदायित्व यूपीए सरकार ने बखूबी निभाया है।
सुरेश कलमाडी की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई बिना पुख्ता सबूत जुटाए उन्हें सलाखों के पीछे भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। लेकिन संकट में फंसते ही कलमाडी की राजनीतिक ताकत भी मुट्ठी में भरे बालू की तरह फिसलती गई। उनकी पार्टी ने आनन-फानन में उनसे दूरी बना ली और पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया। यह बात और है कि आरोपों के दलदल में गर्दन तक फंसे होने के बावजूद कलमाडी हमेशा आकामक मुद्रा में ही नजर आते थे और बढ़ावे में अन्य बड़े लोगों को भी कठघरे में खड़ा करने लगते थे। सुरेश कलमाडी ने जो भी घपले किए हैं वह अकेले नहीं किए। दिल्ली की एक अदालत ने कलमाडी को आठ दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। पता नहीं कलमाडी सीबीआई हिरासत में क्या-क्या राज खोलते हैं, किस-किस का नाम लेते हैं। इस मामले में अभी और गिरफ्तारियों की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अब इसे भारतीय लेकतंत्र का दुर्भाग्य कहिए या शुद्धिकरण की पकिया, तिहाड़ जेल में इन दिनों राजनीति, उद्योग जगत, नौकरशाह की ऐसी नामचीन हस्तियां आराम फरमा रही हैं जो कल तक देश को अपने ठेंगे पर रखती थी। अपनों को फायदा देने के लिए कानून को ताक पर रख दिया गया। विरोध करने वालों की खाट खड़ी कर दी गई और सीना तान कर हर किस्म की बेईमानी की। सवाल यह भी पूछा जा सकता है कि जब यह सब हो रहा था तो क्या यूपीए सरकार सो रही थी या फिर जब अन्ना हजारे आंदोलन ने इन्हें यह सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया?
No comments:
Post a Comment