Tuesday 19 April 2011

जनरल कयानी का अमेरिका को अल्टीमेटम

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 19 अप्रैल 201
-अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तान और अमेरिका के आपसी रिश्तों में एक बार थोड़ा तनाव देखा जा रहा है। दरअसल पाकिस्तान अपने उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में अमेरिकी गुप्तचरों और ड्रोन हमलों से परेशान है। घटना से नाराज पाकिस्तान ने इसकी बाकायदा नाराजगी अमेरिकी राजदूत से भी की है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख अशफाक कयानी द्वारा हमले को देश के नागरिकों पर आक्रामण की संज्ञा देने के बाद अमेरिका से माफी मांगने और स्पष्टीकरण देने की मांग कर डाली है। कयानी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं  को किसी भी लिहाज से अनुचित और किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने हमलों को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि शांतिपूर्ण नागरिकों की जिगरा (परिषद) को लोगों की जान की परवाह किए बगैर गैर-जिम्मेदाराना और संवेदनशील तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
कयानी ने कहा कि इस तरह की हिंसक घटनाएं आतंकवाद को खत्म करने के लक्ष्य से हमें काफी दूर ले जाएगी। जनरल कयानी ने अपने यहां सक्रिय सीआईए एजेंटों और स्पेशल फोर्स के लोगों की भारी कटौती करने की भी मांग की है। अपने अशांत उत्तर-पश्चिम इलाके में ड्रोन हमलों को रोकने की मांग करके कयानी ने इस बात का संकेत दिया है कि दोनों देशों में खुफिया सहयोग लगभग चरमरा गया है। न्यूयार्प टाइम्स के अनुसार पाकिस्तान द्वारा सीआईए एजेंट रेमंड डेविस को गिरफ्तार करने के बाद से ही दोनों देशों के राजनयिक संबंध में खटास आ गई थी और पाक ने अब सीआईए एजेंटों में कटौती की जो मांग की है, यह उसकी का नतीजा है। आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान की यह मांग गिलानी सरकार की ओर से नहीं बल्कि सीधे सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी की ओर से की गई है। पाकिस्तानी मांग तब सामने आई जब आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की सीआईए डायरेक्टर लियोने पेटा और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन एडमिरल माइक मुलेन से चार घंटे तक बातचीत हुई। सीआईए प्रवक्ता ने भले ही इसके बाद बयान दिया हो कि दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग मजबूती से चल रहा है। लेकिन इस मुलाकातके बाद पाशा ने अचानक अपने दौरे में कटौती कर दी और पाकिस्तान लौट गए। अमेरिकी और पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसका कोई कारण नहीं बताया।
पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले से न्यूयार्प टाइम्स ने खबर दी है कि कयानी ने अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन फौजियों की संख्या में 25-40 फीसदी कटौती की मांग की है। पाक अधिकारियों के अनुसार 335 अमेरिकी एजेंटों और विशेष फौजियों को वापस बुलाने को कहा गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि यदि इतनी कटौती की गई तो पाकिस्तान में कितने अमेरिकी एजेंट और फौजी रह जाएंगे, क्योंकि इसका कभी खुलासा किया ही नहीं गया कि पाकिस्तान में कितने अमेरिकी एजेंट और स्पेशल फोर्स तैनात है? बहरहाल, अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यदि यह कटौती की गई तो तालिबान और अलकायदा के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी।

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