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Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
प्रकाशित: 17 अप्रैल 2011 -अनिल नरेन्द्र पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने पर विपक्ष की तमाम आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए मनमोहन सरकार ने अपने संबंधों को सुधारने की न केवल अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान में मैच खेलने पर लगी पाबंदी हटा ली है। यह समझा जा रहा है कि पाकिस्तान में सुरक्षा हाल ठीक रहे तो इस वर्ष के अन्त में भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान में एक दिवसीय मैच खेलने जा सकती है। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पड़ोसी देश में सुरक्षा माहौल का जायजा लेने के बाद सरकार ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को अपनी सुविधा के अनुसार पाकिस्तान में मैच की सिद्धांतत अनुमति दे दी है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के कैलेंडर के मुताबिक अगले वर्ष फरवरी तक भारतीय टीम का दौरा कार्यक्रम पहले से ही तय है। इसमें फिलहाल पाकिस्तान शामिल नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गिलानी के बीच बनी सहमति के हिसाब से पहले भारतीय टीम पाकिस्तान का दौरा करेगी और उसके बाद पाकिस्तानी टीम भारत का। बाद में दोनों टीमों के बीच एक फाइनल मैच शारजाह में भी आयोजित किया जा सकता है। सरकार ने इस मामले में विपक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। हम भारत सरकार के फैसले से सहमत नहीं हैं और इसका विरोध करते हैं। जो देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री, राज्यपाल, सांसद, खुफिया मुख्यालय को नहीं बचा सकता वह भला भारतीय टीम की सुरक्षा क्या करेगा? शायद भारत सरकार लाहौर का वह आतंकी हमला भूल गई जब श्रीलंकाई क्रिकेट खिलाड़ियों पर लश्कर के सूरमाओं ने गोलियां चलाई थीं? हमारा अनुभव तो यह है कि जब-जब भारत ने अपनी तरफ से शांति की पहल की है भारत को पाक प्रायोजित आतंकी हमले का जवाब मिला है। ऐसे में जब आतंकी राणा के कबूलनामे के बाद भारत को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए था तब भारत क्रिकेट की सीरीज शुरू करने की कवायद में जुटा है। विदेश मंत्री कहते हैं कि शांतिवार्ता, खेल और आतंकवादियों को सजा दिलाने के काम साथ-साथ जारी रहेंगे। सरकार को चाहिए था कि वह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की करतूतों की कलई खोलती और उस पर आतंकी शिविरों को बन्द करने का दबाव बनाती, लेकिन इसकी बजाय वह उससे क्रिकेट के रिश्ते बहाल करने में लगी हुई है। टीम इंडिया पाकिस्तान की टीम के साथ खेले किन्तु पाकिस्तान की जमीन पर नहीं बल्कि किसी दूसरे देश के स्टेडियम में। पाकिस्तान की टीम के साथ खेलने में कोई एतराज नहीं है, एतराज सिर्प पाकिस्तान के तालिबानी आतंकियों से टीम इंडिया की सुरक्षा को मिल रही चुनौतियों से है। भारत सरकार के पाकिस्तान की भूमि पर मैच खेलने के फैसले से टीम इंडिया के खिलाड़ी भी सहमत नहीं हैं। एक खिलाड़ी ने कहा कि पाकिस्तान के हालात बेकाबू हैं, वहां जितनी भी सिक्योरिटी क्यों न हो, कोई सुरक्षित नहीं। जब वह बेनजीर भुट्टो व श्रीलंका टीम को नहीं बचा सके तो इस बात की क्या गारंटी है कि हम नहीं मारे जाएं? एक अन्य का कहना था कि अगर क्रिकेट में इतनी राजनीति होगी तो वह क्रिकेट कहां रहेगा? फिर टीम इंडिया ने खुलकर भी पाकिस्तान को क्या कुछ नहीं कहा? सचिन ने कहा था कि मुंबई में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। क्रिकेट ने इससे कुछ नहीं सीखा। मुझे आशा है कि मेरा यह शतक लोगों में खुशी बढ़ाएगा। मैं एनएसजी कमांडो, ताज होटल के कर्मियों, पुलिस, जनता को प्रणाम करता हूं। सचिन ने यह बात दिसम्बर 2008 में कही थी। विश्व कप के फाइनल के पहले पाकिस्तान को हराने के बाद गौतम गम्भीर ने कहा : हम जागरूक हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। अगर हम फाइनल जीत जाते हैं तो मैं इस जीत को मुंबई हमले में मारे गए लोगों को समर्पित करूंगा। मेरे विचार में पाक से जीत और फाइनल में जीत भी उन्हें समर्पित की जानी चाहिए। |
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