Saturday 30 April 2011

बेशक मसौदा रिपोर्ट खारिज कर दी गई पर डॉ. जोशी अपने मकसद में सफल

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 30 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र

यह तो होना ही था। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच कर रही लोक लेखा समिति (पीएसी) की मसौदा रिपोर्ट खारिज कर दी गई। बृहस्पतिवार को पीएसी की बैठक में मसौदा रिपोर्ट पर भारी हंगामा हुआ जिस पर इसके अध्यक्ष भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बैठक स्थगित कर दी और विपक्षी दलों के अन्य सदस्यों के साथ बैठक से चले गए। इसके बाद मसौदा रिपोर्ट को संप्रग सदस्यों ने सपा और बसपा के सदस्यों के सहयोग से रद्द कर दिया। डॉ. जोशी द्वारा तैयार मसौदा रिपोर्ट पर विचार के लिए बुलाई गई समिति की बैठक फलस्वरूप अफरातफरी में समाप्त हो गई। जोशी जी मतदान से पहले ही बैठक से उठकर चले गए। उन्होंने कहा कि चूंकि उन्होंने बैठक स्थगित कर दी है इसलिए कोई कार्यवाही नहीं हो सकती पर संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने इस विषय पर उनसे मतभेद जताते हुए कहा कि हमारे विचार से रिपोर्ट खारिज हो गई है, यह मामला समाप्त हो गया है। अब सभी की निगाहें जेपीसी पर है। इस पीएसी का कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
लोक लेखा समिति (पीएसी) संसद की महत्वपूर्ण समिति है। इसकी रिपोर्ट और टीका-टिप्पणी खासा महत्व रखती रही है। समिति के अध्यक्ष डॉ. जोशी इसी फेर में रहे हैं कि 30 अप्रैल से पहले ही जांच रिपोर्ट आ जाए जबकि कांग्रेस और डीएमके सदस्यों ने ठान रखी थी कि कोई न कोई अड़ंगेबाजी करके रिपोर्ट न आने दें। डॉ. जोशी भी कम उस्ताद नहीं हैं। उन्होंने तमाम विरोध, आपत्तियों व अड़ंगेबाजियों के कुछ हद तक अपने लक्ष्य में सफलता पा ही ली। 270 पन्नों की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन की भी जमकर खबर ली गई है। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में उनके कार्यालय की भूमिका को शक के घेरे में खड़ा किया गया है। कहा गया है कि प्रधानमंत्री इस घोटाले को होते हुए देखते रहे। ऐसे में वह कम जिम्मेदार नहीं हैं। ड्राफ्ट रिपोर्ट में कई जगह प्रधानमंत्री की भूमिका पर कड़ी टिप्पणियां भी की गई हैं। इसी को लेकर कांग्रेस के नेता बौखला गए। रिपोर्ट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि उन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाया बल्कि इसे `बन्द फाइल' मान लेने की बात कही। ताकि पीएमओ भी किसी कार्रवाई के बारे में पुनर्विचार न करे। इस तरह से चिदम्बरम को भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। सुझाव तो यह भी दिया गया है कि चिदम्बरम की भूमिका की भी व्यापक जांच होनी चाहिए। इस विवादित ड्राफ्ट रिपोर्ट को लेकर सत्तारूढ़ धड़ा बेचैन हो गया है। पूरी ताकत लगाई जा रही है कि डॉ. जोशी का शो कामयाब न हो। लेकिन डॉ. जोशी के दांव ने काफी हद तक अपना मकसद पूरा कर लिया है। बेशक जोर-जबरदस्ती करके सत्तापक्ष सांसदों ने पीएसी की रिपोर्ट को रद्द कर दिया हो पर डॉ. जोशी ने प्रधानमंत्री, उनके पीएमओ और चिदम्बरम की तरफ शक की सुई घुमाकर अपनी उस्तादी का कमाल तो दिखा ही दिया है। अब कांग्रेस के लोग सालों-साल सफाई देते रहेंगे। यह समिति सांसदों की है इसलिए इसे इतनी आसानी से रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका जा सकता। भाजपा और विपक्ष सांसद इसे उठाने का भरपूर प्रयास जरूर करेंगे।

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