अनिल नरेन्द्र
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से कई केन्द्राrय मंत्री बुरी तरह परेशान हैं। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक का पारूप तैयार करने वाले मंत्री समूह (जीओएम) से इस्तीफा देना पड़ा। इससे खार खाए उनकी पार्टी के लोगों के लिए हजारे आंख की किरकिरी बन गए हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र विधानसभा में अन्ना पर कीचड़ उछालते समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सभी सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उसका स्वगात किया। अन्ना के गृह राज्य महाराष्ट्र में उनके भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों का सर्वाधिक खामियाजा अब तक शरद पवार की पार्टी को ही भुगतना पड़ा है। करीब पांच साल पहले अन्ना के आंदोलन के कारण ही राकांपा के तीन कैबिनेट मंत्रियों सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक और डा. विजय कुमार गावित को मंत्री पद गंवाना पड़ा था। अन्ना के दबाव के कारण ही पिछले वर्ष निबांलकर हत्याकांड में लिप्त होने के कारण पवार के रिश्तेदार पूर्व गृहमंत्री पद्म सिंह पाटिल को जेल की हवा खानी पड़ी थी। राकांपा सांसद पाटिल को संसद से भी इस्तीफा देना पड़ा था। अन्ना से बार-बार मिल रही चोट से आहत राकांपा विधायकों को तब काफी खुशी महसूस होती दिखी, जब विधानसभा में जलगांव से चुनकर आए सुरेश दादा जैन ने औचित्य के मुद्दे पर बोतले हुए अन्ना पर कीचड़ उछाला। विधानसभा में अन्ना के विरुद्ध जैन के बोलते समय शिवसेना के सभी विधायक जहां चुप बैठे रहे वहीं राकांपा के सभी विधायक उनके एक-एक वाक्य पर खुशी से मेज थपथपा कर उनका उत्साह बढ़ा रहे थे।
जन लोकपाल बिल तैयार करने के लिए बनाई गई संयुक्त समिति के सभी सदस्यों को अपनी सम्पत्ति की घोषणा करनी होगी। सभी सदस्यों की अपनी सम्पत्ति का विस्तृत ब्यौरा पब्लिक डोमेन पर रहेगा। समिति की सभी कार्रवाई बैठक की वीडियोग्राफी होगी, जिसकी सीडी बनाकर सार्वजनिक कर दिया जाएगा। जनता को उनमें कोई कमी दिखेगी तो वह उसे बताएगी, जिसे ठीक किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार अन्ना के इस प्लान से बिल तैयार करने के लिए बनी समिति से दो कबिना मंत्री हलकान हैं। वजह यह है कि ये मंत्री और उनके सगे बेटे, बेटी, बहू, पत्नी, बड़ी-बड़ी विवादास्पद कंपनियों में मोटी रकम पर सलाहकार, निदेशक, वकील का काम करने के लिए चर्चित हैं। इनकी सम्पत्ति का विस्तृत ब्यौरा इनके हस्ताक्षर से सार्वजनिक हो जाने के बाद इनके अन्य किसी नामी-बेनामी संपत्ति का खुलासा होने पर घेरना आसान हो जाएगा। असली मुसीबत बैठक की वीडियोग्राफी वाली होगी। बैठक में क्या हुआ जब यह सार्वजनिक होगा तो उस मंत्री की पोल खुल जाएगी जो लोकपाल बिल को भ्रष्टचारियों के बचाव वाला यानि साफ्ट बनाने की पैरवी करेगा।
गांधीवादी, समजासेवी अन्ना हजारे के अनशन ने संपग सरकार की चूलें हिला दी हैं। संपग को अब सत्ता खोने का भय सताने लगा है। उत्तर पदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सीटें नहीं बचा पाएगी। खुफिया व पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट यह भी रही कि अन्ना के आंदोलन पर कांग्रेस पवक्ताओं और कुछ मंत्रियों ने जिस तरह की सत्तामद वाली बेशर्म कुतर्की पणाली की उससे आम जनता सख्त नाराज है। चिंता जताई जा रही है कि यदि यही हाल रहा तो सरकार को अपना कार्यकाल भी पूरा करने में मुश्किल आ सकती है। फिर यह भी तर्प दिया गया कि अगर अन्ना दम तोड़ देते हैं तो अनर्थ हो जाएगा। इसी से भयभीत होकर संपग सरकार ने अन्ना के सामने घुटने टेक दिए।
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