Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
प्रकाशित: 23 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र
-अनिल नरेन्द्र
एशिया की सबसे बड़ी जेल का दर्जा प्राप्त तिहाड़ में वीआईपी कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अभियुक्त पांच और कारपोरेट दिग्गज बुधवार को तिहाड़ पहुंच गए। वहीं जिस तरह से वीआईपी कैदी तिहाड़ पहुंच रहे हैं उससे जेल प्रशासन की मुसीबत लगातार बढ़ रही है। इनके नाज-नखरे उठाने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े कई वीआईपी पहले से ही तिहाड़ में बन्द हैं, बुधवार को इसी मामले से जुड़े विनोद गोयनका, संजय चन्द्रा, गौतम दोसी, सुरेन्द्र पिपारा और हरि नायर को तिहाड़ के सुरक्षित घेरे में रखा गया। जेल सूत्रों के मुताबिक इन कैदियों को तिहाड़ जेल संख्या तीन में रखा गया है। इससे पहले दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया, ए. राजा के निजी सचिव आरके चांदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर उस्मान बलवा पहले से ही जेल नम्बर तीन में बन्द हैं। पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के अलावा सुशील शर्मा और मनु शर्मा भी यहां बन्द हैं। तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने बताया कि केवल पूर्व संचार मंत्री ए. राजा जेल नम्बर वन में बन्द हैं।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि उद्योग जगत से जुड़े इतने बड़े, प्रभावशाली व्यक्तियों को जेल की हवा खानी पड़ी हो। यह उद्योगपति जो सरकार उनकी जेब में होने का दावा करते हैं, ने शायद यह कभी कल्पना भी नहीं की हो कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि जब इनको अपनी जवाबदेही देनी पड़ी और परिणामस्वरूप जेल की हवा खानी पड़े। बुधवार को पटियाला हाउस की विशेष अदालत के न्यायाधीश ओपी सैनी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों व दूरसंचार कम्पनियों के पांच अति वरिष्ठ अफसरों की जमानत याचिका खारिज कर दी। यूनिटेक वायरलेस के एमडी संजय चन्द्रा, स्वान टेलीकॉम के निदेशक विनोद गोयनका, रिलायंस टेलीकॉम के एमडी गौतम दोसी और दो उपाध्यक्ष हरि नायर एवं सुरेन्द्र पिपारा को कोर्ट ने 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। न्यायाधीश सैनी ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन जैसे बड़े मामले में फंसे आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और यहां तक कि अभियोग से बचने के लिए वे फरार भी हो सकते हैं। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। वहीं पांचों कारपोरेट अधिकारियों ने जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। जब मामले की सुनवाई हो रही थी तो ए. राजा, सिद्धार्थ बेहुरिया, आरके चांदोलिया व शाहिद बलवा भी सुनवाई के दौरान मौजूद थे। इन चारों को भी अभी तक जमानत नहीं मिली है।
उद्योग जगत में हड़कम्प मचा हुआ है। वह सवाल कर रहे हैं कि अगले दौर की गिरफ्तारी में किस कम्पनी पर गाज गिरेगी? पहले दौर में दूरसंचार मंत्री ए. राजा, उनके निजी सचिव रहे आरके चांदोलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया गिरफ्तार हुए। दूसरे दौर में सरकारी अधिकारियों के इधर निजी कम्पनियों पर गाज गिरी है। लेकिन गड़बड़ी सिर्फ रिलायंस, स्वान टेलीकॉम, एतीसलात और यूनिटेक ने ही नहीं की है, ऐसा नहीं है। कई अन्य कम्पनियों के नाम भी सामने आ रहे हैं। टाटा-बीएसएनएल डील को लेकर भी नकारात्मक चर्चा है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि अगले दौर में किस-किस पर शिकंजा कसा जाता है और कौन-कौन तिहाड़ की शोभा बढ़ाते हैं।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि उद्योग जगत से जुड़े इतने बड़े, प्रभावशाली व्यक्तियों को जेल की हवा खानी पड़ी हो। यह उद्योगपति जो सरकार उनकी जेब में होने का दावा करते हैं, ने शायद यह कभी कल्पना भी नहीं की हो कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि जब इनको अपनी जवाबदेही देनी पड़ी और परिणामस्वरूप जेल की हवा खानी पड़े। बुधवार को पटियाला हाउस की विशेष अदालत के न्यायाधीश ओपी सैनी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों व दूरसंचार कम्पनियों के पांच अति वरिष्ठ अफसरों की जमानत याचिका खारिज कर दी। यूनिटेक वायरलेस के एमडी संजय चन्द्रा, स्वान टेलीकॉम के निदेशक विनोद गोयनका, रिलायंस टेलीकॉम के एमडी गौतम दोसी और दो उपाध्यक्ष हरि नायर एवं सुरेन्द्र पिपारा को कोर्ट ने 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। न्यायाधीश सैनी ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन जैसे बड़े मामले में फंसे आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और यहां तक कि अभियोग से बचने के लिए वे फरार भी हो सकते हैं। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। वहीं पांचों कारपोरेट अधिकारियों ने जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। जब मामले की सुनवाई हो रही थी तो ए. राजा, सिद्धार्थ बेहुरिया, आरके चांदोलिया व शाहिद बलवा भी सुनवाई के दौरान मौजूद थे। इन चारों को भी अभी तक जमानत नहीं मिली है।
उद्योग जगत में हड़कम्प मचा हुआ है। वह सवाल कर रहे हैं कि अगले दौर की गिरफ्तारी में किस कम्पनी पर गाज गिरेगी? पहले दौर में दूरसंचार मंत्री ए. राजा, उनके निजी सचिव रहे आरके चांदोलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया गिरफ्तार हुए। दूसरे दौर में सरकारी अधिकारियों के इधर निजी कम्पनियों पर गाज गिरी है। लेकिन गड़बड़ी सिर्फ रिलायंस, स्वान टेलीकॉम, एतीसलात और यूनिटेक ने ही नहीं की है, ऐसा नहीं है। कई अन्य कम्पनियों के नाम भी सामने आ रहे हैं। टाटा-बीएसएनएल डील को लेकर भी नकारात्मक चर्चा है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि अगले दौर में किस-किस पर शिकंजा कसा जाता है और कौन-कौन तिहाड़ की शोभा बढ़ाते हैं।
No comments:
Post a Comment