Wednesday, 7 September 2011

बेचारे अमर सिंह गए तो बेल के लिए थे पर हो गई जेल

Editorial Publish on 8 Sep 2011
-अनिल नरेन्द्र
वर्ष 2008 के सनसनीखेज वोट के बदले नोट मामले में मंगलवार को एक नाटकीय
मोड़ आ गया जब राज्यसभा सांसद और बहुपतिष्ठित अमर सिंह को गिरफ्तार कर
लिया गया। मंगलवार को विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में
सुनवाई थी। सुबह अमर सिंह ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पेशी से
छूट की गुहार की थी। इस पर अदालत ने उनके वकील को सम्बंधित कागजात पेश
करने को कहा। लेकिन दोपहर बाद आश्चर्यजनक तरीके से अमर सिंह खुद अदालत
में हाजिर हो गए और अपनी बीमारी का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें नियमित
रूप से स्वास्थ्य जांच की जरूरत है, लिहाजा उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए।
लेकिन जज संगीता ढींगरा सहगल ने इन दलीलों को खारिज करते हुए 55 वर्षीय
अमर सिंह को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। गत 25
अगस्त को अदालत ने अमर सिंह के अलावा पूर्व भाजपा सांसद फग्गन सिंह
कुलस्ते, महाबीर भगोरा व सुधीन्द्र कुलकर्णी को समन जारी किया था। फिलहाल
अमेरिका में होने के कारण कुलकर्णी अदालत में पेश नहीं हुए। अदालत ने
फग्गन सिंह कुलस्ते व महाबीर सिंह को जमानत देने से इंकार कर दिया और
उन्हें भी जेल भेज दिया। सुबह जब अमर सिंह के वकील ने मेडिकल ग्राउंड पर
पेशी से छूट मांगी तो अदालत ने कहा कि 12.30 बजे तक पूरी मेडिकल रिपोर्ट
पेश करें। इसके बाद अमर सिंह खुद मेडिकल के साथ पेश हुए। पेश है कोर्ट के
सवाल और अमर के जवाब। सवाल यह तो करीब साल भर पुरानी रिपोर्ट है। सितम्बर
2010 के बाद की मेडिकल रिपोर्ट कहां है? जवाब समय कम था, जल्दबाजी में
पूरी मेडिकल रिपोर्ट नहीं ला सका। कहें तो मंगवा देता हूं। सवाल सुबह खुद
पेश क्यों नहीं हुए? जवाब मैं गम्भीर रूप से बीमार हूं। मेरी किडनी खराब
हो गई है। मैं दूसरे की किडनी पर जिंदा हूं। अदालत का सम्मान करता हूं
इसलिए बीमार होने के बावजूद पेश होने आया हूं ताकि यह संदेश न जाए कि मैं
अदालत से बहाना कर रहा हूं। किडनी के अलावा भी मुझे कई बीमारियां हैं।
डाक्टरों ने संतुलित जीवन जीने के लिए कहा है।
श्री अमर सिंह को बलि का बकरा बनाया गया है। पैसे किसने अमर सिंह को दिए,
किस लिए दिए, पूरे मामले में फायदा किसको हुआ जब तक इन पश्नों का
तसल्लीबक्श जवाब नहीं मिलता हमारी नजर में यह मामला अधूरा है। फिर पश्न
यह भी उठता है कि जिसने मामले का पर्दाफाश किया पुलिस ने उन्हें ही फंसा
दिया। उनका क्या दोष था? बस यही कि उन्होंने पूरे षड़यंत्र का पर्दाफाश
किया था? इस गिरफ्तारी का जबर्दस्त फॉलआउट हो सकता है। अगर अमर सिंह ने
सारा भंडाफोड़ कर दिया तो कई कांग्रेसी दिग्गज फंस सकते हैं और यही चिंता
कांग्रेस को अब जरूर सताएगी। यही वजह है कि कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल
करना शुरू कर दिया है। इससे पहले कि अमर सिंह अपना मुंह खोलें कांग्रेस
रणनीतिकारों ने मोर्चा संभाल लिया। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल
का कहना है कि उस समय कांग्रेस को वोट खरीदने की जरूरत नहीं थी। वामदलों
द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद यूपीए-1 के पास पर्याप्त बहुमत था।
बंसल की दलील इसलिए भी जरूरी दिख रही है क्योंकि अदालत में सबसे पहला
सवाल यही उठेगा कि आखिर पूरे पकरण पर लाभ किसे मिला? कांग्रेस पवक्ता तथा
जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि हर केस में जरूरी नहीं
होता कि लाभ पाने वाला ही दोषी हो। क्योंकि कई बार फंसाने के इरादे से ही
अपराध किए जाते हैं यानि इससे पहले लोग यह कहें कि लाभ पाने वालों
(कांग्रेस) में से किसी को भी गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया जबकि रिश्वत
देने वाला और लेने वाला दोनों जेल भेज दिए गए हैं, जिनके लिए लेन-देन हुआ
वह अभी भी इज्जत के साथ सरकार चला रहे हैं। विरोधी दलों ने खासकर वामदलों
ने पधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से संसद में स्थिति साफ करने को कहा है।
कांग्रेस रणनीतिकार अच्छी तरह से जानते हैं कि पधानमंत्री चाहे जो
बोलें,सरकार कटघरे में जरूर खड़ी होगी। यदि वह कहेंगे कि उन्हें मामले की
जानकारी थी तो भी फंसे और यदि कहते हैं कि हमें कोई जानकारी नहीं थी तो
उनके नेतृत्व पर उंगलियां उठेंगी। इसलिए पवन कुमार बंसल ने अभी से कहना
शुरू कर दिया है कि इस विषय पर पधानमंत्री कुछ नहीं बोलेंगे। वामदलों की
मांग ठुकराते हुए उन्होंने कहा कि हर मामले में पीएम का बयान आवश्यक नहीं
होता। कुल मिलाकर बेचारे अमर सिंह गए तो बेल मांगने थे पर हो गई जेल।
बहुतों का कहना है कि यह अमर सिंह से अन्याय हुआ है। उनकी वाकई तबीयत
खराब है और पता नहीं कि वह तिहाड़ जेल की यात्रा सह भी सकेंगे?

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