अमेरिका की प्रमुख खोजी पत्रिका `न्यू यार्पर' ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी के इशारे पर ही वहां के खोजी पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या की गई थी। पत्रिका के नवीन अंक में शहजाद की मौत के बारे में प्रकाशित आलेख में कहा गया है कि जनरल कयानी के स्टाफ के एक बड़े अधिकारी ने अपने आका के इशारे पर इस खोजी पत्रकार की हत्या का आदेश दिया। पत्रिका ने अमेरिका के खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा कि पाक सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई शहजाद की रिपोर्टों से खफा थी। पत्रिका के अनुसार सेना और आईएसआई का गुस्सा उस समय सातवें आसमान पर चढ़ गया जब शहजाद ने `एशिया टाइम्स' में अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया कि कराची के मेहरान नौसैनिक अड्डे पर गत 22 मई को आतंकवादी हमला नौसेना और अलकायदा के बीच साठगांठ के कारण हुआ। इस हमले में सेना के अत्याधुनिक टोही विमान नष्ट कर दिए गए थे। `न्यू यार्पर' के अनुसार सुरक्षा बलों ने शहजाद का 29 मई को अपहरण किया। शुरुआत में अपहरणकर्ताओं को इस पत्रकार को सबक सिखाने का निर्देश दिया। लेकिन बाद में किसी समय ऊपर से आदेश आया कि शहजाद को मौत के घाट उतार दिया जाए। शहजाद का शव पंजाब सूबे में एक नहर के किनारे पड़ा मिला जिस पर गम्भीर यातनाओं के निशान थे। पत्रिका में यह भी कयास लगाया है कि पाक सेना को यह संदेह था कि शहजाद खोजी पत्रिकारिता के सिलसिले में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई सिक्स और भारत की खुफिया एजेंसी रॉ से भी सम्पर्प में था।
पोलिटजर विजेता पत्रकार डेक्सटर फिलविन्स ने अपने लेख में कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए लिखा है कि इलियास कश्मीरी की हत्या शहजाद की हत्या के बाद हुई थी। इसमें आशंका जताई गई है कि आईएसआई ने शहजाद का टार्चर किया और इलियास का अता-पता बतलाने पर मजबूर किया। शहजाद से मिली जानकारी उसने अमेरिका को दे दी। इस्लामाबाद के इंस्पैक्टर जनरल पुलिस ने रहस्योद्घाटन किया कि शहजाद के फोन से पता चला कि उसने एक महीने के वक्फे में इलियास कश्मीरी से 258 बार बात की थी। लेख में बताया गया है कि शहजाद आईएसआई के राडार पर महीनों से था। आईएसआई ने उस पर इस बात का दबाव भी बनाया था कि वह उनका सम्पर्प तालिबान नेताओं से स्थगित करवाए। शहजाद ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया था। लेख में आगे बताया गया कि पिछले साल शहजाद नई दिल्ली में एक कांफ्रेंस अटैंड करने आया था उस समय भारतीय खुफिया एजेंसी ने उसे रॉ में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था पर शहजाद इसके लिए तैयार नहीं हुआ था। इस किस्से से पता चलता है कि आज की तारीख में पाकिस्तानी पत्रकार कितने खौफनाक माहौल में अपना काम कर रहे हैं।
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