Tuesday 13 September 2011

अन्ना के जन लोकपाल का विरोध किसके इशारे पर?

 
Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 13th September 2011
अनिल नरेन्द्र
रामलीला मैदान में सफल आंदोलन करने के बाद भ्रष्टाचार पर लड़ाई की आगे की रणनीति तय करने के लिए अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि में टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक हुई। दो दिन चलने वाले इस बैठक में अन्ना के अलावा अरविन्द केजरीवाल, प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, किरण बेदी और मेधा पाटकर समेत कोर ग्रुप के शीर्ष सदस्यों ने भाग लिया। बैठक समाप्त होने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, `आंदोलन की तरफ से अन्ना हजारे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे और उनमें सांसदों के प्रदर्शन का वार्षिक लेखाजोखा कराने, खारिज करने का अधिकार, वापस बुलाने का अधिकार और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपने विचार जाहिर करेंगे।' इसके साथ ही हजारे ने लोगों से उन सभी पार्टियों पर नजर रखने को कहा है जो जन लोकपाल विधेयक का विरोध कर रही हैं। उन्होंने इस विधेयक का विरोध कर रहे सांसदों के घेराव का आह्वान भी किया। अन्ना ने बैठक में जाने से पहले मीडिया से कहा कि हमें इस विधेयक के खिलाफ जाने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों और लोगों पर ध्यान देना चाहिए। जन लोकपाल विधेयक का विरोध कर रहे सांसदों और उनकी टीम के सदस्यों को निशाना बनाने वाले लोगों को लेकर दुःख जताते हुए उन्होंने कहा कि इस विधेयक का विरोध कर रहे सभी सांसदों के घरों को हमें घेरना चाहिए। अन्ना ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब तक यह विधेयक संसद में पारित नहीं हो जाता तब तक हम यह आंदोलन खत्म नहीं करने दें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार विधेयक को पारित करने में विलम्ब करने का प्रयास करेगी तो जन्तर-मन्तर पर एक और आंदोलन छेड़ा जाएगा।
इस दौरान केंद्र सरकार ने अन्ना के खिलाफ कई मोर्चे खोल दिए हैं। एक तरफ सरकार टीम अन्ना के सदस्यों को आयकर विभाग के नोटिस थमा रही है तो दूसरी तरफ रामलीला मैदान में बयानबाजी को आधार बनाकर टीम अन्ना को कई सांसदों द्वारा विशेषाधिकार हनन की नोटिस दी गई है। कल तक अन्ना का समर्थन कर रहे कांग्रेस सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने एक नया शोशा छोड़ दिया है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को लिखे अपने पत्र में ऐरन ने कहा कि टीम अन्ना की चुनौती का उचित जवाब जनता में जाकर देंगे। क्योंकि उनके इरादे ठीक नहीं हैं। टीम अन्ना बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं किसी दल के लिए राजनीतिक हित साधने का काम कर रही है जबकि ये लोग जनता के बीच जाने की बात कर रहे हैं।
ऐरन ने पत्र में लिखा है कि टीम अन्ना के सदस्य किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण का इरादा और एजेंडा नेक न होकर ओछी राजनीति से प्रेरित है। ये लोग कांग्रेस और सरकार को बदनाम करने में जुटे हैं।
उन्होंने कहा कि जनता की आवाज उठाने के नाम पर ये लोग अपने या किसी और राजनीतिक, औद्योगिक या मल्टी नेशनल कम्पनी के नाजायज हित साधने के अभियान पर हैं। ये लोग समाज और प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता की मनस्थिति का अनुचित और अनैतिक लाभ उठा रहे हैं।
उधर दलित संगठनों ने भी अन्ना के जन लोकपाल बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दलित संगठन इसे निरंकुश, संविधान-संसद विरोधी बताकर राज्यस्तरीय अभियान छेड़ने की तैयारी में हैं। इस अभियान के पीछे लेखक मुद्राराक्षस और दलित टुडे के सम्पादक एसके पंजय हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के सिघौली तहसील मुख्यालय पर बामसेफ, डॉ. अम्बेडकर विचार मंच, इंसाफ, दलित एक्शन फोरम, अर्जक संघ, शोषित समाज दल, यादव महासभा, आदि संगठनों ने एक सम्मेलन कर जन लोकपाल के खिलाफ हुंकार भरी। मुद्राराक्षस ने इस सन्दर्भ में बातचीत करते हुए कहा कि जन लोकपाल भारतीय स्वर्ण मध्य वर्ग का एजेंडा है जो अति आधुनिक रूप में भी संघ की सांप्रदायिकता को अपने में समेटे है।
दलित एशिया के सम्पादक एमके पंजय ने बताया कि जन लोकपाल स्वर्ण हिन्दू पुनरुत्थान का नया पैंतरा है। जन लोकपाल भारतीय संविधान, संसद पर सवर्ण प्रभुत्व वाद का हमला है। उन्होंने कहा कि लोकपाल चाहे सरकारी हो या सिविल सोसाइटी का, दोनों ने मंदिरों, ट्रस्टों में व्याप्त भ्रष्टाचार को अपने दायरे में लाने का प्रयास क्यों नहीं किया? कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह तो पहले से ही टीम अन्ना को निशाना बना रहे हैं। केजरीवाल को आयकर विभाग का नोटिस मिलने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि नोटिस तो उन्हें 2005 में ही जारी किया गया था। बकौल दिग्विजय उन पर न सिर्प सरकारी सेवा के नियम तोड़ने का आरोप है बल्कि राजनीति में शामिल होने और एनजीओ के जरिये करोड़ों रुपये कमाने का भी आरोप है। केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि अगर दिग्विजय को लगता है कि मैंने करोड़ों का घपला किया है तो उनकी पार्टी की सरकार एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराती। कुल मिलाकर कांग्रेस और सरकार टीम अन्ना के आगे के रास्ते में रोड़े अटकाने से बाज नहीं आ रही। देखना यह है कि टीम अन्ना आगे का रास्ता कैसे तय करती है।
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