Wednesday, 7 September 2011

मनमोहन की बांग्लादेश यात्रा पर ममता ने लगाया पलीता

Editorial Publish on 8 Sep 2011
-अनिल नरेन्द्र

हमें अपने पधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की स्थिति को देखकर दया आती है और
दुख भी होता है। गैरों से आए दिन उनकी पगड़ी उछलती रहती है पर जब अपनों
से भी ऐसा होने लगे तो दुख और अफसोस होता है। गत सप्ताह पस्तावित खेल
विधायक के मामले में मनमोहन सिंह को मुंह की खानी पड़ी और अब पश्चिम
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पधानमंत्री के साथ बांग्लादेश जाने
से इंकार कर दिया है। मनमोहन सिंह का दुर्भाग्य से न तो अपनी सरकार के
मंत्रियों पर ही कोई रोब रहा और न ही समर्थन दलों पर। मंगलवार को
पधानमंत्री अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा पर चले गए। ममता को उनके
साथ जाना था। लाख कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी नहीं मानी और अंतत
पधानमंत्री को उनके बगैर ही जाना पड़ा। पधानमंत्री की इस यात्रा पर उनके
साथ मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम के मुख्यमंत्री भी गए हैं। डा. सिंह की
टीम में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा भी हैं। 12 साल के बाद किसी भारतीय
पधानमंत्री की इस बांग्लादेश यात्रा को बड़े परिवर्तन के रूप में देखा जा
रहा है। आतंकवाद और सुरक्षा के सवालों पर भारतीय चिंताओं के पति
बांग्लादेश की शेख हसीना ने कुछ कदम उठाए जरूर हैं पर अभी कुछ और उठाने
की जरूरत है। पहली बार नदियों के जल बंटवारे, सीमाओं के निर्धारण व
द्वीपों के लेन-देन जैसे तनाव पैदा करने वाले मुद्दों पर बातचीत हुई है
और पधानमंत्री की इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण समझौते होने की उम्मीद
जताई जा रही है। सड़क, रेल व समुद्री संपर्कों को मजबूत करने पर भी कई
योजनाओं पर सहमति हो गई है। बांग्लादेश के चटगांव व मोंगला बंदरगाह का
इस्तेमाल भारतीय व्यापार को बढ़ाने इत्यादि जैसे कई और मुद्दों पर दोनों
पड़ोसी देशों की बातचीत होगी।
तीस्ता जल समझौते पर सवाल खड़े करके ममता ने पधानमंत्री की इस महत्वपूर्ण
यात्रा की हवा निकाल दी है। सरकार के रणनीतिकार ममता के इस रवैए की न तो
आलोचना कर पा रहे हैं और न ही उनकी आपत्ति को जायज कह पा रहे हैं। तीस्ता
जल समझौते पर पिछले दो महीनों से काम कर रहे जल संसाधन मंत्रालय ममता के
न जाने से निराश हैं। ममता का मानना है कि तीस्ता समझौते से प. बंगाल के
उत्तरी भाग को नुकसान होगा। तीस्ता का उद्गम सिक्किम से होता है। प.
बंगाल के उत्तरी हिस्से से होकर नदी बांग्लादेश में पवेश करती है। गत
सप्ताह पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने ममता बनर्जी को
कोलकाता में बताया था कि 25 हजार क्यूसेक पानी बांग्लादेश को दिया जाएगा।
लेकिन अंतिम मसौदे में 33 हजार से 50000 क्यूसेक पानी देने की बात कही गई
है। केन्द्राrय कैबिनेट की बैठक में ममता ने रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी
को इन मुद्दों को उठाने को कहा था। तीस्ता नदी सिक्किम के झील से निकलकर
बांग्लादेश में पवेश करती है और कुछ 600 किलोमीटर का रास्ता तय कर
ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। भारत में सिलीगुड़ी के पास तीस्ता के
गाजलडोबा प्वाइंट पर जल की मात्रा भांपकर बंटवारे का फार्मूला तैयार किया
गया। इसके तहत तीस्ता में 460 क्यूसेक पानी छोड़कर बाकी में 52 फीसदी
भारत को 48 फीसदी बांग्लादेश को देने की बात कही गई है। मुख्यमंत्री ममता
के अनुसार गर्मी में गाजलडोबा प्वाइंट पर ही तीस्ता का पानी घटकर सिर्प
पांच हजार क्यूसेक तक रह जाता है। ऐसे में समझौते के अनुसार बांग्लादेश
को पानी देने पर बंगाल के 6 जिलों का क्या होगा? एक आपत्ति तीस्ता के
सिंचाई वाले इलाके को लेकर भी है। ममता के विरोध का नतीजा यह हुआ कि इस
यात्रा में अब तीस्ता समझौता नहीं होगा।

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