Tuesday 6 September 2011

भारतीय जनता पार्टी का चढ़ता ग्रॉफ


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 6th September 2011
अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छी खबर है। जन लोकपाल बिल पर सरकार की नाक में दम करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भले ही अभी पूरी सफलता न पाई हो पर जनता की नजरों में अन्ना ने कांग्रेस को विलेन जरूर बनाने में कामयाबी हासिल कर ली और इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को हुआ है। स्टार न्यूज-नीलसन ने एक सर्वे किया है।
28 शहरों में करीब नौ हजार लोगों के बीच हुए इस सर्वे में भाजपा की आज की स्थिति मजबूत बताई गई है। सर्वे के अनुसार अगर वर्तमान में चुनाव हो जाएं तो भाजपा को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे। सर्वे में 32 फीसदी लोगों ने भाजपा को सत्ता के लिए अपनी पसंद बताया है। वहीं 20 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को पसंद किया है। देश के सभी क्षेत्रों में भाजपा को लोगों ने कांग्रेस की अपेक्षा तरजीह दी है। भाजपा और कांग्रेस का उत्तर में अनुमान 40ः27 का तो पूर्वी भारत में 20ः15 का रहा। पश्चिम में यही अनुपात 46ः15 का रहा।
दक्षिण में समीकरण थोड़ा अलग जरूर है। यहां अभी कांग्रेस को अधिक लोगों ने पसंद किया है। यहां कांग्रेस को 20 फीसदी तथा भाजपा को 16 फीसदी लोगों ने अपना मत सहयोग देने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि स्टार-नीलसन ने मिलकर मई 2011 में एक सर्वे किया था। उसमें कांग्रेस को लोगों ने तरजीह दी थी। लेकिन एक-दो महीने बाद ही अन्ना के आंदोलन ने तस्वीर बदलकर रख दी है। मई के सर्वे में देशभर में करीब 30 फीसदी लोगों ने कांग्रेस को पसंद किया था, वहीं भाजपा के पक्ष में 27 फीसदी लोगों ने अपना मत दिया था। उस समय पश्चिम को छोड़कर कांग्रेस देश के हर क्षेत्र में मतदाताओं की पसंद बनी हुई थी। सर्वे की 10 बड़ी बातें यूं हैंöअन्ना का आंदोलन जहां सबसे तेज था, वहीं भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा। 54 फीसदी लोग मानते हैं कि कांग्रेस ने अन्ना के अनशन को ठीक से नहीं निपटा। 64 फीसदी लोग मानते हैं कि हालात से ठीक से निपटने के लिए प्रधानमंत्री से ज्यादा उनके वरिष्ठ मंत्री जिम्मेदार हैं। 75 फीसदी लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार हैं। 54 फीसदी लोग मानते हैं कि राहुल गांधी को इस वक्त प्रधानमंत्री से दूर रहना चाहिए। 62 फीसदी लोगों का कहना है कि अरविन्द केजरीवाल युवकों के नायक बनकर उभरे हैं। राहुल गांधी, कपिल सिब्बल और पी. चिदम्बरम पर चुनावों में भारी पड़ सकते हैं अन्ना हजारे, किरण बेदी और केजरीवाल। 53 फीसदी लोग मानते हैं कि अगर मजबूत जन लोकपाल बिल पास हो तो 5 साल में देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। 49 फीसदी लोगों का मानना है कि रिश्वत न लेने और न देने की शपथ खाने से भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा। 82 फीसदी लोगों का मानना है कि अपनी मांग मनवाने का अन्ना का तरीका सही था, ब्लैकमेलिंग नहीं। यदि अन्ना और राहुल गांधी में चुनावी मुकाबला हो तो 74 फीसदी लोग गांधीवादी अन्ना हजारे को अपना वोट देंगे जबकि सिर्प 17 फीसद ही राहुल गांधी को वोट देंगे। कांग्रेस के लिए यह परिणाम खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि जनता की नजरों में कांग्रेस की आज की तारीख में क्या स्थिति है। देश के बाहर भी भाजपा की स्थिति मजबूत होती दिख रही है।
देश में भले कांग्रेस और वामदलों को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का शासन रास नहीं आ रहा हो, लेकिन भारत का पड़ोसी और दुनिया के शक्तिशाली देशों में से एक चीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की शासन शैली का कायल हो गया है। इतना ही नहीं चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं और चीन के नीति निर्धारकों को भी लग रहा है कि भारत में 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आ सकती है और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। चीन नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक शैली से ज्यादा मोदी के शासन में गुजरात के औद्योगिक विकास को लेकर अभिभूत है। चीन के नीति-निर्धारकों को लग रहा है कि जिस प्रकार से मोदी के शासन में गुजरात का आर्थिक विकास हुआ है उसी प्रकार मोदी भारत
की अर्थव्यवस्था को भी नया मोड़ दे सकते हैं। चीन की यह राय इसलिए भी बनी है, क्योंकि भारत के कई प्रमुख उद्योगपति लगातार मोदी की उद्योग नीति की प्रशंसा कर उन्हें भविष्य का बेहतर प्रधानमंत्री बता चुके हैं। मोदी की कार्यशैली से उत्साहित चीन गुजरात के औद्योगिक विकास और विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) के क्षेत्र में मोदी सरकार के साथ काम करने का इच्छुक है। चीन के राजदूत झांग यान ने स्वयं यह प्रस्ताव मोदी के सामने रखा है।
चीन के राजदूत ने खासतौर पर मोदी को चीन आने का भी निमंत्रण दिया है जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया है। चीन की यह नीति अमेरिका और यूरोप के कुछ अन्य देशों से ठीक उल्ट है। गुजरात दंगों को लेकर अमेरिका सहित यूरोप के कुछ देशों में मानवाधिकार संगठन मोदी का विरोध करते रहे हैं। इस आधार पर इन देशों ने मोदी को वीजा तक देने से इंकार किया है। वर्ष 2005 में जब मोदी अमेरिका जाने वाले थे तो अमेरिकी सरकार ने उन्हें वीजा नहीं दिया।
नतीजतन मोदी को अमेरिका में बसे गुजरातियों को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये से ही संबोधित करना पड़ा। लिहाजा नरेन्द्र मोदी को लेकर चीन का बदलता यह रुख अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। चीन के नीति-निर्धारक यह भी मान रहे हैं कि जिस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के कार्यकाल में चीन और भारत के संबंध बेहतर हुए थे उसी प्रकार की संभावनाएं वे मोदी में भी देख रहे हैं। असल में जापान के बाद चीन भी नरेन्द्र मोदी में भारत के भावी प्रधानमंत्री की संभावनाएं नजर आ रही हैं। हालांकि चीन और मोदी के रिश्तों में आ रही निकटता के पीछे सिर्प यही कारण नहीं है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि अन्ना के आंदोलन में भाजपा ने जिस तरह अपने पत्ते खेले हैं उससे उसे फायदा हुआ है पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि निकट भविष्य में भाजपा का नजरिया और व्यवहार कैसा होता है? क्या कुछ नेताओं का निजी स्वार्थ पार्टी के हितों से यूं ही ऊपर रहेगा? अगर ऐसी स्थिति रही तो अनुकूल माहौल होने के बावजूद हमें संदेह है कि पकी हुई फसल भाजपा काट पाए? भाजपा को सबसे ज्यादा खतरा अन्दर से है। बाहर तो उसकी छवि सुधर रही है।
Anil Narendra, Anna Hazare, BJP, Congress, Daily Pratap, Lokpal Bill, Vir Arjun,

No comments:

Post a Comment