Thursday, 1 September 2011

फिर विवादों में फंसे स्वामी अग्निवेश


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 1st September 2011
अनिल नरेन्द्र
विवादों का स्वामी अग्निवेश से चोली-दामन का साथ है। स्वामी अग्निवेश का ताजा विवाद है यू ट्यूब पर जारी हुई एक वीडियो । वीडियो में स्वामी अग्निवेश किसी कपिल नाम के शख्स से बात करते दिखे हैं। फुटेज के अनुसार टीम अन्ना के लिए अग्निवेश ने कहा, `ये तो पागल हो रहा है, जैसे हाथी हो।' स्वामी ने आगे कहा, `पूरी पार्लियामेंट ने जब खड़े होकर अनशन तोड़ने की अपील की तो अन्ना को तभी अनशन तोड़ देना चाहिए था।' इस वीडियो में सुनाई दे रही आवाज के मुताबिक अग्निवेश कहते हैं कि वे बहुत शर्मिंदा हैं कि केंद्र सरकार आखिर इतनी कमजोर क्यों दिखाई पड़ रही है। यही नहीं, अग्निवेश बातचीत के दौरान कपिल को इशारे से यह भी सलाह दे रहे हैं कि केंद्र सरकार अन्ना के आगे कतई झुके नहीं। स्वामी अग्निवेश कहते हैं कि वीडियो को तोड़-मरोड़ कर (कट-पेस्ट) कर पेश किया गया है। वह कहते हैं कि जिस कपिल से वह बात कर रहे हैं वह हरिद्वार के कपिल मुनि महाराज हैं पर जब कपिल मुनि से हरिद्वार में सम्पर्प किया गया तो कपिल मुनि ने अग्निवेश से किसी भी तरह की बातचीत से इंकार कर दिया। यह पहली बार नहीं जब अग्निवेश पर सरकारी एजेंट होने का आरोप लगा हो। यही कारण है कि इस बार हजारे टीम ने उनसे दूरी बनाना सही समझा। पिछली बार जब अप्रैल में हजारे अनशन पर बैठे थे तब भी सरकार से समझौता करवाने में अग्निवेश सबसे आगे थे। टीम हजारे को अब महसूस हो रहा है कि अग्निवेश ने अन्ना को धोखा दिया है और अन्ना की पीठ में छुरा घोंपा है।
स्वामी अग्निवेश का जन्म 21 सितम्बर 1939 को छत्तीसगढ़ में हुआ। अग्निवेश ने कोलकाता में कानून और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद आर्य समाज में संन्यास ग्रहण किया। आर्य समाज में काम करते हुए उन्होंने 1968 में एक राजनीतिक दल आर्य सभा बनाया। बाद में 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। अग्निवेश ने हरियाणा से चुनाव लड़ा और मंत्री भी बने लेकिन मजदूरों पर लाठीचार्ज की एक घटना के बाद उन्होंने राजनीति से इस्तीफा दे दिया। कहा जाता है कि स्वामी अग्निवेश वाम विचारों के नेता हैं और सीताराम येचुरी से उनकी खास दोस्ती है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि सोची-समझी चाल के तहत आर्य समाज में घुसपैठ करने के लिए स्वामी को लगाया गया है ताकि अन्दर से वह इसे कंट्रोल कर सकें। स्वामी अग्निवेश को माओवादियों से विशेष हमदर्दी है और वह हमेशा माओवादियों और केंद्र सरकार में शांतिवार्ता कराने के पक्षधर रहते हैं। माओवादी प्रवक्ता आजाद की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले स्वामी अग्निवेश का कहना है कि इस घटना ने शांतिवार्ता को गहरा झटका पहुंचाया है। हिन्दू धर्म का अपमान करने वाले भगवा चोला पहने हुए इस स्वामी को तब कतई शर्म नहीं आई जब श्रीनगर में एक शांति सम्मेलन के दौरान अमरनाथ यात्रा को धार्मिक धोखा करार देते हुए कहा था कि मुझे समझ नहीं आता कि `लोग अमरनाथ यात्रा पर क्यों जाते हैं? मेरा धर्म के इस प्रकार पर कोई विश्वास नहीं है। धर्म वह होता है जब गरीबों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़कर उन्हें न्याय दिलाए।' अहमदाबाद में एक सभा में अग्निवेश को अपने विचारों का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। भरी सभा में स्वामी नित्यानन्द ने स्वामी अग्निवेश को थप्पड़ मारा और उन्हें मंच से घसीटने की कोशिश की। इसके बाद हालांकि स्वामी नित्यानन्द को गिरफ्तार कर लिया गया पर स्वामी अग्निवेश की हिम्मत नहीं हुई कि स्वामी नित्यानन्द के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज करवाएं। अब हरियाणा के हांसी की एक कोर्ट ने उनके खिलाफ इसी बयान के लिए एक गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है। पुलिस को निर्देश दिया गया है कि उन्हें गिरफ्तार कर 19 सितम्बर को कोर्ट में पेश किया जाए। अग्निवेश ने यह भी कहा था कि अमरनाथ में बर्प का शिवलिंग बनना कोई ईश्वरीय चमत्कार नहीं है। यह तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। फिर भी पता नहीं क्यों लाखों लोग बावले होकर अमरनाथ यात्रा जाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
स्वामी अग्निवेश के विवादित वीडियो पर हो रहे हंगामे से कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाली सरकार बहरहाल थोड़ा चिंतित जरूर होगी, कांग्रेस ने उन्हें सरकारी खजाने से अपकृत जो कर रखा है। दिल्ली सरकार ने बंधुआ मजदूरों के सर्वे के लिए नियम-शर्तों को दरकिनार कर अग्निवेश के बंधुआ मुक्ति मोर्चा को 18 लाख रुपये जारी कर दिए। जैसे आनन-फानन में रुपये जारी हुए, एनजीओ ने वैसी ही बिना मतलब की 60 पेज की रिपोर्ट भी जारी कर दी। सर्वे में गेहूं, चावल जैसे किरयाने के साथ-साथ ऑफिस के टेलीफोन का बिल तक शामिल है। बंधुआ मजदूर कहां थे, कौन नियोजक था, इसका रिपोर्ट में कोई ब्यौरा नहीं है। हां खर्च का पूरा हिसाब 160 पन्नों में दर्ज जरूर है। दिल्ली सरकार की इस अंधेरगर्दीभरी दरियादिली के पांच वर्ष बाद अब महालेखा परीक्षक ने इस साठगांठ की जांच करने का फैसला किया है। यह बात 2006 की है। उस समय दिल्ली सरकार ने यकायक सभी नौ जिलों में बंधुआ मजदूरों के सर्वे के लिए अग्निवेश के जन्तर-मन्तर स्थित संगठन को 18 लाख की एकमुश्त राशि दी थी। इसके लिए न तो कोई समझौता पत्र तैयार हुआ और न ही नियम व शर्तें तय की गईं। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में डिवीजनल मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया है कि संस्था से सर्वे कराने का फैसला किसी आवेदन के आधार पर नहीं बल्कि सरकार के स्तर पर हुआ था। शायद यही कारण था कि पूरी राशि एकमुश्त अग्रिम मिल गई। स्वामी जी के और कारनामों की भी रिपोर्टें हैं, इनमें अवैध जमीनी कब्जा भी शामिल है पर इन सब आरोपों से स्वामी अग्निवेश को शायद ही कोई फर्प पड़े। उनका मकसद कुछ और ही है और जब तक उनके असल आका उनके काम से संतुष्ट हैं इन आरोपों का ज्यादा महत्व नहीं रह जाता।
Anil Narendra, Anna Hazare, Daily Pratap, Lokpal Bill, Swami Agnivesh, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment