Saturday 10 September 2011

अमर सिंह के राजनीतिक भविष्य पर काले बादल

Editorial Publish 11 Sep 2011
-अनिल नरेन्द्र
श्री अमर सिंह की शुक्रवार को भी जमानत नहीं हो सकी। उनके वकीलों ने
तरह-तरह की दलीलें दीं पर जज महोदया संगीता ढींगरा सहगल ने एक न सुनी।
वकील ने कहा कि अमर सिंह बहुत बीमार हैं, उनकी किडनी खराब हो चुकी है,
उन्हें टीबी है इत्यादि-इत्यादि और उन्हें रैग्यूलर चैकअप कराना पड़ता
है। यह भी दलील दी गई कि 9 सितम्बर को उनकी सिंगापुर में डाक्टर से
एपाइंटमेंट है। असल में अमर सिंह ने मेडिकल आधार पर जमानत की मांग की थी,
जिसके बाद अदालत ने जेल अधिकारियों से उनकी सेहत के बारे में डिटेल मांगी
थी। फैक्स से अमर सिंह की सेहत के बारे में डिटेल मिलने के बाद एडीशनल
सेशन जज संगीता ढींगरा सहगल ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि सोमवार
सुबह 11 बजे तक अमर सिंह से संबंधित सभी मेडिकल रिपोर्ट अदालत में जमा
कराई जाए। उसी दिन यानि सोमवार को ही आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई
होगी। जेल अधिकारियों ने अदालत को यह जानकारी दी कि श्री अमर सिंह को
तिहाड़ में एक अलग साफ-सुथरे सेल में रखा गया है। लिहाजा अब अमर सिंह को
सोमवार तक तो जेल में ही रहना पड़ेगा। तिहाड़ जेल संख्या 3 के वार्ड
संख्या 4 में बन्द अमर सिंह की बेचैनी बढ़ती जा रही है। उनके माथे पर
चिन्ता की लकीरें देखी जा सकती हैं। अमर सिंह को किडनी में समस्या है
इसलिए उन्हें हमेशा संक्रमण का डर लगा रहता है। जेल प्रशासन ने संक्रमण
से बचने के लिए अमर सिंह को एक सेल में अलग रखा है। सांसद जयप्रदा और
उनकी पत्नी पंकजा कुमारी सिंह रोज उनसे मिलने जाती हैं। शनिवार सुबह
अकेली जयप्रदा उनसे जेल में मुलाकात करने पहुंचीं। अभिनेत्री से सांसद
बनीं जयप्रदा ने दावा किया कि अगर अमर सिंह ने मुंह खोला तो कई लोग
मुश्किल में पड़ जाएंगे। मुसीबत के वक्त अमर सिंह से मदद लेने वाले लोग
आज उन्हें पीछ दिखा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद जयप्रदा ने
कहा कि अमर जेल में खाना नहीं खा रहे हैं। जेल के टॉयलेट में साफ-सफाई न
होने से उन्हें परेशानी हो रही है। किडनी की बीमारी से जूझ रहे अमर को
जेल में संक्रमण का खतरा है। जयप्रदा ने कहा कि सरकार को बचाने के लिए
अमर द्वारा किए गए प्रयास से कई लोगों को फायदा पहुंचा। सरकार के
विश्वासमत जीतने से उन्हें तो कोई फायदा नहीं हुआ। सरकार और विपक्ष
द्वारा निशाना बनाए जाने के बावजूद उन्होंने चुप्पी साध रखी है। उन्होंने
मुंह खोला तो कई लोग मुश्किल में पड़ जाएंगे। लेकिन वे ऐसे नहीं हैंöवे
अपनी बात पर कायम रहते हैं, यही उनका स्वभाव है, जयप्रदा ने कहा।
अराजनीतिक तौर-तरीकों से राजनीति करने वाले अमर सिंह के राजनीतिक भविष्य
पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। केंद्र में सरकार बचाने वाले अमर सिंह के
साथ आज न तो कोई राजनीतिक दल खड़ा है और न ही कोई गैर-राजनीतिक मंच। अमर
सिंह का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट था उनका राजनीतिक प्रभाव या जिसे
अंग्रेजी में कहा जाता है पोलिटिकल क्लाऊट। आमतौर पर अमर सिंह के बारे
में राजनीतिक हलकों में यह मानना था कि उनके राजनीतिक संबंध बहुत अच्छे
हैं और वह काफी प्रभाव रखते हैं। पिछले एक सप्ताह के घटनाक्रम से इस
धारणा को जरूर थोड़ी ठेस पहुंची है। लोग उनसे हमदर्दी की जगह उनकी
ब्लैकमेलिंग और दबाव की राजनीति से ज्यादा डरते हैं। जिस उत्तर प्रदेश
में वे सड़क-सड़क घूमकर अपनी नई राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे थे उस प्रदेश
में उनकी गिरफ्तारी के बाद कहीं पत्ता तक नहीं हिला। राजनीतिक दलों का
साथ छोड़कर अमर सिंह ने जो गलती की उसका खामियाजा आज उन्हें भुगतना पड़
रहा है। समाजवादी पार्टी तो बड़ी पार्टी थी। वे जिस पीस पार्टी के साथ
जुड़े थे अगर उसी के साथ होते तो भी यह स्थिति न आती। पीस पार्टी के
प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल मन्नान ने कहाöजो हुआ वह अफसोसजनक है। अमर सिंह आज
अगर हमारे साथ होते तो उनकी गिरफ्तारी पर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों
में धरना प्रदर्शन हो चुका होता। चर्चा-परिचर्चा और खर्चा के मूलमंत्र से
राजनीति शुरू करने वाले अमर सिंह ने कई सालों तक राजनीति में अपना दबदबा
बनाए रखा पर अपनी कोई राजनीतिक जमीन कभी नहीं बनाई। इसी वजह से जब वे सपा
से निकाले गए तो तीन-चार विधायक आए और अब वह भी साथ छोड़ गए हैं। अमर
सिंह जिस ढंग की राजनीति करते रहे हैं उससे उन्होंने दुश्मन ज्यादा बनाए
हैं दोस्त कम। यही वजह है कि आज वह अलग-थलग पड़े हुए हैं। सारा विपक्ष यह
चाहता है कि अमर सिंह उस नेता या नेताओं के नाम बताएं जिन्होंने अमर से
यह काम करवाया। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार बचाने वाले अमर सिंह में
सरकार को अस्थिर करने का भी मादा है। इसी वजह से सबकी नजर अमर सिंह पर है
पर इससे उनके राजनीति में और भी अकेले हो जाने का खतरा है। इसीलिए अमर
सिंह के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है। देखें सोमवार को क्या होता है?

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