Sunday 4 September 2011

राजनीतिक आकाओं के कहने पर भेजा नोटिस ः अरविन्द केजरीवाल


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 4th September 2011
अनिल नरेन्द्र
अन्ना हजारे के आंदोलन से गुस्से से भरी मनमोहन सिंह सरकार ने अब उन लोगों को चिन्हित कर निशाने पर लेना शुरू कर दिया है जिन्होंने उसकी मिट्टी पलीत करने में सक्रिय भूमिका निभाई। मीडिया पर लगाम लगाने के लिए विशेष ग्रुप बनाने की खबर है। अन्ना के मंच से सरकार को छूट करने वाले फिल्म अभिनेता ओम पुरी और किरण बेदी पर पहले ही मानहानि का केस लग चुका है। सांसदों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी को लेकर संसद में विशेषाधिकार हनन के मामले का सामना कर रहीं किरण बेदी का टीम अन्ना अब खुलकर साथ दे रही है। अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि पूरी टीम एकजुट होकर किरण बेदी के साथ है। इस तरह के कदम से जनता के बीच यह धारणा जाएगी कि सांसद उनसे बदला लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब नोटिस मिलेगा तो वह उस पर जवाब देगी।
टीम अन्ना के एक और महत्वपूर्ण सदस्य पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण सीडी प्रकरण में फंसते नजर आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने सीडी मामले में कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इसमें जानकारी दी गई है कि
सीडी में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और शांति भूषण की बातचीत का टेप असली है। इसमें किसी तरह के जोड़तोड़ के प्रमाण नहीं हैं। यदि यह सीडी असली है तो यह सीधे-सीधे उच्चतम न्यायालय में बड़े भ्रष्टाचार का मामला बनता है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार इस मामले में उनके पास एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी है। वह गवाह है चर्चित सांसद अमर सिंह। उन्होंने पुलिस को पूछताछ में जानकारी दी है कि उन्होंने अपने घर के लैंडलाइन फोन से खुद शांति भूषण से मुलायम सिंह की बात कराई थी।
मनमोहन सिंह सरकार को सबसे ज्यादा खुंदक अरविन्द केजरीवाल से है। टीम अन्ना में केजरीवाल को वह सबसे बड़ा रोड़ा मानती है। अब केजरीवाल को भी कटघरे में खड़ा करने के प्रयास हो रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) से वर्ष 2006 में दिए गए इस्तीफे को केंद्र सरकार ने अब तक मंजूरी नहीं दी है। सेवा शर्तों के मुताबिक केंद्र सरकार ने समय से पहले नौकरी छोड़ने के लिए उनसे तीन लाख रुपये की मांग की थी। अब यह रकम नौ लाख हो गई है। केजरीवाल ने इससे छूट के लिए आवेदन किया था जिस पर
अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। सरकार से सीधे टकराव के बाद केंद्र सरकार का कार्मिक विभाग (डीओपीटी) केजरीवाल के इस्तीफे का मामला फिर से खोल सकता है। राजस्व सेवा के अधिकारी के तौर पर केजरीवाल ने वर्ष 2000 में दो साल का स्टडी लीव (अध्ययन अवकाश) ली थी। इस दौरान केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक उन्हें वेतन दिया गया था। इस अवधि के बाद उन्होंने दो साल का बिना वेतन का अध्ययन अवकाश भी लिया। सेवा शर्तों के मुताबिक छुट्टी से लौटने के बाद कम से कम तीन साल नौकरी करनी पड़ती है। लेकिन केजरीवाल ने इससे पहले ही 2006 में इस्तीफा दे दिया। ऐसे में डीओपीटी ने उनसे तीन लाख रुपये की मांग की। इसके जवाब में केजरीवाल ने आवेदन किया कि उनके पास इतनी रकम नहीं है, इसलिए उन्हें इससे छूट दी जाए। मगर अब तक डीओपीटी ने इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है। हालांकि इस्तीफे के तुरन्त बाद केजरीवाल को इससे बड़ी रकम मैगसेसे पुरस्कार के तौर पर मिली थी।
शुक्रवार को अरविन्द केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें नौ लाख रुपये का भुगतान करने का नोटिस `राजनीतिक आकाओं' के कहने पर भेजा गया है। जन लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे द्वारा अनशन करने से 10 दिन पहले आयकर विभाग ने पांच अगस्त को केजरीवाल को एक नोटिस भेजा। नोटिस में केजरीवाल से उनके आयकर आयुक्त रहते हुए अध्ययन अवकाश पर जाने की अवधि की तनख्वाह, उस पर लगे ब्याज तथा कर्ज के पुनर्भुगतान की ब्याज सहित बकाया राशि को मिलाकर कुल 9.27 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया। केजरीवाल ने कहा कि आयकर विभाग ने मेरे दो वर्ष अवकाश पर रहने के दौरान प्रभावी रहे बांड की गलत व्याख्या की है। मैंने बांड का कोई उल्लंघन नहीं किया है। आयकर विभाग ने यह नोटिस राजनीतिक आकाओं के दबाव में भेजा है। हजारे के एक अन्य साथी कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने सबक नहीं लिया है और वह कुत्सित तरीके पर उतर आई है। उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग द्वारा केजरीवाल को भेजे गए नोटिस में उनसे दो वर्ष की तनख्वाह के रूप में 3.54 लाख, उस पर ब्याज के रूप में 4.16 लाख, कम्प्यूटर के कर्ज की बकाया राशि के रूप में 51,000 रुपये और उस पर ब्याज के रूप में 1.04 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा है। इस तरह उन्हें नौ लाख से अधिक रुपये की राशि देने को कहा गया है।
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