Thursday 22 September 2011

राम जेठमलानी की कैश फॉर वोट केस में पलटी


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 22nd September 2011
अनिल नरेन्द्र
नोट के बदले वोट कांड में अभियुक्त अमर सिंह की पैरवी करते हुए पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल का नाम घसीट कर सनसनी फैला दी है। इससे पहले 12 सितम्बर को अमर सिंह की अंतरिम जमानत पर बहस करते हुए जेठमलानी ने पैसे के स्रोत का ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ने का प्रयास किया था। उस समय उन्होंने कहा था कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने संसद में स्वीकार किया है कि स्टिंग ऑपरेशन उनकी इजाजत से किया गया, इसका मतलब यही निकलता है कि पैसे उसी पार्टी ने दिए होंगे। कोर्ट में जेठमलानी का कहना था कि नोट के बदले वोट का उद्देश्य तत्कालीन मनमोहन सरकार को बचाना था, ऐसी स्थिति में संकेत मिलते हैं कि सरकार के पक्ष में मत देने के लिए अहमद पटेल ने विपक्षी दलों के सांसदों को कथित रूप से प्रलोभन दिया। जेठमलानी ने कहा कि वह यह नहीं कर रहे हैं कि इस साक्ष्य के आधार पर पटेल को दोषी ठहराया जाए लेकिन जब आप अपनी पार्टी के हित के लिए सांसदों को प्रभावित कर रहे हैं तब घूसप्रदाता ही कहलाएंगे। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान से पहले राम जेठमलानी ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल का नाम लिया, तो दोपहर बाद दूसरे अधिवक्ता एन. हरिहरन ने समाजवादी पार्टी सांसद रेवती रमन सिंह का नाम ले लिया। उन्होंने कहा कि कैश फॉर वोट कांड में अमर सिंह से ज्यादा सबूत रेवती रमन सिंह के खिलाफ मौजूद हैं। बावजूद जांच एजेंसी ने उन्हें न तो आरोपी बनाया है और न ही मामले में गवाहों की सूची में उनके नाम का जिक्र है। आरोप पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 22 जुलाई 2008 को रेवती रमन सिंह ने सुहैल को बताया कि अमर सिंह अपने घर पर भाजपा सांसदों की प्रतीक्षा कर हे हैं। इसके बाद सुहैल भाजपा सांसदों अशोक अर्गल और फग्गन सिंह कुलस्ते को लेकर अमर सिंह के घर गया था। जब आरोप पत्र में इन बातों का जिक्र होने के बाद उन्हें न तो आरोपी बनाया गया और न ही गवाह। जिस पर सरकारी अधिवक्ता राजीव मोहन ने अदालत को बताया कि रेवती रमन सिंह को सिर्प अशोक अर्गल के घर जाते देखा गया था। कोई बातचीत की रिकार्डिंग नहीं है। लिहाजा महज उन्हें इस आधार पर आरोपी नहीं बनाया जा सकता। राम जेठमलानी ने विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल के समक्ष यह भी कहा कि रिश्वत लेन-देन का स्थान अमर सिंह का आवास नहीं था बल्कि ली मैरीडियन होटल था।
श्री अहमद पटेल का नाम आने पर कांग्रेस में हलचल मचना स्वभाविक ही था पर अहमद पटेल ने जहां जेठमलानी की दलीलों पर इसे बेबुनियाद और धोखा बताया और कहा कि मैंने इस बारे में पहले ही स्पष्टीकरण दे दिया है वहीं कांग्रेस पार्टी की टिप्पणी चौंकाने वाली जरूर थी। कांग्रेस पार्टी ने सारे विवाद को प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की ओर धकेलने का प्रयास करते हुए कहा कि बोफोर्स तोप सौदे में स्वर्गीय राजीव गांधी की लुटिया डुबाने में अहम भूमिका निभाने वाले फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन एक बार फिर वही कहानी दोहरा रहे हैं और निशाने पर स्वर्गीय राजीव गांधी की पत्नी व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी हैं। उन्हीं को बदनाम करने का एक बार फिर षड्यंत्र रचा जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने इशारों में कहा कि अमिताभ बच्चन अमर सिंह से मिलकर लौटे हैं तभी से उनका (राम जेठमलानी और अमर सिंह) का स्टैंड बदला है। उन्होंने इस संबंध में पूछे गए सवाल का यह कहकर कूटनीतिक जवाब दिया कि प्राण जाए और वचन न जाए। गौरतलब है कि इस समय अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड एमबेस्डर हैं और मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी हैं। दो दिन पहले ही अमिताभ एम्स जाकर अमर सिंह से मिले थे। करीब दो घंटे की बातचीत का कांग्रेस रणनीतिकार यही अर्थ निकाल रहे हैं कि भाजपा के दूत के रूप में उन्होंने काम किया है और उसी मुलाकात के तत्काल बाद अमर सिंह के वकील ने पलटी मारते हुए अहमद पटेल का नाम ले डाला। हालांकि सीधे तौर पर रेणुका ने यही कहा कि अभी इस प्रकरण के और भी पन्ने खुलने बाकी हैं। यह तो सिर्प एक एपीसोड है। आगे देखते जाइए कि क्या होगा। बेचारे अमिताभ बच्चन न तीन में न तेरह में। अगर वह अमर सिंह से मिलने नहीं जाते तो जयाप्रदा खुलेआम ललकारती है और देखने जाते हैं तो कांग्रेस उन्हें सारे षड्यंत्र के पीछे शातिर दिमाग बता देती है जबकि अमर सिंह और अमिताभ की बातचीत में कहीं कैश फॉर वोट केस का जिक्र तक नहीं हुआ होगा।

No comments:

Post a Comment