लोकसभा
चुनाव के पांचवें चरण की 121 सीटों
पर 17 अपैल को होने वाला चुनाव सभी पमुख दलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
है। एनडीटीवी के एक ताजा सर्वेक्षण जो उसने हंसा रिसर्च ग्रुप के साथ किया है के अनुसार
भाजपा के लिए सुखद समाचार लेकर आया है। देश में इस समय नरेंद्र मोदी की लहर चल रही
है जिसके चलते एनडीए को इस लोकसभा चुनाव में 230 से
275 सीटें मिल सकती हैं। एनडीटीवी और हंसा रिसर्च ग्रुप अनुसार सबसे
बड़े ओपिनियन पोल में लोकसभा की कुल 143 सीटों में से यूपीए को
111 से 128 सीटें मिल सकती हैं। इस पोल के विशेषज्ञों
का दावा है कि अकेले भाजपा के खाते में 196 से 226 और कांग्रेस को 92 से 106 सीटें
मिल सकती हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने 17 अपैल को मतदान के
लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अब तक हुए चुनाव की तुलना में ज्यादा सीटें
(120) इस चरण पर दांव पर हैं। इनमें कर्नाटक, महाराष्ट्र,
राजस्थान, मध्य पदेश, ओड़ीसा,
उत्तर पदेश की सीटों पर चुनाव होगा। उत्तर पदेश के चारों पमुख दलों ने
अब पश्चिमी उत्तर पदेश क्षेत्र की 11 लोकसभा सीटों पर अपनी पूरी
ताकत झोंक दी है। पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा चार सीटें सपा ने जीती थीं। इसके बाद
कांग्रेस और भाजपा-रालोद गठबंधन तीन-तीन
सीट लेकर बराबरी पर रहे थे। बसपा को एक ही सीट पर सब्र करना पड़ा था। दस अपैल को सूबे
के पहले चरण में जिन दस सीटों के लिए मतदान हुआ था वहां भाजपा को अपनी बढ़त का भरोसा
जगा है। दूसरे चरण की 11 सीटों पर भाजपा का पिछले चुनाव में पदर्शन
खास अच्छा नहीं रहा था। नगीना सुरक्षित सीट पर असली मुकाबला भाजपा के डाक्टर जसवंत
और बसपा के गिरीश जाटव के बीच है। मुरादाबाद में पिछली बार कांग्रेस के मो.
अजहरुद्दीन ने भाजपा के सर्वेश सिंह को हराया था। पांच साल तक अजहर इलाके
से नदारद रहे। लिहाजा कांग्रेस ने उन्हें इस बार राजस्थान भेज दिया। उनकी जगह रामपुर
की बेगम नूर बानो यहां उम्मीदवार हैं। बसपा ने मेरठ के विवादास्पद नेता याकूब कुरैशी
को और सपा ने एमटी हसन को उतारा है। तीन मुसलमानों के बीच भाजपा के ठाकुर सर्वेश सिंह
इस बार अपनी जीत को लेकर बेफिक दिखते हैं। यहां संभल सीट भाजपा के लिए इस बार भी अबूझ
पहेली बनी हुई है। यहां असली मुकाबला बसपा छोड़कर सपा में आए पिछले विजेता शफी कुर्रहमान
बर्क, बसपा के अकी कुर्रहमान और भाजपा के सत्यपाल सोनी में हैं।
कांग्रेस ने विवादास्पद बाबा आचार्य पमोद कृष्णम पर दांव लगाया है। रामपुर से पिछले
दो चनाव सपा टिकट पर जयापदा ने जीते थे। इस बार सपा ने नसीर अहमद खान और बसपा ने हाजी
अकबर हुसैन को तो कांग्रेस ने बेगम नूर बानो के बेटे काजिम अली को उम्मीदवार बनाया
है। भाजपा के कद्दावर लोध नेता और पूर्व मंत्री नेदाल सिंह भी जीत के लिए कड़ी मेहनत
कर रहे हैं। अमरोहा में पिछली बार भाजपा-रालोद गठबंधन के देवेंद्र
नागपाल ने सपा को हराया था। इस बार बसपा के हाजी शब्बन, सपा की
हुमरा अख्तर, रालोद-कांग्रेस गठबंधन के
राकेश टिकैत व भाजपा के अरबपति गुर्जर नेता और स्वामी रामदेव की पसंद कवर सिंह तंवर
को काटें की लड़ाई में उतारा है। बरेली सीट भाजपा के लिए अभेद दुर्ग रही है पर पिछले
चुनाव में कांग्रेस के पवीण सिंह एरन ने भाजपाई धुरंधर संतोष गंगवार को हरा दिया था।
गंगवार इस बार अपनी खोई सीट व पतिष्ठा वापस पाने के लिए दिन-रात
एक किए हैं। मुकाबला बसपा के उमेश गौतम, सपा की आयशा इस्लाम और
पिछले विजेता पवीण एरन से है। पीलीभीत से मेनका गांधी, बसपा के
अनीस अहमद, सपा के बुद्धसेन वर्मा और कांग्रेस के संजय कपूर से
जूझ रही हैं। तीसरे चरण में 91 सीटों पर मतदान में अल्पसंख्यक
वोटों के विभाजन ने कांगेस ही नहीं अन्य दलों को भी चिंता में डाल दिया है। सूत्रों
के अनुसार मुस्लिम धर्म गुरुओं और विद्वानों ने इस संबंध में जो रणनीति बनाई है उसके
अनुसार भाजपा के सामने मजबूत पत्याशी के पक्ष में मतदान किया जाए। इन सीटों पर सपा
और बसपा दोनों की नजरें टिकी हुई हैं। 17 अपैल को बिहार की सात
संसदीय सीटों जिन पर चुनाव हो रहा है वह हैं मुंगेर, नालंदा,
पटना साहिब,पाटलिपुत्र, आरा,
बक्सर, और जहानाबाद। पहले चरण के मुकाबले यह सीटें
कम संवेदनशील हैं। नक्सली हमलों की दृष्टि से। पांचवें चरण की सात सीटों पर कई दिग्गजों
की पतिष्ठा दांव पर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को अपने पैतृक जनपद नालंदा
में जनता दल (यू) के पत्याशी को विजयी बनाना
है, जहां सियासी पतिष्ठा का सवाल है वहीं राष्ट्रीय जनता दल
(राजद) के अध्यक्ष लालू पसाद यादव की पतिष्ठा पाटलिपुत्र
सीट पर दांव पर लगी हुई है। यहां लालू की पुत्री को लालू के ही कहे जाने वाले हनुमान
राम कृपाल से कड़ी टक्कर मिल रही है। अगर उम्मीदवारों पर नजर डाल जाए तो दूसरे चरण
में नेताओं के अलावा दो फिल्म अभिनेता, दो चिकित्सक और एक पूर्व
भारतीय सेवा के अधिकारी मैदान में हैं। पटना साहिब से भाजपा दिग्गज शत्रुघ्न सिन्हा
अपनी दूसरी जीत के लिए संपर्क कर रहे हैं। कांग्रेस के कृपाल सिंह और जद (यू) के डा. गोपाल पसाद सिन्हा ने
इस लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आरा संसदीय सीट से भाजपा ने
पूर्व गृह सचिव आर के सिंह को जबकि जद (यू) ने मीना देवी और राजद ने भगवान सिंह कुशवाहा को उतारा है। अब कुछ अन्य क्षेत्रों
की बात। बाड़मेर लोकसभा सीट से भाजपा के पमुख स्तंभ और केंद्र में वित्त, विदेश, भूतल परिवहन मंत्री रहे जसवंत सिंह निर्दलीय के
रूप में मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के कर्नल सोनाराम व कांग्रेस के हरीष चौधरी सहित
11 पत्याशियों से है। जसवंत सिंह को हराने के लिए सूबे की मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे ने भी पतिष्ठा का सवाल बना लिया है। कर्नाटक की महत्वपूर्ण हसन लोकसभा
सीट से पूर्व पधानमंत्री आखिरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। मैं
श्री एचडी देवेगौड़ा की बात कर रहा हूं। उनका मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस के विधायक
ए मंजू से है। खास बात यह है कि देवेगौड़ा के खिलाफ चुनावी रणनीति में मुख्यमंत्री
सिद्धारमैया भी अंशदान दे रहे हैं। 81 साल के देवेगौड़ा कर्नाटक
की राजनीति में माहिर माने जाते हैं। भाजपा के लिए एस येदुयरप्पा भी जोड़-तोड़ में कम नहीं हैं। मोदी लहर का कितना फायदा कर्नाटक की 28 सीटों पर होता है यह भी पता चलेगा। झारखंड की पांच सीटों गिरीडीह, रांची, जमशेदपुर, सिंह भूमि और
खूंटी पर चुनाव होगा। राजस्थान में 20 सीटों पर चुनाव भाजपा के
लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। मध्य पदेश की दस सीटों पर भाजपा चाहेगी कि वह ज्यादा से
ज्यादा सीटें जीते। ओड़ीसा की 11 सीटों पर वोट डलेंगे। कुल मिलाकर
यह नरेंद्र मोदी के मिशन 272+ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भाजपा
को उम्मीद होगी कि इस चरण के बाद एनडीटीवी का सर्वेक्षण अगली बार और बेहतर आए।
-अनिल नरेंद्र
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