Saturday 26 April 2014

एक दामाद हैं राबर्ट वाड्रा और एक दामाद थे फिरोज जहांगीर गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष और अपनी मां सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका ने शायद पहली बार अपने पति राबर्ट वाड्रा पर लग रहे आरोपों का बचाव किया। प्रियंका ने एक नुक्कड़ सभा में कहा कि मेरे परिवार (वाड्रा परिवार) को जलील किया जा रहा है। लेकिन मैंने इंदिरा गांधी से सीखा है कि जब दिल में सच्चाई होती है, इरादे सही होते हैं तो कवच बन जाते हैं। मुझे  जितना जलील किया जाएगा, उतनी मजबूती से लड़ूंगी। यह सिर्प एक पत्नी की भावुक पीड़ा नहीं हो सकती बल्कि एक राजनीतिक जवाबदेही भी लगती है। वोट की खातिर हर विरोधी पार्टी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती है। लेकिन अंतिम फैसला तो जनता की अदालत में ही होता है। प्रियंका जनता की अदालत में अपने पति को पाक-साफ बताने की कोशिश जो कर रही हैं। उसके पीछे यह मंशा भी साफ है कि वह अब न तो इस मुद्दे पर चुप बैठेंगी और न ही इसे बर्दाश्त करेंगी। हम प्रियंका का दुख समझ सकते हैं और महसूस भी करते हैं। प्रियंका किससे विवाह करती हैं यह उनका और सोनिया गांधी परिवार का निजी मामला है और इसमें किसी को कुछ कहने का हक नहीं पर जब उनके पति और सोनिया गांधी के दामाद पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव का गलत फायदा उठाते हुए करोड़ों की सम्पत्ति बना ली है तो मामला गंभीर हो जाता है, मामला भ्रष्टाचार का हो जाता है। यह आरोप हम नहीं लगा रहे दुनिया के बहुप्रतिष्ठित व विश्वसनीय माने जाने वाले अमेरिका के अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लगाए हैं। अरविंद केजरीवाल तो पहले ही यह आरोप लगा चुके हैं। अब समाचार पत्र ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के मुताबिक 2012 में वाड्रा के पास करीब 252 करोड़ की जमीन-जायदाद थी। उसी साल वाड्रा ने 72 करोड़ की जमीन बेची थी यानि वाड्रा के पास करीब 324 करोड़ रुपए की जमीन जायदाद थी। अखबार ने कम्पनी की ऑडिट रिपोर्ट, लैंड रिकार्ड और प्रॉपर्टी के जानकारों के हवाले से राबर्ट की सम्पत्ति का पूरा विवरण पेश किया है। रिपोर्ट में वाड्रा की लैंड डील्स का खुलासा किया गया है और राबर्ट वाड्रा ने इतनी तरक्की अपने राजनीतिक  कनेक्शनों से की है। एक दामाद फिरोज जहांगीर गांधी भी थे (राजीव के पिता)। उस दौर में विकासशील देशों के एकछत्र नेता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दामाद थे। फिरोज गांधी कांग्रेस के सांसद थे और अपनी सरकार को परेशान किया, विपक्ष को मुद्दा दिया लेकिन उन पर कभी अंगुली नहीं उठ सकी। फिरोज जहांगीर गांधी ने भाई-भतीजों को राजनीति में लाने का काम कभी नहीं किया। जमीनों की न तो भूख थी और न ही करोड़ों-अरबों के मालिक बनने की चाह। फिरोज गांधी ने तमाम काम किए। रायबरेली के कॉलेज से लेकर दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया तक उनकी ही देन है। लेकिन एक दामाद हैं कारोबारी राबर्ट वाड्रा। इस अकेले व्यक्ति ने कांग्रेस जैसी पार्टी को जितना नुकसान पहुंचाया है वह राहुल गांधी की एक दशक की राजनीतिक उपलब्धियों, सोनिया गांधी के त्याग से कहीं ज्यादा है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस मामले पर अपनी-अपनी टिप्पणियां की हैं। अमृतसर से अरुण जेटली ने प्रियंका और कांग्रेस नेताओं के मोदी पर निजी हमले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी की वैवाहिक स्थिति के बारे में क्यों चर्चा की जा रही है? बिना किसी सबूत के गुजरात की युवती की जासूसी करने के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं? राबर्ट वाड्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने संबंधी सवाल के जवाब में जेटली ने कहा यह भी होगा, 16 मई को रिजल्ट आने दो। अभी तो कांग्रेस पार्टी ने जांच एजेंसियों को इन मामलों की जांच के लिए रोका हुआ है। 16 मई के बाद कानून स्वतंत्र होकर अपना काम करेगा। इधर इन सब विवादों के बीच एक अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है और इसे हाई कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। हाई कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा सहित अन्य रीयल एस्टेट डेवलपर्स को हरियाणा में नियमों का उल्लंघन कर लाइसेंस देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई 30 अप्रैल से होगी। याचिका मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग की खंडपीठ ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। श्री शर्मा ने अपनी याचिका में तर्प रखा कि हरियाणा में 21,366 एकड़ कृषि भूमि पर रिहायशी कॉलोनी बनाने और भवन निर्माण करवाने के लिए विभिन्न भवन निर्माताओं को संवैधानिक नियमों का पालन किए बिना ही लाइसेंस दिया गया है। इस निर्णय से राज्य को 3.9 लाख करोड़ का राजकोषीय घाटा हुआ है। शर्मा का आरोप है कि कॉलोनियां  बनाने के लिए लाइसेंस का आवंटन हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम 1975 का उल्लंघन कर प्रदान किया गया है। याचिका में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशि कांत शर्मा द्वारा तीन जून 2013 को सौंपे गए उस पत्र को भी खारिज करने की मांग की गई जिसमें वाड्रा से संबंधित स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए लाइसेंस की जांच को वापस लेने का आरोप है। हम उम्मीद करते हैं कि हाई कोर्ट में इस मामले पर दूध का दूध, पानी का पानी सामने आ जाएगा। जो लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें अदालत में भ्रष्टाचार साबित करना होगा। दूसरी ओर राबर्ट वाड्रा को भी अपनी सफाई देने का पूरा मौका मिलेगा और शायद प्रियंका का दुख दूर हो जाए?

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