इस
बार तमिलनाडु के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। राज्य में सत्ता अब तक बेशक ही दो
अलग-अलग ध्रुवों पर रही हो,
लेकिन उसका केंद्र लम्बे समय से अन्नाद्रमुक और द्रमुक जैसी द्रविड़
पार्टियां ही रही हैं। अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता अभी भी ताकतवर हैं। पहले उन्होंने
वाम दलों से गठबंधन किया था, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने वाम
दलों को छोड़ दिया जबकि द्रमुक के बुजुर्ग नेता एम. करुणानिधि
बेटों के विवाद के बाद कमजोर हुए हैं। द्रमुक की इस आंतरिक कलह का असर उसके चुनावी
नतीजों पर पड़ सकता है। राज्य में हमेशा हाशिए पर रही भाजपा इस बार तीसरा बड़ा केंद्र
बनने की जुगत में है। जयललिता की पहले भाजपा के साथ जाने की चर्चा थी, अब राजग कुनबा जयललिता का नहीं, करुणा और कांग्रेस के
लिए भी चिन्ता का कारण बना हुआ है। जयललिता अपनी रैलियों में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को भी खूब कोस रही हैं। वहीं नरेन्द्र मोदी रैलियों में आ रही भीड़
को वोटों में तब्दील करने में जुटे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन ने 18 सीटें जीती थीं। यूपीए गठबंधन
के खाते में 27 सीटें आई थीं। जयललिता ने तीसरा मोर्चा बनाकर
एडीएमके, सीपीआई, सीपीएम, पीएमके से गठबंधन किया था। अन्नाद्रमुक को नौ जबकि एमडीएमके, सीपीआई और सीपीएम को एक-एक सीट मिली थी। भाजपा और डीएमडीके
अलग-अलग चुनाव लड़ीं और दोनों को एक भी सीट नहीं मिली। इस
बार चुनाव में अधिक से अधिक सीट जीतने हेतु भाजपा ने यहां द्रमुक और अन्नाद्रमुक के
बाद बचे पांच प्रमुख क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए
में शामिल होने के लिए किसी दल ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। कुल मिलाकर राज्य की सभी
39 लोकसभा सीटों पर द्रमुक, अन्नाद्रमुक,
राजग, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लड़ाई है। यहां मतदान 24 अप्रैल को होना है। तमिलनाडु की एक बहुचर्चित सीट है ऊटी। ऊटी लोकसभा सीट से
वर्ष 2011 में 2जी घोटाले के मुख्य आरोपी
नायक पूर्व संचार मंत्री ए. राजा चुनाव लड़ रहे हैं।
40 डिग्री गर्मी में तपते तमिलनाडु में अगर कोई सबसे ज्यादा सुकून देने
वाली जगह है तो वह है ऊटी। देशभर से आए पर्यटकों की चहल-पहल से
ऊटी का सबसे भव्य ब्लैक थंडर रिसॉर्ट का सूईट नम्बर एक ए. राजा
के लिए ही रिजर्व है। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले के प्रमुख आरोपी
और डीएमके के उम्मीदवार का यह चुनाव क्षेत्र है, जहां ठंड में
उनके पसीने छूट रहे हैं। राजा एक महीने से यहीं हैं। राजा का कुनबा हर गांव और हर गली
नाप रहा है। 2जी का भारी-भरकम बोझ क्षेत्र
में साफ दिखाई देता है। चार रंगीन पन्नों पर एक भावुक अपील जारी की गई है। मोटे अक्षरों
में लिखा हैöआपकी अदालत में मेरा फैसला। कवर पर छपी तस्वीर राजा
की गिरफ्तारी के समय की है। वे कहते हैं `मैं तो बेकसूर हूं।
लोकतंत्र की सबसे बड़ी अदालत में इंसाफ मांगने निकला हूं।' अनुसूचित
जाति के लिए सुरक्षित इस सीट से राजा को 2009 में 85 हजार वोटों से जीत मिली थी। अब वोटरों में सीधा विभाजन साफ है। एक तरफ हैं
शहरी क्षेत्र के पढ़े-लिखे, कारोबारी,
युवा जो 2जी घोटाले को एक कलंक की तरह महसूस करते
हैं। इनमें हर कोई राजा को हराने के लिए कमर कस रहा है। दूसरी तरफ है निम्न आय वर्ग।
सब्जी, फल और नारियल पानी बेचने वाले, ऑटो
रिक्शा चालक, मजदूर और गांव के लोग। राजा की दरियादिली के इनके
बीच कई किस्से हैं। पेशे से टेलर रवि चन्द्रन की पत्नी और बच्चे पहाड़ी नदी की बाढ़
में बह गए थे। लाशें मिली थीं। दुखड़ा रोने के लिए वह राजा के पास गए थे। एक लाख की
फौरन मदद मिली। इन दिनों वे सिलाई का काम छोड़कर राजा की ध्वजा थामकर घूम रहे हैं।
ऐसे कई और किस्से सुनने को मिलते हैं। यहां से भाजपा प्रत्याशी एस. गुरुमूर्ति का नामांकन खारिज हो चुका है। एआईएडीएमके के गोपाल कृष्णन अच्छी
टक्कर दे रहे हैं। मुख्यमंत्री जयललिता जिन दो सीटों पर अपनी पार्टी की मुमकिन जीत
चाहती हैं उनमें पी. चिदम्बरम की शिव गंगा के अलावा दूसरी सीट
यही है। दूसरी ओर करुणानिधि ने राजा को वोट देने की अपील गुड गवर्नेंस के वादे के साथ
की है। लोग चटखारे लेकर कह रहे हैं कि इनकी गुड गवर्नेंस का 2जी से बड़ा कोई सबूत हो तो बताइए?
-अनिल नरेन्द्र
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