पिछले कई चुनावों में कांग्रेस को रायबरेली और अमेठी
संसदीय क्षेत्रों की चिन्ता कभी नहीं सताई और वह इन दोनों सीटों को टेकन फॉर ग्रांटेड
लेती रही है। वजह यह थी कि इन दोनों सीटों पर सोनिया और राहुल का राजनीतिक जादू सिर
पर चढ़कर बोलता रहा है। ऐसे में कांग्रेस को इन दोनों सीटों की कभी भी चिन्ता नहीं
हुई। लेकिन इस बार के चुनाव में हालात बदले-बदले नजर आ रहे हैं। रायबरेली से तो सोनिया की जीत निश्चित मानी जा रही है
पर पड़ोस की सीट अमेठी पर सियासी हालात तेजी से बदल रहे हैं। खबर है कि खुफिया एजेंसियों
ने चेताया है कि राहुल की अमेठी में स्थिति संतोषजनक नहीं है। जी-न्यूज ने तो एक सर्वे भी कराया था जिसके अनुसार भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी
को राहुल से बहुत आगे दिखाया गया। कुमार विश्वास (आप)
तीसरे नम्बर पर थे। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार स्मृति ईरानी
की चुनौती लगातार बढ़ रही है और उनका चुनाव प्रचार भी तेजी पकड़ने लगा है। इससे कांग्रेस
में भारी बेचैनी होना स्वाभाविक ही है। इतना ही नहीं, खुफिया
एजेंसियों का मानना है कि कुमार विश्वास राजनीतिक ड्रॉमेबाजी कर कांग्रेस का ही वोट
काटेंगे, जो पार्टी के लिए सिरदर्द पैदा कर सकता है। इससे भी
स्मृति ईरानी को लाभ मिल सकता है। कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि राहुल के
कंधों पर राष्ट्रव्यापी अभियान का भार है और इस वजह से उनके पास अपने संसदीय क्षेत्र
के लिए ज्यादा वक्त नहीं है। अन्य कारणों से भी राहुल अमेठी में ज्यादा समय नहीं लगाना
चाहते क्योंकि इससे यह संदेश जा सकता है कि राहुल को अमेठी से डर लगने लगा है। अमेठी
और रायबरेली में भाई और मां का चुनाव प्रचार देख रहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने जमीनी
हालात को समझते हुए दिल्ली से सोनिया को एसओएस भेजा है। उन्होंने बताया कि अमेठी में
और ताकत लगानी पड़ेगी क्योंकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार यहां कोई न कोई हर रोज सियासी
ड्रॉमा कर रहे हैं। दिल्ली सहित कई स्थानों से आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं की कई टोलियां
अमेठी संसदीय क्षेत्र में पहुंच चुकी हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने स्मृति ईरानी को उतारा
है, बेशक स्मृति के लिए यह नई जगह है लेकिन वे बड़े सधे अंदाज
में राहुल गांधी पर तीखे प्रहार कर रही हैं। स्मृति की मदद के लिए संघ परिवार ने कई
प्रदेशों से अमेठी में पांच हजार प्रचारकों को लगा दिया है। यह गांव-गांव जाकर सोनिया और राहुल के बारे में नकारात्मक बातें बता रहे हैं। नरेन्द्र
मोदी के धुआंधार प्रचार का भी स्मृति को सीधा फायदा हो रहा है। असल लड़ाई राहुल बनाम
नरेन्द्र मोदी बन गई है। इन्हीं वजहों से सोनिया गांधी पुत्र के प्रचार के लिए
10 साल बाद अमेठी पहुंचीं। दरअसल महंगाई और भ्रष्टाचार पर कांग्रेस को
हर जगह जनता की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में सोनिया गांधी अमेठी में कोई जोखिम
नहीं उठाना चाहतीं। वोट बैंक की हिफाजत में कोई कसर न रह जाने की रणनीति के तहत ही
अमेठी में पहुंचीं और सभा की। सोनिया गांधी ने अमेठी के लोगों को भावुक अपील करते हुए
कहाöबरसों पहले इंदिरा जी यहां आई थीं और अपने बेटे राजीव गांधी
को अमेठी परिवार को सौंप गई थीं। 2004 में मैंने भी अपना बेटा
दे दिया। मुझे वह दिन याद आ रहे हैं जब मैं राजीव गांधी के साथ यहां आती थी। इस सबसे
प्रतीत होता है कि अमेठी में राहुल के लिए अलग-अलग कारणों से
स्मृति ईरानी व कुमार विश्वास एक चुनौती पेश कर रहे हैं और सोनिया कोई जोखिम नहीं उठाना
चाहतीं।
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