Friday, 4 April 2014

मुशर्रफ ने जो जहर बोया था आज उसी का फल काट रहे हैं

यह पाकिस्तान जैसे देश में ही संभव है जहां सेना पमुख रह चुके व्यक्ति पर देशद्रोह का मुकदमा चल सके। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेना पमुख जनरल परवेज मुशर्रफ इन दिनों इसी जलालत के दौर से गुजर रहे हैं। या यूं कहा जाए कि परवेज मुशर्रफ अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के आरोप तय किए हैं।यह ऐसे आरोप हैं जिनके सिद्ध होने पर मौत की सजा दी जा सकती है। वह देश के पहले सैन्य शासक होंगे जिन पर इस तरह का अभियोग तय हुआ है। 1999 में पधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्ता पलटने के बाद जब उन्होंने देश की जबरन सत्ता संभाली तो पहला निशाना नवाज शरीफ को ही बनाया था। अमेरिका जैसी ताकतों व सउदी अरब शाही परिवार के हस्तक्षेप से शरीफ किसी तरह जान बचाकर देश के बाहर भाग सके थे। समय का फेर देखिए कि आज वही नवाज शरीफ बाकायदा चुनाव जीतकर सत्ता पर काबिज हैं और मुशर्रफ बुढ़ापे में जेल की हवा खा रहे हैं। इस समय पाकिस्तान की वही न्यायपालिका मुशर्रफ के पीछे हाथ धोकर पड़ गई है जिसे उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा ठेंगा दिखाया और थोकभाव से इनमें से कइयों को जेल में ठूंस दिया था। 2007 में पहले मुशर्रफ ने सुपीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी को जबरदस्ती छुट्टी पर भेजने का आदेश दे दिया, लेकिन कोर्ट की 13 जजों की बैंच ने बड़े बहुमत के साथ छुट्टी रद्द कर दी और मुख्य न्यायाधीश को फिर से पदभार संभालने को कहा। इसके बाद परवेज मुशर्रफ ने आपातकाल घोषित करके न सिर्फ चौधरी को बर्खास्त कर दिया बल्कि अदालत परिसर में सेना को भेज दिया और जजों को गिरफ्तार करवा दिया। उनके गुस्से की वजह सिर्फ इतनी थी कि अदालत उस याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें यह कहा गया था कि परवेज मुशर्रफ सेना के पद पर रहते हुए राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि इसके बाद जो घटनाकम हुआ उसमें मुशर्रफ की सत्ता ही उनके हाथ से निकल गई और उन्हें लंदन में शरण लेनी पड़ी। फिलहाल मुशर्रफ की बचने की उम्मीद बहुत कम है। उन्होंने अदालत में अपनी बेगुनाही का इजहार करते हुए अपने को देशभक्त साबित करने की दलीलें पेश कीं। इसके पहले उन पर पूर्व पधानमंत्री बेनजीर भुट्टो एवं राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती की हत्या से संबंधित मुकदमे चल रहे हैं। पिछले साल वह इस उम्मीद से पाकिस्तान लौट आए कि वह चुनाव लड़कर फिर से पाकिस्तान की सत्ता संभाल लेंगे लेकिन अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया। इतना ही नहीं उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया। जजों को जेल भेजने वाले मुशर्रफ को अब अदालत ने बुरी तरह से फंसा दिया है। अपने शासन काल में मुशर्रफ ने कई ऐसे काम किए जिनके लिए अब उन्हें जवाबदेह होना होगा। उन्हीं के इशारे पर भारत में बड़े पैमाने पर सैन्य घुसपैठ हुई थी, परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ। बेनजीर भुट्टो की हत्या के पीछे भी मुशर्रफ का हाथ बताया जाता है। इस्लामिक आतंकवाद को सबसे ज्यादा बढ़ावा मुशर्रफ के कार्यकाल में ही मिला। ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में पनाह भी मुशर्रफ ने ही दी थी। पाकिस्तान में तालिबान को ताकतवर बनाने के दुष्परिणाम आज पाकिस्तान भुगत रहा है। मुशर्रफ ने जो जहर बोया था आज उसी का फल काट रहे हैं।

-अनिल नरेंद्र

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