Friday, 4 April 2014

आजमगढ़ में गुरू-चेले में भिड़ंत तो इलाहाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला

उत्तर पदेश के सियासी दंगल में इस बार कई चुनाव मजेदार होने वाले हैं। आजमगढ़ की बात करें तो वाराणसी से नरेंद्र मोदी की घोषणा होते ही आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का एलान कर समाजवादी पाटी पमुख मुलायम सिंह यादव ने दांव तो बड़ा चला लेकिन पूर्वांचल में बहुत असर डालने की रणनीति फिलहाल परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। भाजपा के बाहुबली सांसद रमाकांत यादव के मुकाबले मुलायम का पलड़ा भरी भले ही नजर आए लेकिन यहां उन्हें वाकओवर तो नहीं मिला है। भाजपा पत्याशी के साथ-साथ उन्हें बसपा और कौमी एकता फेक्टर से खतरा है। मुलायम की ताकत मुस्लिम-यादव समीकरण है। आजमगढ़ में उनके इस पुराने नुस्खे की कड़ी जोर आजमाइश हो रही है। यही कारण है कि सपा सुपीमो की चुनाव की कमान खुद सूबे के मुख्यमंत्री व पुत्र अखिलेश यादव संभाल रहे हैं। सांपदायिक रूप से बेहद ध्रुवीकरण हुए माहौल में भाजपा के रमाकांत यादव पिछली बार यहां से चुनाव जीते थे। खास बात है कि वह न सिर्फ सपा में रहे हैं बल्कि मुलायम के चेले भी रहे हैं। वह 1996 99 में सपा, 2004 में बसपा और 2009 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। इस दफा मुलायम व रमाकांत को बड़ी चुनौती देने के लिए बसपा ने स्थानीय विधायक व मुस्लिम गुड्डू जमाली को टिकट दिया है। मुलायम के आने से पहले रमाकांत और जमाली में भिड़ंत मानी जा रही थी, लेकिन मुलायम के मैदान में उतरने से सियासी समीकरण बदल गए हैं। अगर हम इलाहाबाद की बात करें तो यहां की लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरणों और पुराने विश्वास पात्रों की जंग में भाजपा और बसपा इस बार उत्तर पदेश की यह सीट सत्तारूढ़ सपा से छीनने की कोशिश में है। समाजवादी पाटी ने इस सीट पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान सांसद पुंवर रेवती रमण सिंह को उतारने की बात स्पष्ट की है। वहीं बहुजन समाज पाटी ने पिछले चुनाव में इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे और ब्राह्मण उम्मीदवार को पाटी से निष्कासित कर दिया है और 2014 के चुनाव में ओबीसी महिला को पाटी पत्याशी बनाया है। सपा और बसपा दोनों को चुनावी जंग में परास्त करने के इरादे से भाजपा ने इस सीट पर पूर्व सपा नेता और कारोबारी श्यामा चरण गुप्ता को उम्मीदवार बनाकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया है। गुप्ता पहले भाजपा में ही थे लेकिन बाद में सपा में चले गए थे और एक बार बांदा से भी सांसद रहे लेकिन इस बार सपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने भाजपा का दामन थामा और उन्हें टिकट भी मिल गया। बसपा ने इस चुनाव में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केराती देवी पटेल को टिकट दिया है। पाटी के पक्ष में ओबीसी मतदाताओं को लामबंद करेंगी। सपा ने दो बार सांसद रहे रेवती रमण सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। रेवती रमण सिंह ने 2004 में तीन बार सांसद रहे भाजपा के डा. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ जबरदस्त जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को इस सीट पर 1984 के बाद कोई सफलता नहीं मिली जब अभिनेता अमिताभ बच्चन ने वरिष्ठ राजनीतिक हेमवती नंदन बहुगुणा को करीब दो लाख मतों से हराया था। पिछले चुनाव में 2009 में जब कांग्रेस का पदर्शन उत्तर पदेश में अच्छा रहा था और पाटी ने 26 सीटें जीती थीं तब भी कांग्रेस पत्याशी इस सीट पर चौथे स्थान पर रहे थे और उन्हें 10 पतिशत से कम वोट पाप्त हुए थे। आम आदमी पाटी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की पर ऐसी अटकलें हैं कि पाटी इस सीट से पशांत भूषण को उतार सकती है।

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