Thursday 10 April 2014

मीरा कुमार, सुषमा स्वराज, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की जीत लगभग तय है

दलित राजनीति के जाने माने स्तंभ रहे पूर्व उप पधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के कार्यक्षेत्र सासाराम में उनकी बेटी और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार फिर मैदान में हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मीरा कुमार का मुकाबला जनता दल (यू) से दल बदल करे आए छेदी पासवान से इतना नहीं जितना नरेंद्र मोदी से है। भाजपा का जनाधार माने जाने वाले सवर्ण मतदाता अगर पासवान को वोट देते हैं तो सिर्फ नरेंद्र मोदी को देश की कमान सौंपने के लिए देंगे। जनता दल (यू) ने पूर्व आईएएस केपी रमैया को मैदान में उतारा है। बिहार में कांग्रेस 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और सासाराम उसकी सबसे मजबूत सीट मानी जा रही है। मीरा कुमार के खाते में उनके पिता स्वगीय बाबू जगजीवन राम की विरासत, पति मंजुल कुमार की कुशवाहा बिरादरी है। राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा कद स्थानीय राजनीति के फल-पसंग और दांव-पेच से टूटी, नहर, सड़क और सासाराम स्टेशन पर ट्रेनें रुकवाने जैसे विकास के काम और राजद के गठबंधन से मुस्लिम और यादव मतदाताओं का एक मुश्त समर्थन जैसी बातें मीरा कुमार का पलड़ा भारी बना रहा है। भाजपा समर्थक अपने पक्ष में दो बातें गिनाते हैं। मोदी की लहर है और लहर ही छेदी पासवान की नैया पार लगाएगी। बसपा उम्मीदवार बालेश्वर भारती और जद (यू) पत्याशी केपी रमैया के मैदान में रहने से दलित वोट में विभाजन हो रहा है जबकि भाजपा के पक्ष में सभी एकजुट हैं। इसलिए मुकाबला कांटे का है। मध्य पदेश में होने वाले चुनावों के लिए लोकसभा में पतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री कमलनाथ एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हैं। हरियाणा निवासी सुषमा विदिशा संसदीय सीट से लगातार दूसरी बार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रही हैं। 2009 में उन्होंने यहां से पहली बार चुनाव जीता था। उन्हें इस सीट पर पहली बार बड़ी आसानी से जीत हासिल हुई थी क्योंकि तब के कांग्रेस पत्याशी राजकुमार पटेल का नामांकन कुछ तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विदिशा से इस बार सुषमा के लिए संसद में पहुंचने की राह कठिन बनाने के लिए कांग्रेस ने पाटी महासचिव एवं पदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह को उनके खिलाफ मैदान में उतारा है। लक्ष्मण इस सीट पर पहली बार लड़ रहे हैं और वह भाजपा में भी रह चुके हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ अपनी परंपरागत सीट छिंदवाड़ा से ही लड़ रहे हैं। यहां से 1997 के उपचुनावों को छोड़कर कांग्रेस ने 1957 से लगातार इस सीट पर विजय हासिल की है। वह इस सीट से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं तथा नौंवीं बार इस सीट से फिर उम्मीदवार हैं। भाजपा ने उनके सामने चौधरी चंद्रभान सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कमलनाथ की जीत लगभग तय सी है। श्री माधव राव सिंधिया के बेटे और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर गुना संसदीय सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यह पूरा इलाका किसी समय ग्वालियर की पूर्व सिंधिया रियासत के अधीन रहा है और यही वजह है कि चंबल-ग्वालियर की किसी सीट से सिंधिया घराने का कोई पत्याशी कभी चुनाव में पराजित नहीं हुआ है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से पहली बार 2002 के उपचुनाव में चुने गए थे।  इनका यहां से जीतना लगभग तय है।

öअनिल नरेन्द्र

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