Tuesday 29 April 2014

कानपुर और संगम नगरी इलाहाबाद में जबरदस्त टक्कर!

उत्तर प्रदेश की औद्योगकि राजधानी के रूप में मशहूर कानपुर अपनी पहचान लगातार खोता जा रहा है। बंद होती मिलें और मजदूरों का पलायन रोकने की कोशिश किसी ने नहीं की। लाल इमली एल्गिन मिल, जेके जूट मिल जैसी कई औद्योगिक इकाइयां हैं जिनके उत्पाद देश ही में नहीं, विदेशों में अपनी गुणवत्ता का लोहा मनवाते रहे हैं। यह सब बंद हो चुकी हैं। कानपुर से इस बार चुनाव में भाजपा ने अपने दिग्गज डॉ. मुरली मनोहर जोशी को उतारा है। मुकाबले में हैं कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल। सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं और भारत सरकार के कोयला मंत्री हैं। वह दावा करते हैं कि जितना विकास पिछले 15 वर्षों में कानपुर में हुआ है उतना कभी नहीं हो पाया। उम्मीद जताते हैं कि चौथी बार फिर यहां की जनता उन्हें संसद भेजेगी। भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी के प्रत्याशी बनाए जाने से कानपुर का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है और कांटे का हो गया है। बसपा ने सलीम अहमद को मैदान में उतारा है। हालांकि पिछली बार भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन बाद में टिकट सुखदा मिश्रा को दे दिया। आप ने मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए डॉ. महमूद हुसैन रहमानी को मैदान में उतारा है। हालांकि डॉ. रहमानी पहली दफा लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी ने पहले कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन राजू ने स्थानीय इकाई का साथ न मिलने की बात कह मैदान छोड़ दिया था। इस पर पार्टी ने एक बार फिर सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में वह चौथे स्थान पर रहे थे। डॉ. जोशी की एक बड़ी मुश्किल उनकी तुनकमिजाजी है। वह पार्टी कार्यकर्ताओं को यह याद दिलाते रहते हैं कि उनका कद कितना बड़ा है। वे यह बताना भी नहीं भूलते कि कैसे वह अटल जी और आडवाणी जी को भी सलाह देते रहे हैं। डॉ. जोशी को यह पसंद नहीं कि बगैर इजाजत लिए पार्टी के नेता ठेठ कानपुरिया अंदाज में उनके कमरे में घुस आएं। श्रीप्रकाश जायसवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मुलायम सिंह के प्रभाव के चलते यहां मुस्लिम वोट बैंक का एक बड़े हिस्से को सपा में जाने से रोकना। आप उम्मीदवार डॉ. महमूद रहमानी जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ हैंलेकिन वे किसी भी वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पा रहे। डॉ. जोशी को जहां मोदी लहर का लाभ मिलेगा। वहीं श्रीप्रकाश जायसवाल को एंटी इन्कम्बैंसी व कोयला घोटाले से उत्पन्न स्थिति का मुकाबला करना है। लड़ाई इन दोनों के बीच है। अब बात करते हैं संगम नगरी की। इलाहाबाद का नाम केवल संगम के साथ ही नहीं जुड़ा है। आजादी की लड़ाई के दौरान सियासत का केंद्र रहा आनंद भवन इस बात की गवाही देता है कि इलाहाबाद देश को लगातार सियासी शक्ति देता रहा है। पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ ही लाल बहादुर शास्त्राr, विश्वनाथ प्रताप सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा, छोटे लोहिया, जानेश्वर मिश्रा और भाजपायी दिग्गज डॉ. मुरली मनोहर जोशी की साख इसी शहर से बढ़ी। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी इसी क्षेत्र से राजनीति का पाठ सीखा। ऐसे धुरंधरों के कारण ही इलाहाबाद संसदीय सीट वर्षों तक वीआईपी सीट रही पर पिछले कुछ वर्षों से यह दर्जा छिन गया है। इस बार के चुनाव के मुकाबले में हैं सपा के रेवती रमण सिंह, भाजपा के श्याम चरण गुप्ता, कांग्रेस के नंदगोपाल नंदी और आप के आदर्श शास्त्राr। इलाहाबाद में लगातार दो बार से सांसद रेवती रमण सिंह की पार्टी में मजबूत पकड़ है और प्रशासनिक हलकों में धमक रही है। क्षेत्र का कोई गांव ऐसा नहीं जहां लोग उन्हें पहचानते नहीं। रेवती का दावा है कि उन्होंने पिछले 10 वर्षों में इलाहाबाद में कई विकास कार्य किए हैं। इलाहाबाद के मतदाता नेताओं को सिर पर बैठाते हैं तो उन्हें पैदल करने में भी देर नहीं करते। यही कारण है कि यहां से  लगातार तीन चुनाव जीतने का रिकार्ड भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ही बना सके। उनके कारण ही यह सीट भाजपा का गढ़ बनी लेकिन रेवती रमण सिंह ने `इंडिया शाइनिंग' के दौर में उन्हें पराजित किया। रेवती भी लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं और यहां से हैट्रिक लगाने की संभावना है। भाजपा उम्मीदवार श्यामाचरण गुप्ता दो महीने पहले तक सपा में थे। मोदी लहर और पुराने सम्पर्कों पर उन्हें भरोसा है। दावा तो वह यह भी करते हैं कि रेवती रमण सिंह के तमाम सिपहसालारों के सम्पर्प उनसे अब भी हैं। बसपा की केराटी देवी पटेल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं और बसपा कैडर की मजबूत नेता हैं। 2004 में फूलपुर से उम्मीदवार बनाया था, दूसरे नंबर पर रही थीं। कांग्रेस के नंदगोपाल गुप्ता बसपा सरकार में मायावती के करीबी रहे। माना जा रहा है कि वह किसी के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकते हैं। लेकिन केंद्र में एंटी इन्कम्बैंसी फैक्टर और पार्टी की स्थिति उनती मजबूत नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्राr के पौत्र और कांग्रेस नेता अनिल शास्त्राr के पुत्र आदर्श शास्त्राr आप पार्टी के उम्मीदवार हैं। शास्त्राr जी के नाम और केजरीवाल के आंदोलन का सहारा है। कायस्थ मतदाताओं से भी समर्थन की उम्मीद है। कुल मिलाकर कांटे के मुकाबले में रेवती रमण को हराना मुश्किल लग रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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