Friday, 25 April 2014

मोदी के मिशन 272+ में सबसे बड़ी बाधा हैं यह तीन देवियां

पिछले एक दशक से ज्यादा समय भाजपा केंद्र में विपक्ष की भूमिका निभाती रही है। इन 10 वर्षों में पहली बार भाजपा को उम्मीद की किरण नजर आ रही है और उम्मीद की यह किरण नरेन्द्र मोदी हैं।  नरेन्द्र मोदी ने सितम्बर 2013 से ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था और अब तक 500 से ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। अगर भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव में भी नहीं जीतती तो कई वर्षों के लिए फिर विपक्ष में ही बैठना पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी इज द बैस्ट बैट फॉर भाजपा। नरेन्द्र मोदी को केंद्र की सत्ता में पहुंचने के लिए दिन-रात एक कर अगले चार चरणों के चुनाव में ये तीन देवियों की चुनौती से पार होना होगा जो उनके चुनावी रथ को रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। अगले चार चरणों में जिनमें एक चरण 24 अप्रैल को पूरा हो गया है ये उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की कुल 161 सीटों में से अधिकतम सीटों पर मतदान है और यहां से ज्यादा से ज्यादा सीटें भाजपा की झोली में डालने के लिए मोदी को ममता बनर्जी, जयललिता और मायावती की चुनौती को तोड़ना होगा। अपने अक्खड़ विचारों तथा दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए मशहूर ममता बनर्जी का  प्रभाव आज भी पश्चिम बंगाल में बरकरार है। 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में 2009 में तृणमूल कांग्रेस को 19, कांग्रेस को छह तथा वाम दलों को 16 सीटें मिली थीं। इस बार अधिकांश स्थानों पर भाजपा को तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी तथा कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है। 39 लोकसभा क्षेत्रों वाले तमिलनाडु में पहली बार कमल खिलाने के लिए भाजपा डीएमडीके समेत पांच दलों के साथ तालमेल कर चुनाव मैदान में उतरी है। पिछले लोकसभा चुनाव में द्रमुक को 19, अन्नाद्रमुक को नौ तथा कांग्रेस को आठ सीटें मिली थीं। वर्ष 1991, 2001, 2002 और 2011 में इस राज्य की मुख्यमंत्री बनीं जयललिता की पूरी कोशिश है कि भाजपा यहां पैर नहीं जमा पाए। दूसरी ओर दक्षिण में परम्परागत रूप से कमजोर पार्टी मानी जाती भाजपा को इस बार पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। पार्टी को उम्मीद है कि वह दक्षिण में अपने सहयोगियों के साथ 25-30 सीटें तो जीत ही लेगी। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में लोगों ने देखा है कि पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया। पिछले आठ महीनों में मोदी ने इन राज्यों में कई रैलियां की हैं। इन तीनों राज्यों में पार्टी ने स्थानीय ताकतों के साथ गठबंधन किया है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू कहते हैं कि हम दक्षिण भारत से इस बार 50 सीटें जीत लेंगे। 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर तमाम प्रमुख पार्टियों की नजरें जमी हुई हैं। भाजपा ने इस राज्य को सबसे महत्वपूर्ण माना है और मोदी न केवल यहां से चुनाव लड़ रहे हैं बल्कि जाति की राजनीति को लेकर चर्चित यहां के लोगों को अपनी पार्टी के पक्ष में गोलबंद करने के लिए अधिक समय दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी के कब्जे वाले इस राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने लगभग दो साल पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी और इसके लिए उम्मीदवारों का चयन भी कर लिया था। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा को यहां से 23, कांग्रेस को 21 और भाजपा को 10 सीटें मिली थीं। बसपा के 19 प्रत्याशी विजयी हुए थे और 46 स्थानों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा को नौ तथा सपा को 16 तथा कांग्रेस को सात क्षेत्रों में दूसरा स्थान मिला। भाजपा के यूपी प्रभारी अमित शाह को उम्मीद है कि 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी को 50 सीटें मिलेंगी। मोदी के मिशन 272+ में सबसे बड़ी बधाए हैं यह तीन देवियां।

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