Friday 11 April 2014

झारखंड और छत्तीसगढ़ में शांतिपूर्ण चुनाव कराना सबसे बड़ी चुनौती है

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत झारखंड के चार लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में 10 अपैल को वोट डाले जाएंगे। ये क्षेत्र हैं कोडरमा, चतरा, पलामू और लोहरदगा। उधर छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट पर भी 10 अपैल को वोट पड़ेंगे। ये सभी इलाके नक्सल पभावित हैं। जंगल-पहाड़ों से घिरे इन इलाकों में शांतिपूर्ण चुनाव कराना चुनाव आयोग और पशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। पहले बात करते हैं झारखंड की सीटों की। अभी लोहरदगा सीट पर भाजपा, पलामू पर झामुमो, चतरा पर निर्दलीय और कोडरमा पर झाविमो का कब्जा है। चारों सीटों पर इस बार समीकरण बदले हुए हैं। पलामू में इस बार झामुमो नहीं लड़ रहा है। पिछली बार झामुमो के टिकट पर निर्वाचित होकर सांसद बने कामेश्वर बैठा इस बार तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। झामुमो ने यहां यूपीए के अपने सहयोगी राजद के उम्मीदवार को सर्मथन देने का फैसला किया है। कोडरमा क्षेत्र से इस बार भाजपा के पदेश अध्यक्ष रविन्द्र राय लड़ रहे हैं। झाविमो के बाबूलाल मरांडी ने यहां से खुद लड़ने की बजाय पणव वर्मा को उतारा है। कांग्रेस के परंपरागत उम्मीदवार तिलकधारी सिंह और माकपा माले के राजकुमार यादव भी मैदान में हैं। खतरा झारखंड का सर्वाधिक नक्सल पभावित इलाका है। यहां से  पिछली बार इंदर सिंह नामधारी निर्दलीय लड़कर जीते थे। इस बार नामधारी मैदान से बाहर हैं। भाजपा ने सुनील सिंह को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार और राज्यसभा सदस्य धीरज साहू को उतारा है। लोहरदगा से पिछली बार सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के रामेश्वर उरांव और निर्दलीय चमरा लिंडा को हराया था। इस बार भी यही तीन उम्मीदवार हैं। एक दशक से भी ज्यादा समय से सरकार और माओवादियों के बीच जंग का मैदान बन चुके छत्तीसगढ़ के बस्तर में 10 अपैल को वोट पड़ने हैं। पुख्ता सूचनाएं हैं कि बस्तर में मतदान के मौके पर नक्सली बड़ी वारदात की तैयारी में हैं। रविवार को तो उन्होंने एक मतदान पाटी को निशाना बनाया और राजनांदगांव में आईईडी विस्फोट किया। इसमें दो जवान घायल हो गए। आदिवासी हमेशा की तरह खामोश हैं। बस्तर संसदीय क्षेत्र की चुनावी जंग में आम आदमी पार्टी पत्याशी सोनी सोरी ने मुकाबला रोमांचक बना दिया है। राष्ट्रीय मीडिया में भले ही बस्तर चुनाव का बहुत ज्यादा जिक नहीं हो रहा है लेकिन सोनी के समर्थन में उतरे देश-विदेश के लगभग 200 एनजीओ ने इसे इंटरनेट समेत मीडिया में चर्चा का विषय तो बना दिया है। पुलिस के जुल्मों से पीड़ित रही यह आदिवासी महिला सोनी यहां मौजूदा सांसद व भाजपा के दिनेश कश्यप और कांग्रेस के दीपक कर्मा के खिलाफ मैदान में ताल ठोंक रही हैं। हालांकि सपा, बसपा समेत कुल आठ पत्याशी मैदान में हैं। कश्यप को अपने पिता व यहां से चार बार सांसद रहे बलिराम कश्यप की छवि, मोदी की लहर और पदेश सरकार में सगे भाई के मंत्री होने का लाभ मिल रहा है  जबकि नक्सली हमले में मारे गए महेन्द्र कर्मा के बेटे दीपक कर्मा अब भी सहानुभूति वोट पाने की उम्मीद से कांग्रेसी पत्याशी हैं। स्वामा अग्निवेश से लेकर पशांत भूषण तक सोनी के पक्ष में पचार कर चुके हैं। हालांकि नक्सलियों ने यहां चुनाव का बहिष्कार कर इसमें भाग लेने वालों को धमकी दे रखी है। इसके बावजूद बस्तर के 12.93 लाख मतदाता बृहस्पतिवार को अपने मताधिकार का पयोग करेंगे। मुख्य मुकाबला सोनी सोरी, दिनेश कश्यप और दीपक कर्मा के बीच दिखता है।

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