Wednesday 23 April 2014

महबूबा मुफ्ती, संजय निरूपम व अक्षय यादव के भाग्य का 24 को फैसला

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस  गठबंधन सरकार से मोहभंग की स्थिति अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र से दिख रही है। सरकार में शामिल दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता आपस में लड़ रहे हैं और पूरे सूबे में सत्ता विरोधी लहर दिख रही है। ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस के लिए अनंतनाग सीट को बरकरार रखने की लड़ाई मुश्किल लग रही है। पीपुल्स डेमोकेटिक पार्टी यानि पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दक्षिण कश्मीर की इस सीट से चुनाव लड़ रहे मौजूदा सांसद डॉ. महबूब बेग के खिलाफ उतर कर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। अनंतनाग सीट पर 24 अप्रैल को मतदान होगा। अनंतनाग को पीडीपी का गढ़ भी माना जाता है। दक्षिण कश्मीर के 16 विधायकों में से 12 पीडीपी के हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में डॉ. बेग ने कांग्रेस के समर्थन से पीडीपी के उम्मीदवार पीर मुहम्मद हुसैन को 5224 के मामूली अन्तर से हराया था। उस समय लोकसभा के चुनाव विधानसभा चुनावों से पहले हुए थे और पीडीपी विपक्ष में थी। लेकिन इस बार पीडीपी उमर अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ बन रही लहर का फायदा उठाने को तैयार है, साथ ही महबूबा मुफ्ती के सीधे मैदान में उतरने से उनका पलड़ा भारी हो गया है। महबूबा को हराना मुश्किल है। जम्मू-कश्मीर की वादियों से अब चलते हैं देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई की ओर। महाराष्ट्र की उत्तर मुम्बई लोकसभा सीट पर 24 अप्रैल को मतदान होगा और यहां कांग्रेस के वर्तमान सांसद संजय निरूपम को भाजपा के गोपाल शेट्टी से बड़ी चुनौती मिल रही है। निरूपम ने वर्ष 2009 के चुनाव में 5000 से कुछ अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। इस बार उनका मुकाबला शेट्टी, आईआईएम के स्नातक सतीश जैन (आप) तथा सपा के कमलेश यादव से है। वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस विरोधी वोट भाजपा और मनसे के  बीच बंट गए थे। जिसका सीधा फायदा निरूपम को हुआ था। निरूपम को 3,55,157 वोट, भाजपा प्रत्याशी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नायक को 2,49,378 और मनसे प्रत्याशी सिरोप पार्पर को 1,47,502 वोट मिले थे। आप प्रत्याशी सतीश जैन क्षेत्र के विकास के लिए टेस्क्ट बुक मैनेजमेंट के सिद्धांतों को लागू करने पर जोर दे रहे हैं। उत्तर मुम्बई की इस महत्वपूर्ण सीट पर मोदी फेक्टर का कितना असर होता  इसका पता तो ईवीएम खुलने पर ही लगेगा। अब मुम्बई से चलते हैं उत्तर प्रदेश के चूड़ियों के लिए विख्यात फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र। यहां पिछले डेढ़ साल से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। अपने पिता द्वारा राजनीति की बिसातें तो बिछी देखीं लेकिन अक्षय को इस सुहाग नगरी में आकर ही राजनीति का क, , ग सीखने को मिला है। प्रो. रामगोपल यादव ने अपने बेटे अक्षय के लिए ऐसी सीट का चुनाव किया जो उपचुनाव में सिने स्टार राज बब्बर सपा की झोली से छीन ली थी। पिछले डेढ़ साल में अखिलेश सरकार ने करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की मंजूरी दिलाई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चुनाव जीतने के बाद अब उपचुनाव में उनकी पत्नी डिम्पल यादव को हार का सामना करना पड़ा तो इस सीट पर उतरने के दौरान जरूर परिवार को कई बार सोचना पड़ा होगा, लेकिन उपचुनाव में हुए भीतरघात को अब डेढ़ साल में धीरे-धीरे पाटने का काम भी अक्षय ने किया है। अक्षय का यहां मुकाबला पूर्व सांसद व भाजपा प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल से है। पूर्व में दो बार फिरोजाबाद से चुनाव भी लड़ चुके हैं। कांग्रेस के अतुल चतुर्वेदी व बसपा के विश्वदीप सिंह तथा आम आदमी पार्टी के राकेश यादव भी मैदान में हैं। इस बार सिने स्टार राज बब्बर फिरोजाबाद सीट से नहीं लड़ रहे हैं। ईमानदार छवि, सरल स्वभाव और विरोधियों पर कोई प्रहार न करना अक्षय यादव की ताकत मानी जा रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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