दिल्ली का चुनाव
अब ग्लैमर्स होता जा रहा है। चुनावी रण में अब धमाल मचाएंगी चार देवियां। यही नहीं
कुछ मायनों में तो अब मुद्दों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं चेहरे। सूबे में
महिलाओं की सुरक्षा पर लगातार उठ रहे सवालों के बीच लड़े जा रहे दिल्ली विधानसभा के
चुनावी दंगल में उतरीं बेहद पॉवरफुल देवियों ने समूचे सियासी मुकाबले की तस्वीर बदल
दी है और कुछ मायनों में इस चुनाव को दिलचस्प भी बना दिया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी, पूर्व मंत्री प्रो. किरण वालिया, चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी
और आप की पूर्व सदस्य शाजिया इल्मी के मैदान में आने के बाद चुनाव की लड़ाई नए रंग
में आ गई है। इन हाई-प्रोफाइल महिलाओं के चुनाव में उतरने का
सबसे जोरदार असर नई दिल्ली सीट पर देखने को मिल सकता है। यहां से कांग्रेस ने प्रो.
किरण वालिया को अपना प्रत्याशी बनाना लगभग तय कर लिया है, वहीं भाजपा की ओर से किरण बेदी या शाजिया इल्मी को उतारे जाने के संकेत मिल
रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो यह तय है कि समूची दिल्ली की निगाहें नई दिल्ली सीट पर
रहेंगी। राजधानी के सियासी सफर की बात करें तो शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज सरीखी
चन्द प्रतिष्ठित महिलाओं को अपवाद मान लें तो राजनीतिक मोर्चे पर महिलाएं कभी आगे नहीं
रही हैं ऐसे समय में यदि भाजपा शहर और देश की चर्चित किरण बेदी को नेतृत्व सौंपने की
तैयारी कर रही है तो रेप कैपिटल के नाम से बदनाम इस शहर के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
अपने सख्त प्रशासनिक तेवरों के लिए जानी जाने वाली बेदी दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर
पर भी बेहतरीन शासक साबित हो सकती हैं। राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी प्रसिद्ध
शास्त्राrय नृत्यांगना हैं। कांग्रेस के टिकट पर ग्रेटर कैलाश
विधानसभा क्षेत्र से उनके चुनाव ल़ड़ने की भूमिका पहले ही तैयार हो गई है। दिल्ली में
मिनी बंगाल कहे जाने वाले चितरंजन पार्प इलाके से ताल्लुक रखने वाली ग्रेटर कैलाश सीट
पर शर्मिष्ठा के आ जाने से भाजपा और आप जैसे अन्य दलों के सामने मजबूत उम्मीदवार उतारने
की विवशता जरूर हो गई है। एक साल में समस्याएं खत्म हो गई हैं या फिर बदले हालात में
राजनीतिक दलों ने रास्ता व मुद्दे बदल लिए हैं। आम आदमी पार्टी इस बार जनलोकपाल बिल
सहित अन्य मुद्दों को जोरशोर से उठाती नहीं दिख रही है। तो भाजपा दिल्ली में बिजली
बिलों के दाम घटाने सहित कई मुद्दों से किनारा किए हुए है। कांग्रेस में शीला की जगह
अजय माकन का चेहरा सामने है तो वह केंद्र के काम भी गिनवा रहे हैं। हालांकि पार्टियां
जब अपने घोषणा पत्र जारी करेंगी तो कई मुद्दे इसमें दिख सकते हैं। वोटरों के बीच मुद्दों
से ज्यादा चेहरा इस चुनाव में हावी होता दिख रहा है। आप अरविंद केजरीवाल का चेहरा दिखाकर
चुनाव जीतना चाह रही है तो भाजपा किरण बेदी का और कांग्रेस अजय माकन का। वोटर भी इनकी
तुलना में जुट गए हैं। कुल मिलाकर इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने वाला
है जिसमें हर तरह का मसाला होगा।
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