Thursday 29 January 2015

सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला का निधन

विश्व के शीर्ष तेल निर्यातक और इस्लाम के आध्यात्मिक केंद्र सऊदी अरब को आधुनिक बनाने वाले शाह अब्दुल्ला का गत शुकवार को इंतकाल हो गया। वे 90 वर्ष के थे। अब्दुल्ला सऊदी अरब के संस्थापक शाह अब्दुल अजीज अलसउद के 12वें पुत्रों में से एक थे। उन्हें दिसंबर में निमोनिया के कारण अस्पताल में भती किया गया था। किंग फहद के बीमार होने के बाद 1995 में अब्दुल्ला ने अनौपचारिक तौर पर सत्ता संभाली थी। 2005 में उन्हें सुल्तान घोषित किया गया। अब्दुल्ला पहले ऐसे सऊदी शासक थे जिन्होंने वेटिकन जाकर पोप से मुलाकात कर दूसरे धर्में के पति सम्मान दर्शाया। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण किया। देश से हजारों युवाओं को सरकारी खर्चे पर विदेशों में पढ़ने के लिए भेजा। किंग अब्दुल्ला ने अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ खुलकर अमेरिका और पश्चिमी देशों का साथ दिया। कट्टरपंथियों के खिलाफ अभियान चलाया और सेना की मजबूती पर 150 अरब डॉलर खर्च किए। सऊदी अरब के भारत में राजदूत हामिद अली राव ने कहा कि अब्दुल्ला भारत के एक अच्छे दोस्त थे। उनके लिए भारत उनका दूसरा घर था। अब्दुल्ला के शासन काल के दौरान ही दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी की नींव पड़ी थी। दिल्ली घोषणा पत्र (2006) और रियाद घोषणा पत्र (2010) में इसकी साफ झलक दिखती है। अब्दुल्ला ने जनवरी 2006 में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत का ऐतिहासिक दौरा किया था और इस दौरे ने भारत-सऊदी संबंधों को एक नया आयाम दिया था। वह 51 वर्ष में भारत का दौरा करने वाले पहले सऊदी शाह थे। 21 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति थी और वह दुनिया के आठवें सबसे अमीर शख्स थे। 22 बच्चे और सात बीबियां अपने पीछे छोड़ गए हैं सुल्तान अब्दुल्ला। वह खुद शाह अब्दुल अजीज अल-सऊद के 37 बेटों में से एक थे। सऊदी अरब के नए सुल्तान सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद देश के शीर्ष राजनेताओं में गिने जाते हैं। करीब 50 साल रियाल के गवर्नर पद संभालने के अलावा उन्होंने शाही परिवार के अंदरूनी झगड़ों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। 79 वषीय सलमान कई वर्षें से बीमार अपने सौतेले भाई किंग अब्दुल्ला का कामकाज संभाल रहे थे। किंग अब्दुल्ला की तरह सुल्तान भी सऊदी अरब के संस्थापक किंग अजीज उल सऊद के बेटों में से एक हैं। किंग सुल्तान के सामने कई चुनौतियां हैं। देश में 25 साल से कम उम्र के एक करोड़ युवाओं को रोजगार दिलाना। महिलाओं को ड्राइविंग, इंटरनेट समेत बोलने-लिखने की आजादी देना। सलमान खुद पक्षपात के शिकार, अल्जाइमर और डिमेंशिया से पीड़ित हैं। अगली पीढ़ी के उत्तराधिकारी को लेकर देश में अभी से शंकाएं उठने लगी हैं। सीरिया, यमन में अशांति से निपटना व ईरान से संबंधों को लेकर उनकी परीक्षा होगी। महिलाओं व अन्य लोकतांत्रिक अधिकारियों को आगे बढ़ाने की चुनौती भी होगी। अलकायदा व इस्लामिक स्टेट से निपटना भी नए सुल्तान की चुनौती होगी। हम सुल्तान अब्दुल्ला को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।

-अनिल नरेंद्र

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