Friday 23 January 2015

ओबामा की सुरक्षा पर अमेरिकी जिद्द ः भारत ने ठुकराई

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की दो दिवसीय भारतीय यात्रा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। गत सोमवार को ओबामा के भारत दौरे पर अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों की एक विशेष बैठक हुई। इसमें अमेरिका ने ओबामा की सुरक्षा अपने हाथों में रखने का प्रस्ताव रखा। पर भारत ने मना कर दिया। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि गणतंत्र दिवस भारत का समारोह है, इसलिए सुरक्षा भी हम ही करेंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने चार मांगें रखी थीं जिन्हें भारत ने खारिज कर दिया। पहला सुझाव अमेरिका का था कि राजपथ के पास छतों पर सिर्प अमेरिकी स्नाइपर्स तैनात होंगे ः भारत ने कहा कि यह संभव नहीं है। समारोह में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई वीवीआईपी होंगे। ऐसे में भारतीय स्नाइपर्स भी तैनात होंगे। दूसरा सुझाव था कि जिस रास्ते ओबामा जाएं उस पर कोई दूसरा न चले ः भारत ने कह दिया कि यह संभव नहीं है। मेहमान का रास्ता मेजबान ही तय करता है। अब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व बाकी वीवीआईपी भी उसी रास्ते जाएंगे। तीसरा ः राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और ओबामा अलग-अलग जाएं ः भारत ने बता दिया कि मुख्य अतिथि राष्ट्रपति के साथ ही जाते हैं। ऐसे में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी कार बीस्ट में सफर नहीं करेंगे। चौथा सुझाव था कि समारोह को नो फ्लाई जोन घोषित किया जाए ः भारत यदि बात मान लेता तो वायुसेना का पारम्परिक फ्लाई पास्ट रद्द करना पड़ता। अब तीनों सेनाओं के 33 विमानों का राजपथ पर फ्लाई पास्ट होगा और तिरंगे को सलामी देंगे। वाशिंगटन ने इस्लामाबाद को सचेत किया कि ओबामा की भारत यात्रा के दौरान किसी भी तरह का आतंकी हमला न हो। अमेरिका की यह पाक को चेतावनी समझ तो आती है पर क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि पाक आगे-पीछे भारत पर हमले कर सकता है सिर्प ओबामा की यात्रा के दौरान हमले न करे? बेशक अमेरिका के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा की सुरक्षा महत्वपूर्ण हो पर इसका यह मतलब तो नहीं कि भारत के सवा करोड़ नागरिकों की सुरक्षा महत्वपूर्ण नहीं है? ऐसी चेतावनी के साथ ही अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकाया है कि यदि हमले हुए तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे। क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि अमेरिका इस स्थिति में है कि वह पाक हमले रोक सकता है, अगर रोक सकता है तो रोकता क्यों नहीं? दरअसल अमेरिका सिर्प अपने हितों को देखता है, उसे भारत की कोई चिंता नहीं है। यह वही अमेरिका है जिसने 1800 करोड़ डॉलर पाक सेना और पाक अर्थव्यवस्था के लिए पिछले 10 वर्षों में दिए हैं। हालांकि 2010 के बाद के पूरे आंकड़े सामने नहीं आ रहे, इसी के बाद यह आरोप  बढ़ा है कि पाक सेना और आईएसआई के मार्पत आतंकी संगठनों को ट्रेनिंग देने में यह पैसा लगा रहा है। ओबामा के 27 जनवरी को प्रस्तावित आगरा दौरे के मद्देनजर ताजनगरी में सीरिया, इराक और ईरान के पर्यटकों पर वहां के प्रमुख होटलों को चेतावनी दी गई है कि वह तीनों देशों के सैलानियों को ओबामा की यात्रा तक अपने यहां न ठहराएं।

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