Thursday 22 January 2015

ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के सराहनीय विचार

कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धार्मिक गुरु पोप फ्रांसिस ने अपनी एशिया की यात्रा के दौरान श्रीलंका और मनीला में अपने संबोधन में कहा कि समाज में धार्मिक असहिष्णुता, अत्याचार और अन्याय का खात्मा होना चाहिए। इसकी पूरी जिम्मेदारी नीति निर्माताओं और राजनेताओं की बनती है। पत्रकारों से मुखातिब हुए पोप फ्रांसिस ने फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दो पर हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन इसकी आड़ में दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और उन्हें भड़काना गलत है। ऐसा होने पर इसकी कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा कि धर्म की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर किसी का मूलभूत अधिकार है लेकिन इस अधिकार के साथ यह कर्तव्य भी जुड़ा है कि ऐसा कुछ भी करते समय यह ध्यान रखा जाए कि इससे कोई आहत नहीं हो बल्कि इसमें सबकी भलाई निहित हो। पोप ने यह कहकर साफ संकेत दे दिया कि पत्रिका में पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून छापा जाना सही नहीं था। पोप ने मनीला पहुंचकर यहां के राजनेताओं और नीति-निर्धारकों को गरीबों के खिलाफ हो रहे अन्याय, अत्याचार और दमनकारी नीतियों के खिलाफ चेताते हुए कहा कि इनके कारण ही समाज में घोर असामनता जन्म लेती है जिसकी परिणति हिंसा और आक्रोश के रूप में सामने आती है। पोप फ्रांसिस ने कहा कि राजनेताओं और प्रशासकों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जनता खासकर गरीब तबके के लोगों के लिए काम करना चाहिए। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। अमेरिका ने पोप की टिप्पणी पर सतर्प प्रतिक्रिया व्यक्त की है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने रेखांकित किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी जुड़ी होती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असहमतियों को लेकर हिंसा को किसी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता। अर्नेस्ट ने कहा कि मुक्त अभिव्यक्ति के सन्दर्भ में जन अभिव्यक्ति का कोई कृत्य नहीं है जो हिंसा की कार्रवाई को किसी तरह उचित ठहरा सकता हो। यह एक उसूल है जिसे हमने कई मौकों पर दोहराया है। जर्मनी की चांसलर एंजला मर्केल ने फ्रांस में हुए हमले के बाद मुस्लिमों का सामाजिक बहिष्कार किए जाने के खिलाफ मजबूती के साथ अपनी आवाज उठाई लेकिन साथ ही कहा कि इस्लामी धर्मगुरुओं को इस्लाम और आतंकवाद के बीच स्पष्ट रेखा खींचनी चाहिए। स्पष्ट रेखा खींचनी होगी। मर्केल ने आतंकवादी हमले में मारे गए 17 लोगों को जर्मन संसद में श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद यह बात कही। हम पोप फ्रांसिस के विचारों का स्वागत करते हैं। हमारा भी सदा से मानना रहा है कि आप किसी भी धर्म या धार्मिक रीति-रिवाजों व परम्पराओं का मजाक नहीं उड़ा सकते। हमें सब धर्मों का सम्मान करना चाहिए। धर्म कभी भी हिंसा नहीं सिखाता, अगर गलत हो रहा है तो धर्म के इन ठेकेदारों की वजह से हो रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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