Saturday, 31 January 2015

जांबाज कर्नल राय ने मेडल लेकर शहादत को गले लगाया

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत से जाते ही पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के त्राल में हमला कर दिया। आतंकियों से मुठभेड़ में एक दिन पहले गणतंत्र दिवस पर युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित कर्नल एमएन राय सहित दो सुरक्षाकमी शहीद हो गए। मुठभेड़ में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक डिवीजनल कमांडर आबिद व उसका साथी सिराज भी मारा गया। इसमें एक आतंकी का पिता राज्य पुलिस में तैनात है। शहीद कर्नल मुनिंदर नाथ राय को अपनी कर्तव्यनिष्ठा, बहादुरी और बीते साल कश्मीर में कई नामी आतंकियों को मार गिराने के लिए युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। यदि पाकिस्तान द्वारा दशकों से जारी छद्म युद्ध के बावजूद कश्मीर को भारत से अलग करने की साजिशें विफल रही हैं तो इसका सबसे ज्यादा श्रेय हमारी सेना के साहस, शौर्य और बलिदान को जाता है। कर्नल राय इसका एक ज्वलंत उदाहरण हैं। इस सैन्य अधिकारी ने बीते वर्षें में आतंकी नेटवर्क को करारी चोट पहुंचाई थी और ऐसे अभियानों में कई खूंखार आतंकी मारे गए थे। उन्होंने युवाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए किकेट और फुटबाल मैच आयोजित किए थे। सेना के अधिकारियों के मुताबिक कर्नल राय के नेतृत्व में त्राल का माहौल पूरी तरह बदल गया था जिसका पमाण यह था कि पिछले विधानसभा चुनाव में वहां भारी मतदान हुआ। आतंकवादी उन्हें धोखे से मारने में इसलिए भी कामयाब हुए क्योंकि कर्नल राय ने शांतिपूर्ण तरीके से उनके आत्मसमर्पण की कोशिश की ताकि जान और माल का नुकसान न हो। बहरहाल कर्नल राय जैसे वीरों की शहादत देश और सेना के लिए दुखद लेकिन गर्व का विषय है। कश्मीर वादी के पुलवामा जिले के त्राल में मंगलवार को शहीद हुए कमांडिंग ऑफिसर कर्नल राय की जिंदगी शायद युवाओं के लिए पेरणा का स्रोत रहेगी। करीब दो महीने पहले कर्नल राय ने अपना व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट किया था। यह स्टेटस उनकी बहादुरी का पतीक है। शहीद कर्नल राय का आखिरी व्हाट्सएप स्टेटस कुछ इस तरह था ः इतने जुनून से अपनी जिंदगी का हर किरदार अदा करो कि अगर कभी पर्दा गिर भी जाए तो तालियों का शोर कम नहीं होना चाहिए। मंगलवार को उन्होंने अपनी बहादुरी से इस स्टेटस को सच साबित कर दिया। 39 वषीय कर्नल राय को मंगलवार की सुबह इंटेलीजेंस इनपुट मिले थे कि त्राल में एक गांव में स्थित घर में कुछ आतंकी छिपे हैं। वह क्विक रिएक्शन टीम के साथ जिसमें 8 से 12 जवान शामिल थे, उस जगह के लिए रवाना हो गए। टीम ने मौके पर पहुंच कर तलाशी लेना शुरू किया। घर में रहने वाले लोग जिन पर संदेह है कि वह आतंकियों के रिश्तेदार हैं, ने उनसे अनुरोध किया कि वह तलाशी न लें क्योंकि इससे लोग उन्हें गांव से अलग कर देंगे। कर्नल उन लोगों से आतंकियों के बारे में डिटेल्स ले रहे थे, तभी हिज्ब के आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी और अचानक हुई इस गोलीबारी में कर्नल राय मारे गए। लेकिन ऐसी हर शहादत भारत सरकार और सेना पर यह जिम्मेदारी छोड़ जाती है कि हर कीमत पर कश्मीर में पाक साजिशों को नाकाम करें। पाकिस्तान जिस तरह सुधरने की जगह और अधिक आकामक होता जा रहा है। दुनिया की आंखों में धूल झोकने के इरादे से वह इन जेहादी संगठनों और सरगनाओं पर कार्रवाई करने का जो नाटक कर रहा है उसकी असलियत इसी से जाहिर होती है कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा आतंकी घोषित लश्कर--तैयबा का मुखिया हाफिज सईद अब भी अपने खूंखार इरादों के साथ खुलेआम घूम रहा है। जाहिर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की सफल भारत यात्रा से भी पाकिस्तान बौखला गया है। आने वाले दिनों में ऐसे आतंकी हमले और तेज होने की संभावना है। भारत सरकार और सेना का फर्ज है कि कर्नल राय की शहादत बेकार न जाए। भारत सरकार को मुंहतोड़ जवाब देना ही होगा। अब तो संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका का भी आशीर्वाद हमारे साथ है। जब पाकिस्तान सरकार अपने आप को इन आतंकी संगठनों से अलग करती है तो इन नान स्टेट एक्टरों को समाप्त करना भारत सरकार के लिए आसान हो जाता है। यूपीए सरकार में तो इच्छाशक्ति का अभाव था पर मोदी सरकार से ईंट का जवाब पत्थर से देने की उम्मीद है। हम कर्नल राय की शहादत पर उनके शोकाकुल परिवार को अपनी सांत्वना देते हुए उम्मीद करते हैं कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।

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