Tuesday 6 January 2015

पाकिस्तान भारत को पूरक युद्ध की ओर धकेल रहा है

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर जब सारी दुनिया में नए साल आने की खुशियां मनाई जा रही थीं तब पाकिस्तानी सैनिक जम्मू-कश्मीर में हमारे सैनिकों पर गोलियों की बौछार कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर चुनाव में अलगाववादियों को ठेंगा दिखाकर कश्मीर की अवाम की चुनाव में सफल हिस्सेदारी और घाटी में लोकतंत्र की मजबूत होती जड़ से परेशान पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी कश्मीर नीति में  लगता है बड़ा बदलाव कर रही है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सरकार को सतर्प किया है कि इस सफल चुनाव के बाद राज्य में ठोस और स्थायी सरकार नहीं बन पाई तो पाकिस्तान को घाटी में नए जटिल हालात पैदा करने में काफी मदद मिलेगी। आईबी के उच्चपदस्थ सूत्र ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 1987 के चुनाव में धांधली के आरोपों और लोकतंत्र के असफल प्रयोग ने पाकिस्तान को घाटी में आतंकवाद की जड़ जमाने का मौका दे दिया था। अब इतनी मशक्कत के  बाद 2014 के निर्भीक, निष्पक्ष और जबरदस्त उत्साह में हुए चुनाव ने घाटी में नई उम्मीद पैदा की है। आतंकवाद और अलगाववाद से ऊब चुके लोगों ने फिर से बुलैट की जगह बैलेट का सहारा लिया है। यह भारतीय लोकतंत्र, चुनाव आयोग  और खुफिया एजेंसियों की बड़ी जीत है। अब अगर राज्य और केंद्र सरकार के धोखे का अहसास हुआ तो फिर बैलेट की जगह बुलैट लाने की पाकिस्तान हर संभव कोशिश करेगा। पाकिस्तान की नीति साफ है, वह न खुद चैन से रहना चाहता है और न ही औरों को रहने देना चाहता है। या तो उसने मान लिया है कि सीमा पर तनाव बरकरार रखकर वह अपनी समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने में सफल हो सकता है या फिर उसे यह समझ नहीं आ रहा कि भारत से कैसे पार पाए? सच जो भी हो, सीमा पार रह-रहकर फायरिंग करना निरा पागलपन और बौखलाहट का नतीजा है। एक तरफ सीमा पर निरंतर फायरिंग और दूसरी तरफ 26/11 जैसा आतंकी हमला दोहराने की खतरनाक साजिश दर्शाती है कि पाकिस्तान लगता है भारत को पूरे युद्ध की तरफ ले जाना चाहता है। यह तो भारतीय कास्ट गार्ड ने आतंकी हमले की साजिश को नाकाम कर दिया और उस मछुआरी नौका जिसमें आतंकी गोला बारूद था ने मजबूर होकर अपनी नाव को उड़ा दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता? एलओसी और जम्मू-कश्मीर में सीजफायर लागू होने के बावजूद बार-बार भयानक हमले हो रहे हैं, उनका स्पष्ट अर्थ है कि भारत को पाकिस्तान के साथ एक और युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि विकल्पों को सुझाने वालों का यह कहना है कि इनमें से किसी भी विकल्प को इस्तेमाल करने के साथ ही भारत को पाकिस्तान की तरफ से छेड़ दी जाने वाली भरपूर लड़ाई का सामना करना होगा। हालांकि अगर भारत-पाक का पूर्ण युद्ध होता है तो दोनों देशों को भारी क्षति उठानी होगी। लेकिन समझ नहीं आ रहा कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज क्यों नहीं आ रहा है? भारत के समक्ष इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं कि वह पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए अघोषित युद्ध का मुंह तोड़ जवाब दे। इस मामले में संयम का परिचय देने का अब कोई मतलब नहीं रह गया है।

-अनिल नरेन्द्र

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