Thursday, 29 January 2015

भाजपा को अब मोदी मैजिक का सहारा

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अब मुश्किल से 10 दिन से कम रह गए हैं। मुकाबला कांटे का है। कुछ वर्गें में निसंदेह आप पाटी का पभाव ज्यादा दिख रहा है। कम से कम निचले तबके में अरविंद केजरीवाल का असर साफ दिख रहा है। हां, पढ़े लिखे, मध्यवगीय मतदाता जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को वोट दिया था उनका केजरीवाल से मोहभंग हुआ है और वह शायद ही इस बार किरण बेदी व भाजपा को वोट दें। केजरीवाल की विश्वसनीयता पर भारी पश्न चिन्ह लगने से आम आदमी पाटी की स्थिति इस वर्ग में कमजोर हुई है। देश की पहली आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक दांव खेलने वाली भाजपा अब पधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देख रही है। चुनाव अभियान के अगले दौर में पाटी की पूरी रणनीति पधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनाव सभाओं और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित रहेगी। भाजपा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा को भुनाने की तैयारी में है। ब्रांडिंग के माहिर खिलाड़ी बन चुके पधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कला अब भी बरकरार है। पीएम मोदी की यह कला उस समय भी दिखी जब वह भारत यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त रूप से संबोधित कर रहे थे। ओबामा के साथ संबोधन में मोदी ने राष्ट्रवाद के गौरव को उभारते हुए देशवासियों का दिल जीतने का पयास किया। मोदी ने अपने आप को ओबामा का बेहद करीबी दोस्त बताते हुए कई बार उनके पहले नाम `बराक' का संबोधन किया। यह पहला मौका है जब किसी भारतीय पीएम ने इतने विश्वास के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बातचीत की है। दिल्ली की भाजपा इकाई अब ओबामा यात्रा का सियासी लाभ उठाने के लिए इसे भुनाने की तैयारी कर रही है। भाजपा नेतृत्व ने किरण बेदी को लेकर आप नेता अरविंद केजरीवाल को भले ही कड़ी चुनौती दी हो लेकिन इससे नाराज दिल्ली के नेता और कार्यकर्ताओं के लिए चुनौती बनता जा रही है। इनकी नाराजगी दूर करने के लिए पाटी अध्यक्ष अमित शाह ने बाहरी नेताओं को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र की कमान सौंपकर हालात संभालने की कोशिश की है। खुद भी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन करने में लगे हैं लेकिन बाहर से आए व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से नाखुश पमुख नेता व कार्यकर्ता ज्यादा सकिय नहीं हो पाए हैं। पाटी को डर यही है कि इससे उसका बूथ पबंधन व मतदाताओं को बूथ तक लाने की रणनीति गड़बड़ा न जाए। ऐसे में पाटी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और उन्हें पूरी तरह सकिय करने के लिए पीएम मोदी की जरूरत महसूस होना स्वाभाविक ही है। चुनावी राजनीति से जुड़े एक बड़े नेता का कहना है कि चुनाव पचार के बाकी समय में पाटी की रणनीति बेदी की बजाय मोदी पर केंद्रित रहेगी। इसमें मोदी सरकार की उपलब्धियों व खुद मोदी की रैलियों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। ओबामा की यात्रा भी उसके अभियान का परोक्ष रूप से हिस्सा होगी।

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