Wednesday 13 September 2017

गर्दिश में चल रहे हैं कांग्रेसियों के ग्रह

पिछले कुछ समय से कांग्रेसियों पर जांच मामला तेज हो गया है। ताजा केस पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन का है। झारखंड में एक कंपनी को खनन की मंजूरी के मामले में जयंती नटराजन के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कस गया है। लगभग तीन साल तक प्रारंभिक जांच करने और सबूत जुटाने के बाद जांच एजेंसी ने एफआईआर दर्ज की और चेन्नई स्थित उनके निवास पर छापा मारा। जयंती पर सारंडा के जंगलों में इलैक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिटेड (ईसीएल) को लौह व मैगनीज अयस्क के खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी देने में गड़बड़ी के आरोप हैं। उधर पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम की सीबीआई से दूर भागने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें नई दिल्ली के सीबीआई मुख्यालय में अंतत पेश होना पड़ा। एनआईएक्स मीडिया कंपनी को विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) की तरफ से दी गई छूट की भूमिका के संबंध में कार्ति से आठ घंटे से ज्यादा देर तक पूछताछ हुई। सूत्रों के मुताबिक उनसे इस दौरान 100 से अधिक सवाल पूछे गए। सीबीआई ने मई में आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी की जांच से बचाने की एवज में रिश्वत लेने के आरोप में कार्ति चिदम्बरम के ठिकानों पर छापा मारा गया था। सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम का बेटा होने का लाभ उठाते हुए कार्ति चिदम्बरम ने आईएनएक्स को एफआईपीबी की जांच में क्लीन चिट दिला दी थी। सीबीआई की जांच से बचने के लिए कार्ति ने हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि वह सीबीआई की जांच से नहीं बच सकते हैं। कार्ति से हुई पूछताछ की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई है। तीसरा केस कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का है। वाड्रा से जुड़े जमीन आवंटन घोटाले की सीबीआई जांच कर रही है। बीकानेर में सीबीआई अधिकारियों ने इस संबंध में कोलायत व गजनेर पुलिस थानों में दर्ज 18 एफआईआर की नकल लेने के साथ ही राजस्व विभाग व जिला कलैक्ट्रेट से जानकारी और आवश्यक साक्ष्य जुटाए। यह मामला कुछ ऐसे हैंöफायरिंग रेंज के विस्थापितों के नाम से जमीन के फर्जी आवंटन का खेल 2006 से शुरू हुआ। उस समय राजस्व से जुड़े अधिकारियों व जिला कलैक्ट्रेट के कुछ अधिकारियों ने स्थानीय भू-माफियाओं और कुछ नेताओं से मिलकर 1400 बीघा जमीन व आवंटन फर्जी नामों से करा लिया और फिर इसे बेच दिया। कई बार ये जमीनें बिकीं। इसी कड़ी में 2010 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने 275 बीघा जमीन मात्र 79 लाख रुपए में खरीद ली, जबकि इसकी वास्तविक कीमत दो करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। इस जमीन घोटाले को लेकर जो 18 एफआईआर कोलायत व गजनेर पुलिस थाने में दर्ज हुईं उनमें से चार एफआईआर वाड्रा की कंपनी के नाम दर्ज हैं। लगता है कि कुछ कांग्रेसियों के ग्रह गर्दिश में चल रहे हैं। सारे मामले अदालत में हैं। अगर राजनीतिक द्वेष से किए गए हैं तो अदालत में दूध का दूध-पानी का पानी हो जाएगा।

-अनिल नरेन्द्र

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