किसी भी लोकतांत्रिक देश
में चुनी हुई सरकार का पहला कर्तव्य और जिम्मेदारी उसकी जनता के प्रति होती है। उसे
यह सुनिश्चित करना होता है कि उसकी जनता खुशहाल रहे, दो वक्त की उसे रोटी-रोजी मिले। पर दुख से कहना पड़ता
है कि हमारे देश में सरकारें गरीब जनता के हितों से कहीं ज्यादा अपनी मुनाफाखोरी में
लगी हुई हैं। कमरतोड़ महंगाई से जनता त्रस्त पहले से ही है और राहत जहां दी भी जा सकती
है वह भी नहीं दी जाती। हमारे सामने पेट्रोल-डीजल की कीमतें हैं।
पेट्रोल-डीजल की कीमत तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है।
बुधवार को मुंबई में पेट्रोल 79.48 रुपए और दिल्ली में
70.38 रुपए प्रति लीटर बिका। इस साल 16 जून से
पेट्रोल-डीजल के दाम रोज तय हो रहे हैं। तब से पेट्रोल
7.48 प्रतिशत और डीजल 7.76 प्रतिशत महंगे हो चुके
हैं। पर सरकार का कहना है कि वह इसमें दखल नहीं देगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र
प्रधान ने कहा कि सरकार दाम तय करने के तरीके नहीं बदलेगी। बता दें कि अगस्त
2014 में एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए थी। अब यही
21.48 रुपए प्रति लीटर है यानि पिछले तीन सालों में 126 प्रतिशत की वृद्धि। डीजल अगस्त 2014 में 3.56
रुपए थी जो अब 17.33 रुपए प्रति लीटर है यानि इसमें 387 प्रतिशत का इजाफा ़73 हजार करोड़ रुपए। चार माह में केंद्र
ने एक्साइज ड्यूटी से वसूले हैं। जबकि राज्यों ने वैट से 42 हजार
करोड़ रुपए वसूले। दोनों को मिलाकर 1.15 लाख करोड़ रुपए बनते
हैं। साधारण भाषा में जो पेट्रोल की कीमत/लागत सरकार को
26.65 रुपए प्रति लीटर पड़ती है उस पर 36.44 रुपए
प्रति लीटर टैक्स के रूप में जाता है और 7.29 रुपए मार्जिन है।
एक्साइज ड्यूटी में बढ़त के कारण पेट्रोल-डीजल में
387 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। विडंबना यह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार
में कच्चे तेल की कीमत वर्ष 2014 की तुलना में आधी हो गई है।
इसके बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब तक के उच्चतम
स्तर पर पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार के तीन साल के कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमतें
53 प्रतिशत गिरी हैं, मगर बुधवार को पेट्रोल मुंबई
में 80 रुपए तो दिल्ली में 70.38 रुपए प्रति
लीटर तक पहुंच गया। एक जुलाई 2014 को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में
कच्चे तेल की कीमत 112 डॉलर प्रति बैरल थी जो वर्तमान में घटकर
54 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। विपक्ष में रहते और लोकसभा चुनाव प्रचार में
भाजपा ने तेल की कीमतों को बड़ा मुद्दा बनाया था। एक्साइज ड्यूटी और वैट में बढ़ोत्तरी
पर रोक लगाने के लिए नई प्रणाली पर जोर दिया गया था। मगर सत्ता में आने के बाद मोदी
सरकार ने तीन साल में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में
11 बार बदलाव किया है। पता नहीं कि सरकार को जनता के दुख की खबर नहीं
या चिन्ता नहीं है?
-अनिल नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment