Wednesday 20 September 2017

बिल्डर खरीददारों से दगाबाजी नहीं कर सकते

यह बहुत खुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट इन डिफाल्टर बिल्डरों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। कुछ बिल्डरों ने अति मचा रखी है। जनता ने अपनी गाढ़ी कमाई से घर का सपना पूरा करने के लिए इन्हें विश्वास में पैसा दे दिया और बदले में फ्लैट की जगह दर-दर की ठोकरें खाने पर खाली हाथ मजबूर हैं। यह बिल्डर पैसा भी खा गए और फ्लैट भी अभी तक वर्षों बीतने के बाद भी नहीं दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कई बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को रीयल एस्टेट फर्म यूनिटेक के प्रवर्तकों संजय चन्द्रा और अजय चन्द्रा को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अपना धन वापस मांगने वाले खरीददारों के आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही उनकी याचिका पर विचार किया जाएगा। जेल में बंद चन्द्रा बंधुओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 2015 में दर्ज आपराधिक मामले में उनकी याचिका खारिज होने के बाद शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत का आग्रह किया है। यह मामला गुरुग्राम में स्थित यूनिटेक परियोजनाओंöवाइल्ड फ्लावर कंट्री और अथियां परियोजना के 158 खरीददारों ने दायर किया है। न्यायाधीश पवन सी. अग्रवाल ने कहा कि उन्हें अभी तक कंपनी की 55 परियोजनाओं का पता चला है। नौ परियोजनाओं में करीब 4000 घर खरीददारों के कंपनी को लगभग 1800 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने का अनुमान है। उधर जेपी ग्रुप भी बुरी रह फंस गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट देने में देरी करने पर जेपी एसोसिएट्स को आदेश दिया कि वह 10 खरीददारों को 50 लाख रुपए का अंतरिम मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा कि बिल्डर खरीददारों से दगाबाजी नहीं कर सकते। न्यायालय ने यह भी कहा कि घर खरीददारों से सामान्य निवेशकों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने अपने सिर पर छत के लिए अपनी गाढ़ी कमाई खर्च की है। पैसे लेकर समय पर फ्लैट न देने के आरोप में जेपी ग्रुप के चेयरमैन मनोज गौड़ समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। दनकौर कोतवाली में दिल्ली के शाहदरा निवासी एक खरीददार और उनके साथियों की ओर से दर्ज की गई शिकायत पर शुक्रवार को यह कार्रवाई की गई। गुप्ता का आरोप है कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड तथा जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिकारियों ने उन्हें झांसे में रखकर फ्लैट बुक कराए। खरीददारों का कहना है कि कंपनी ने 33 लाख रुपए फ्लैट बुक करते समय लिए और इतनी ही राशि आवंटन पर देना तय हुआ। पहली किस्त 2015 में और उसके बाद दूसरी किस्त 2017 में  ली गई। इसके बाद भी फ्लैट नहीं मिला तो कंपनी के अधिकारियों से शिकायत की गई। उन्होंने खरीददारों से तीन माह का समय मांगा पर इसके बाद भी कब्जा नहीं दिया गया। आम्रपाली के प्रोजेक्टों में फ्लैट खरीदने वाले सैकड़ों लोग शनिवार सुबह सड़कों पर उतर आए। देखें कि क्या अदालत की कार्रवाई का असर होता है क्या?

-अनिल नरेन्द्र

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