यूरोप
में आतंकी हमले रुकने का नाम ही नहीं ले रहे। ताजा हमला ब्रिटेन की राजधानी लंदन में
हुआ है। इस बार आतंकियों ने भूमिगत ट्रेन (ट्यूब ट्रेन) को निशाना बनाया। दक्षिण लंदन स्थित पार्संस
ग्रीन स्टेशन पर शुक्रवार सुबह 8.20 बजे ट्यूब ट्रेन (हमारी मेट्रो जैसी) के एक कोच में रखी बाल्टी (कंटेनर) में हुए विस्फोट से 22 लोग घायल हो गए। इस साल ब्रिटेन में यह पांचवां आतंकी हमला है। कुछ समय पहले
लंदन की संसद के बाहर बम धमाका हुआ था। सुखद संयोग है कि इस आतंकी हमले में जानमाल
की क्षति नहीं हुई, लेकिन दशहत के सौदागरों ने जो वक्त पार्संस
ट्यूब स्टेशन पर विस्फोट करने का चुना वह काफी घातक हो सकता था। वह समय बच्चों के स्कूल
जाने व बाबुओं के दफ्तर जाने का था। जाहिर है कि विस्फोट प्लान के मुताबिक नहीं हो
सका। प्लान तो पूरी ट्रेन को उड़ाने का था पर खुशकिस्मती रही की पूरा धमाका नहीं हो
सका। कुछ दिन पहले ही बेल्जियम में एक व्यक्ति ने सैन्य बलों पर चाकू से हमला किया
था। इस घटना में पुलिस ने आतंकी को मारा गिराया था। बताया जा रहा है कि वार करते हुए
युवक बार-बार अल्लाह-हू-अकबर चिल्ला रहा था। स्पेन के बार्सिलोना शहर में हमला करने वाले आतंकियों
की योजना कहीं ज्यादा और खतरनाक बड़े हमले की थी। स्पेन के आतंकी सेल ने बताया कि बार्सिलोना
के मशहूर चर्च द सग्रडा फैमिलिया कैथेड्रल को भी विस्फोट से उड़ाना चाहते थे आतंकी।
वह विस्फोटों से लदे तीन वाहनों से हमला करना चाहते थे। उधर रूस के उत्तरी शहर सरगुत
में एक व्यक्ति ने चाकू से हमला कर सड़क पर घूम रहे आठ लोगों को घायल कर दिया। आतंकी
संगठन आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। हमलावर की पहचान स्थानीय युवक बॉबीवाल
अब्दुर खामनेव (23 साल) के रूप में हुई।
उसने सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर लोगों को चाकू मारा। लंदन की वारदात
का एक पहलू यह है कि वहां एक बार फिर यातायात को निशाना बनाया गया है। पिछले छह महीनों
में ब्रिटेन में यह पांचवीं आतंकी वारदात है, जो बताती है कि
आतंकियों ने वहां अपना मजबूत नेटवर्क बना लिया है। दरअसल आईएसआईएस के खिलाफ वैश्विक
मोर्चेबंदी से दहशतगर्द जमातों के स्लीपर सेल्स में भी हताशा बढ़ रही है और वह किसी
बड़ी घटना को अंजाम देने की बजाय अब अपने लड़ाकों को लोन एक्टर के तौर पर कदम उठाने
को प्रेरित कर रहे हैं। 27 मार्च की वेस्ट मिनिस्टर की घटना और
जून के हमले को इसी रूप में देखा गया था। मार्च की घटना में हमलावर ने भीड़ पर गाड़ी
चढ़ा दी थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी और 20
जख्मी हुए थे। चाकुओं से हमले की भी वहां कई घटनाएं हो चुकी हैं। विकसित
मुल्कों से भी रह-रहकर आने वाली आतंकी हमलों की खबरें साबित करती
हैं कि टेरर के खिलाफ लम्हेभर की ढिलाई भारी पड़ सकती है। इसका मुकाबला सभी को मिलकर
करना होगा।
-अनिल नरेन्द्र
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