Friday 15 September 2017

व्यापारी डाक्टर ः डिग्री आयुर्वेद की धंधा किडनी का

हमारे देश में नैतिक मूल्यों में इतनी गिरावट आ गई है कि बस अब तो ऊपर वाला ही मालिक है। डाक्टरों को कभी भगवान का दर्जा दिया जाता था पर आजकल डाक्टर पैसों की खातिर जो हरकतें कर रहे हैं उससे हर देशवासी का सिर शर्म से झुक जाता है। देहरादून जैसी छोटी, सुंदर जगह में किडनी का इतना बड़ा रैकेट हो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। पर अत्यंत दुख से कहना पड़ता है कि देहरादून के एक अस्पताल गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में किडनी निकालने के काले धंधे का पर्दाफाश हुआ है। देहरादून के हरिद्वार रोड स्थित गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में तीन-तीन लाख रुपए में किडनी बेची जाती थी। यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि इस गोरखधंधे का सरगना किडनीखोर डाक्टर अमित राऊत निकला। डॉ. अमित राऊत वह शख्स है जो गुजरे 24 सालों से डाक्टरी के पेशे को दाग लगा रहा है। यहां तक कि जेल की सलाखों के पीछे रहने के बाद भी उसने यह धंधा नहीं छोड़ा। इसी से उसने अरबों की सम्पत्ति जोड़ी। अमित बीते वर्षों में पांच सौ से ज्यादा किडनी बेच चुका है। उसने यूरोप, एशिया समेत खाड़ी देशों में नेटवर्क बिछा लिया था। इसी के जरिये ही बीते दिनों ओमान से चार नागरिक किडनी प्रत्यारोपित करने के लिए देहरादून आए हुए थे। डॉ. अमित वही माफिया है जिसने 2013 में गुरुग्राम में छह सौ से अधिक लोगों की किडनी चुराने के खेल को अंजाम दिया था। इस रैकेट में शामिल अधिकांश चेहरों से मंगलवार को नकाब उठ गया। इस खेल में डॉ. अमित राऊत के अलावा अस्पताल संचालक राजीव चौधरी उर्फ बली निवासी बागपत और डॉ. रक्षित उर्फ अक्षय के अलावा ओमान के शेख समेत चार लोग शामिल हैं। इन सातों लोगों के भारत छोड़ने की आशंका के मद्देनजर एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने मंगलवार को इनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया। डॉ. अमित हर शहर में एजेंट बनाता है। एजेंटों को प्रति किडनी कमीशन दिया जाता है। पुराने मामलों में भी सामने आ चुका है कि अमित ने देश-विदेश में 500 एजेंट बना रखे थे। इस बार भी पुलिस की तफ्तीश इस ओर बढ़ गई है कि उसने किस राज्य में कितने एजेंट बना रखे हैं। 50 हजार से एक लाख रुपए तक में जबरन गरीब के शरीर से निकाली गई किडनी को डॉ. अमित 50 से 70 लाख रुपए में  बेचता था। एसएसपी कुकरेती ने बताया कि डॉ. राजीव चौधरी ने ही गंगोत्री अस्पताल में चिकित्सकीय उपकरणों व स्टाफ समेत अन्य संसाधनों को जुटाया था। लिहाजा राजीव को भी पुलिस इस साजिश में बराबर का साझीदार मान रही है।

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