न्यायमूर्ति
दीपक मिश्रा ने भारत के 45वें
प्रधान न्यायाधीश (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। जस्टिस जेएस खेहर मुख्य न्यायाधीश के पद से
सेवानिवृत्त हो गए। जाने वाले और आने वाले दोनों ही मुख्य न्यायाधीशों के फैसले अहमियत
के लिहाज से मील के पत्थर हैं। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश और आधी रात
में याकूब मेमन की फांसी पर मुहर के अलावा दिल्ली के कुख्यात निर्भया कांड के दोषियों
को मौत की सजा देने का आदेश जस्टिस मिश्रा ने ही दिया था। जबकि जस्टिस खेहर एनजेएसी
को रद्द करने के अलावा तीन तलाक व निजता के फैसलों के लिए हमेशा याद रहेंगे। वैसे तो
सामने आए हर केस में फैसला देना न्यायाधीश का कर्तव्य होता है लेकिन कुछ फैसले ऐसे
होते हैं जो इतिहास रच देते हैं। उन्हीं में से एक था राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग
(एनजेएसी) कानून को रद्द करने का फैसला।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की नई व्यवस्था देने वाले
एनजेएसी कानून को असंवैधानिक ठहराने के लिए जस्टिस खेहर हमेशा याद रहेंगे। फैसला देने
वाले पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस खेहर ने बहुमत का फैसला लिखा था।
जबकि एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ की
अगुवाई भी जस्टिस खेहर ने की थी लेकिन उसमें 3-2 के बहुमत से
दिए गए फैसले में उनका नजरिया अल्पमत का था। बहुमत ने एक बार में तीन तलाक के प्रचलन
को निरस्त कर दिया है जबकि स्वयं और जस्टिस अब्दुल नजीर की ओर से अल्पमत का फैसला लिखते
हुए जस्टिस खेहर ने इसे असंवैधानिक ठहराने से इंकार कर दिया था। आठ महीने का मुख्य
न्यायाधीश का कार्यकाल पूरा करके वे सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस खेहर की जगह सुप्रीम
कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति
मिश्रा (64) दो अक्तूबर 2018 तक इस पद पर
अपनी सेवाएं देंगे। 1977 में वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति
दीपक मिश्रा ने उड़ीसा उच्च न्यायालय में संवैधानिक, दीवानी,
फौजदारी, राजस्व, सेवा और
बिक्री कर मामलों में प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 17 जनवरी
1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति
मिली। जस्टिस मिश्रा के ही आदेश से देशभर के सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान
बजता है और क्रीन पर तिरंगा लहराता है जिसे सिनेमाहाल में मौजूद सभी दर्शकों के लिए
खड़े होकर सम्मान देना अनिवार्य है। याकूब मेमन और निर्भया कांड के दोषियों को फांसी
की सजा भी चीफ जस्टिस मिश्रा की पीठ ने दी थी। मेमन की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
में रातभर सुनवाई कर जस्टिस मिश्रा ने एक नया इतिहास रचा। उन्होंने सुबह पांच बजे पीठ
की ओर से फैसला सुनाते हुए मेमन की दया याचिका खारिज की और इसके करीब दो घंटे बाद मेमन
को फांसी पर चढ़ा दिया गया। हम जस्टिस दीपक मिश्रा का नए पद पर स्वागत करते हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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