Thursday, 14 September 2017

बाबाओं की भरमार ः असली कौन- फर्जी कौन?


आजकल बाबाओं की खबरें सुर्खियों में है। अब असली और नकली बाबा में बहस छिड़ गई है। कौन-सा बाबा असली है और कौन नकली यह कौन तय करेगा? बहरहाल हिंदू संतों की एक प्रमुख संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने रविवार को इलाहाबाद की बैठक के बाद 14 फर्जी संतों की लिस्ट जारी की है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी से दुष्कर्म मामले में सजा मिलने के बाद हिंदू धर्म गुरुओं के चरित्र चाल-चलन पर सवाल उठने स्वाभाविक ही है। रविवार सुबह मठ बांघबरी गद्दी में अखाड़ा परिषद की बैठक में 14 फजी बाबाओं की सूची जारी कर उनके बहिष्कार का ऐलान किया गया। इसमें आसाराम, गुरमीत राम रहीम और राधे मां प्रमुख नाम है। इस सूची में आसाराम, राधे मां, सच्चिदानंद, राम रहीम, ओम बाबा, निर्मल बाबा, भीमानंद, असीमानंद, रामपाल, नारायण साई, कुशमुनी और मलखान सिंह शामिल हैं। इस संस्था में ऐसे संतों के खिलाफ कार्रवाई करने का पहले ही मन बना लिया गया था। इस संबंध में अखाड़ों की पहली बैठक जूना अखाड़े के इलाहाबाद स्थित मौज गिरी आश्रम में हुई थी। तभी इन संतों के खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तय कर ली गई थी। सभी अखाड़ों को फजी संतों की सूची तैयार करने को कहा गया है। अखाड़े ने बैठक के बाद सरकार से मांग की है कि ऐसे तथाकfिथत संतों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए तथा इनको संत के नाम पर दी जाने वाली सुविधाएं बंद की जाएं। सोशल मीडिया में संतों व प्रमुख नेताओं के खिलाफ हो रहे गलत शब्दों के प्रयोग पर भी नाराजगी व्यक्त कर प्रशासन से अंकुश लगाने की मांग की गई। असल सवाल यही है कि सच्चे और फजी बाबाओं में फर्क कैसे किया जाए? अखाड़ा परिषद इस मामले में कोई खास मदद नहीं कर पा रही। किसी भी धर्म में संदेह और तर्क-वितर्क के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं होती। किसी बाबा की मीठी-मीठी बातों में आकर कोई एक बार उस पर विश्वास कर ले तो फिर उसके  लिए बाबा को आजमाने के सारे मार्ग बंद होते चले जाते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने `संत' की उपाधि देने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का भी फैसला लिया है ताकि गुरमीत राम रहीम जैसे लोगों को इसका गलत इस्तेमाल करने से रोका जा सके। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन ने कहा कि संतों के बीच यह भावना है कि एक या दो धार्मिक नेताओं के गलत कामों की वजह से पूरे समुदाय की छवि को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है। विहिप, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मिलकर काम करता है, जैन ने कहा कि अब से किसी व्यfिक्त की पड़ताल करने और उसके आंकलन करने के बाद ही यह उपाधि प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह उपाधि देने से पहले अखाड़ा परिषद यह भी देखेगी कि व्यfिक्त की जीवनशैली किस तरह की है।

-अनिल नरेन्द्र

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