Saturday, 9 September 2017

उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम से दुनिया की सांसें थमीं

उत्तर कोरिया ने रविवार को कहा कि उसने अपने छठे परमाणु परीक्षण में हाइड्रोजन बम विस्फोट किया। छठा परमाणु परीक्षण करके उत्तर कोरिया ने उत्तर-पूर्व एशिया में नया डर और कोरियाई धरती पर तीसरे विश्व युद्ध के आसार पैदा कर दिए हैं। रविवार को जिस मिसाइल का परीक्षण किया गया वह 6.3 तीव्रता के भूकंप के बराबर खतरनाक है। यह उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों की विनाशकारी शक्तियों का एक उदाहरण है। यह धमाका सितम्बर 2016 में किए गए विस्फोट से 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली था। नॉर्थ कोरिया का मकसद इतनी ताकत हासिल करना है ताकि वह अमेरिका में कहीं भी हमला कर सके। एक्सपर्ट्स के मुताबिक रविवार के टेस्ट के साथ नॉर्थ कोरिया यह साबित करना चाहता है कि उसने अपनी परमाणु क्षमता में भारी इजाफा किया है। इस विस्फोट की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि धमाके के बाद क्षेत्र में 6.3 तीव्रता का भूकंप आ गया जिसके झटके साउथ कोरिया, जापान और रूस तक महसूस किए गए। यह लाखों लोगों की जान ले सकता है। लगातार मिसाइल और परमाणु हथियारों के परीक्षण के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि अमेरिकी राष्ट्रपति कोरिया की ओर से होने वाले हमले का जवाब देने के बजाय सीधे किसी तरह का हमला करने पर विचार करेंगे। हालांकि उत्तर कोरिया के अधिकारी इस बात से वाकिफ होंगे कि अमेरिका पर सीधा हमला करना आत्महत्या करने से कम नहीं होगा। दिसम्बर 2011 में कार्यभार संभालने के बाद से ही उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग अपने कामों से खतरों के खिलाड़ी लगते हैं जैसे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाम में दम करना। साथ ही सैन्य सुधारों के जरिये वह अपने देश के लोगों की नजर में खुद को बेहतर प्रशासक दिखाने की कवायद भी करते हैं। किम जोंग का यह अंदाज तमाम उत्तर कोरियाई लोगों के बीच लोकप्रिय है, खासकर उन लोगों के बीच जो राजधानी प्योंगयांग में रहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने लगातार इस बात के संकेत दिए हैं कि अगर उत्तर कोरिया ने अपनी गतिविधियां नहीं रोकीं तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकता है जिसके बुरे परिणाम जापान, दक्षिण कोरिया में रहने वाले करोड़ों लोगों को झेलने पड़ सकते हैं। आखिरकार उत्तर कोरियाई चुनौती पर अमेरिका की सैन्य प्रतिक्रिया का नुकसान उसके दो प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगियों के लिए प्रलय से कम नहीं होगा और साथ ही इससे दक्षिण कोरिया में मौजूद 28,500 अमेरिकी सैनिकों की जिन्दगी भी खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए यह समझना आसान है कि अमेरिकी रक्षा सचिव जेम्स मैटिस और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैक्मास्टर क्यों सैन्य कार्रवाई के पक्ष में नहीं हैं। वह इसे आखिरी रास्ता मानते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से युद्ध की चेतावनी जैसी बातें एक सोची-समझी चाल भी हो सकती है जिसका उद्देश्य प्योंगयांग को आगे किसी भी हरकत से रोकना होगा। इसके साथ ही चीनी नेतृत्व पर उत्तर कोरिया को रोकने का दबाव बनाना। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उत्तर कोरिया पर काबू पाने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। इसमें सैन्य कार्रवाई के साथ चीन पर दबाव की रणनीति भी शामिल है। हालांकि चीन ने भी उत्तर कोरिया को कहा है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम से कदम पीछे खींच ले पर किम जोंग ने इसे नजरंदाज कर रविवार का परीक्षण किया है। इन सबके बावजूद उत्तर कोरिया थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन को कैसे रोका जा सकता है? हाल ही में उत्तर कोरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इस प्रतिबंध का चीन ने भी समर्थन किया था। उत्तर कोरिया और चीन के बीच आयात-निर्यात अब भी जारी है। ट्रंप को लगता है कि उत्तर कोरिया की समस्या का निदान चीन के सहयोग से किया जा सकता है। पर पाकिस्तान की तरह चीन भी उत्तर कोरिया के मामले में डबल गेम खेल रहा है। एक ओर उसकी पूरी मदद कर रहा है और दिखावे के लिए शेष दुनिया से किम जोंग उन पर नियंत्रण करने का ढोंग रचता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह संघर्ष आगे नहीं बढ़े नहीं तो पूरे विश्व को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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