Tuesday, 13 March 2018

...ताकि ड्रैगन के बढ़ते कदमों को रोका जा सके

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। इस यात्रा के दूरगामी महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। विशेषकर रक्षा क्षेत्र में जो समझौता हुआ उसे अगर हम ऐतिहासिक कहें तो गलत नहीं होगा। भारत और फ्रांस ने एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों के इस्तेमाल एवं सैन्य साजो-सामान के आदान-प्रदान तथा गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा सहित 14 क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत की यात्रा पर आए फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों तथा प्रधानमंत्री मोदी के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए शिक्षा, मादक पदार्थों की रोकथाम, पर्यावरण, रेलवे, अंतरिक्ष, शहरी विकास और कुछ अन्य क्षेत्रों में भी समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। आखिर दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं द्वारा एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल और सैन्य साजो-सामान का आदान-प्रदान करने का समझौता हमने और कितनी शक्तियों के साथ किया है? अमेरिका के बाद फ्रांस ही अकेला देश है, जिसके साथ यह समझौता हुआ है। सबसे अच्छा परिणाम इस यात्रा का यह है कि भारत और फ्रांस ने ड्रैगन के बढ़ते दबदबे को कम करने के लिए हाथ मिला लिया है। भारत की चीन ने घेराबंदी का पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर रखा है और वह हिन्द महासागर में अपना दखल लगातार बढ़ा रहा है। अब चीन के बढ़ते कदम को रोकने के लिए भारत ने अन्य शक्तियों के साथ सहयोग बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसी के चलते भारत और फ्रांस ने एक महत्वपूर्ण सुरक्षा डील की है। इस समझौते के मुताबिक दोनों देश अपने नेवेल बेस को एक-दूसरे के युद्धपोतों के लिए खोलेगा। चीन कई छोटे देशों को अपने साथ मिलाकर साउथ चायना सी, हिन्द महासागर में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए यह समझौता अहम माना जा रहा है। फ्रांस का एक द्वीप है जिसका नाम रीयूनियन है, वह हिन्द महासागर में है। यह द्वीप चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए काम सकता है। फ्रांस एक प्रमुख रक्षा शक्ति तो है ही, उसकी समुद्री ताकत का लोहा भी दुनिया मानती है। जाहिर है उसने यदि भारत को समान महत्व दिया है तो इसका अर्थ है कि भारत की बढ़ती रक्षा शक्ति को उसने स्वीकार किया है। फ्रांस चाहता है कि भारत उसका बड़ा सामरिक साझीदार बने। भारत और फ्रांस दोनों ही आतंकवाद से प्रभावित हैं। दोनों ने फैसला किया है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे।

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