Friday 30 March 2018

पहले से मजबूत पर अब भी चुनौतियां बरकरार

राज्यसभा की 59 सीटों पर हुए चुनाव ने उच्च सदन राज्यसभा की तस्वीर को बहुत हद तक बदल दिया है। आंकड़ों के लिहाज से राजग ने हालांकि कांग्रेस पर भारी बढ़त बना ली है, मगर इसके बावजूद यह गठबंधन बहुमत से फिलहाल बहुत दूर है। इस चुनाव में भाजपा को 14 अतिरिक्त सीटें हाथ लगी हैं। जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में राजग के सदस्यों की संख्या 76 से बढ़कर 92 हो गई है। भगवा पार्टी राज्यसभा में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 69 हो गई है लेकिन बहुमत से पार्टी अभी कोसों दूर है। लेकिन उच्च सदन में भाजपा अब पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में आ गई है। पार्टी अन्नाद्रमुक सहित कुछ अन्य कांग्रेस विरोधी दलों को साथ कर बिल पारित कराने जैसे कामकाज आसानी से निपटा सकेगी। इस दौरान उसके लिए कांग्रेस को किनारे करना भी अब पहले की तुलना में आसान हो गया है। शुक्रवार को हुए राज्यसभा चुनाव के बाद भाजपा की झोली में 28 सीटें आईं। इससे भाजपा को 11 सीटों का फायदा हुआ। कांग्रेस ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि पहले उसका इनमें से 14 सीटों पर कब्जा था। इस तरह पार्टी को चार सीटों का नुकसान हुआ है। 245 सदस्यीय सदन में अब भाजपा की सीटें बढ़कर 69 हो गई हैं और कांग्रेस की सीटें घटकर 54 से 50 रह गई हैं। लेकिन भाजपा और एनडीए दोनों ही बहुमत से दूर हैं। बहुमत के लिए 123 सीटें चाहिए। भाजपा को अभी हाल ही में एक झटका लगा है जब चार साल से उनकी सहयोगी रही तेलुगूदेशम पार्टी ने उससे नाता तोड़ लिया। सदन में इस समय तेदेपा के छह सदस्य हैं। बहरहाल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे अपने प्रमुख विपक्षी दलों की संख्या में गिरावट से भाजपा खेमा काफी उत्साहित है। सपा की झोली में केवल एक सीट आई है जबकि सदन में उसके छह सदस्यों का कार्यकाल अब खत्म होने जा रहा है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि मोदी सरकार अब सदन में पहले से काफी आसान स्थिति में है क्योंकि सरकार के विरोधी एजेंडे पर अन्नाद्रमुक, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और बीजद जैसे राजग के बाहर वाले क्षेत्रीय दलों के उसे समर्थन मिलने की संभावना है। पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक लोकसभा में पारित हो जाने के बावजूद राज्यसभा में आकर अटक जाते हैं। राज्यसभा में विपक्षी दलों के एकजुट हो जाने से मोदी सरकार को विधेयक पारित कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो रहा है। इसका अर्थ हुआ कि राज्यसभा में उसे अब भी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।

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