Wednesday, 7 March 2018

अस्तित्व बचाने के लिए बुआ ने बबुआ का समर्थन किया

जब दुश्मन की ताकत लगातार बढ़ रही हो और सवाल खुद के वजूद पर आ जाए तो दुश्मनों को आपसी बैर भुलाकर करीब आना ही पड़ता है। ऐसे ही हालात से जूझ रही समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी दोनों को अहसास हो गया है कि एक और एक ग्यारह होकर वे भाजपा पर भारी पड़ सकते हैं। इन दोनों दलों के बीच 22 साल से राजनीतिक दुश्मनी चल रही है। बता दें कि इससे पहले 1993 में एसपी-बीएसपी एक साथ चुनाव लड़ चुके हैं। तब लक्ष्य राम लहर को रोकना था। तब सपा-बसपा गठबंधन ने सरकार बनाई थी और भाजपा आंकड़ों में पिछड़ गई थी। गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूटा तो दोनों दल कभी साथ नहीं आए। हालांकि अखिलेश यादव कई बार खुले मंच से गठबंधन का प्रस्ताव दे चुके हैं, लेकिन बहन जी ने इंकार ही किया। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को 28 प्रतिशत और बसपा को 22 प्रतिशत वोट मिले थे। दोनों को जोड़ लें तो यह 50 प्रतिशत वोट हो जाता है। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए उपचुनाव में सपा के प्रत्याशियों को हराना बेहद मुश्किल हो जाएगा। गोरखपुर और फूलपुर सीटें योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। इस टैक्निकल गठजोड़ का सबसे पहला प्रभाव तो राज्यसभा चुनाव में दिख सकता है जिसमें भाजपा को आठ सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने यूपी से रिक्त राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर रखा है। विधानसभा में अपने संख्याबल के आधार पर भाजपा आठ सीटें आसानी से जीत सकती है। सपा-बसपा के अलग-अलग खेमे में रहने की स्थिति में भाजपा एक और सीट जीत लेने की कोशिश कर सकती है। प्रदेश विधानसभा में अकेले भाजपा के 324 विधायक हैं। उसके एक विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। प्रमुख विपक्षी दलों में सपा के पास 47, बसपा के पास 19, कांग्रेस के पास सात व रालोद के पास एक विधायक है। इस तरह यदि यह चारों विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो राज्यसभा की दो सीटें जीत सकते हैं। उधर उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों गोरखपुर और फूलपुर पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है। ऐसा भी माना जा रहा है कि यह 2019 चुनावों के लिए दोनों पार्टियों की मिलीजुली रणनीति का हिस्सा है। हालांकि मायावती ने यह भी कहा है कि इसे गठबंधन न समझा जाए यह तो सिर्फ गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए है।

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