Thursday, 29 March 2018

आतंकी फंडिंग नेटवर्प का भंडाफोड़

उत्तर प्रदेश की एटीएस ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लश्कर-ए-तैयबा के नापाक इरादों में शामिल 10 मददगारों को धर दबोचा। इनमें से आठ को यूपी से और एक-एक को बिहार और मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया गया। यह सभी आतंकी संगठन के लिए पैसा जुटाने का काम करते थे। आईजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि गिरफ्तार युवकों में से प्रतापगढ़ का संजय सरोज, गोरखपुर का नसीम अहमद व रीवा (एमपी) का उमा प्रतापEिसह पाकिस्तान के लाहौर में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर से सीधे सम्पर्प में थे। यह पाकिस्तान से मिलने वाले निर्देशों पर फर्जी नामों से अलग-अलग बैंकों में खाते खोलते थे। इन खातों में पाकिस्तान, नेपाल और कतर से पैसे ट्रांसफर किए जाते थे। उसके बाद हैंडलर द्वारा बताए गए बैंक में फर्जी खोले गए खातों से ग्रीन कार्ड के जरिये या फिर कैश निकालकर पैसे ट्रांसफर कराए जाते थे। इसके बदले में इन लोगों को कमीशन मिलता था। आईजी ने बताया कि इंटेलीजेंस इनपुट व पूर्व की घटनाओं के आधार पर मामले की तफ्तीश की जा रही थी। गिरफ्तार नौ लोगों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है और रीवा के उमा प्रताप को सोमवार को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जाएगा। इन आरोपियों के पास से 52 लाख रुपए, बड़ी संख्या में डेबिट कार्ड, तीन लैपटॉप, आठ स्वैप मशीन,मैग्नेटिक कार्ड रीडर व एक विदेशी पिस्टल समेत कई अन्य सामान बरामद हुए हैं। गिरफ्तार लोगों के तार नेपाल से जुड़े होने की भी पुष्टि हुई है। इसमें नेपाल के कुछ नागरिक शामिल रहे हैं, जिनकी तलाश में बार्डर पर पुलिस को अलर्ट जारी कर दिया गया है। आतंकी संगठन से जुड़ा मास्टर माइंड कुशीनगर का रहने वाला है। यह अपना नाम बदलकर रहता था। मुशर्रफ अंसारी ने अपना नाम निखिल राय रखा था। यहां तक कि उसके दोस्त और करीबी भी उसे निखिल के नाम से ही जानते थे। आईजी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह इल्लीगल मनी फ्लो का रैकेट लग रहा था, लेकिन तफ्तीश में इसके तार सीधे टेरर फाइनेंसिंग गिरोह से जा मिले। उन्होंने बताया कि अभी तक सिर्प एक सिरा ही पकड़ में आता था, लेकिन इस मामले में पूरी चेन पकड़ी गई है। पता चला है कि वहां से पैसा आ रहा है और कहां जा रहा है। 50 से अधिक बैंक खातों के इस्तेमाल का पता चला है, जिनके जरिये एक करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ। इस टेरर फंडिंग गिरोह का पर्दाफाश कर यूपी की एटीएस बधाई की पात्र है। आतंकवाद में फंडिंग बहुत जरूरी होती है और इसको रोका जाए तो आतंकवाद खुद ही कम हो जाता है।

-अनिल नरेन्द्र

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