Tuesday 27 March 2018

समोसे में तो आलू रहेगा पर क्या राजनीति में रहेंगे लालू

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े एक और केस में भी सीबीआई अदालत ने शनिवार को अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद यादव को 14 साल की सजा सुनाई है। इस 14 साल की सजा होने के बाद लगभग तय हो गया है कि बिहार के समोसे में तो आलू रहेगा, लेकिन वहां की राजनीति में लालू नहीं होंगे। लालू प्रसाद को अब तक विभिन्न केसों में साढ़े 27 साल की सजा हो चुकी है और एक करोड़ रुपए का जुर्माना। 1996 में हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने लालू प्रसाद पर पहला केस दर्ज किया था। अभी भी एक-दो केस बचे हुए हैं। लालू बिना बिहार की राजनीति में अगले कुछ दिनों तक काफी बदलाव देखा जा सकता है। जहां तेजस्वी यादव के सामने लालू के बिना आरजेडी का कुनबा एक रखने के साथ इसे बढ़ाने की चुनौती होगी, वहीं एनडीए के सामने भी अपने ही घर में उठापटक के बीच कुनबे को एक रखने की चुनौती सामने आ गई है। लालू प्रसाद यादव को अब तक सबसे बड़ी सजा होने के बाद आरजेडी नेताओं ने तुरन्त कहा कि वे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। लेकिन फिलहाल जो केस की स्थिति है उस हिसाब से लालू प्रसाद का लंबे समय तक जेल से निकल पाना मुश्किल है। अभी भी इस केस में सजा मिलने के अलावा दो और केस में कोर्ट का फैसला आना है। उन सब में अगर लालू को सजा मिलती है तो सब में अलग-अलग सजा मिलेगी और सब में अलग-अलग जमानत लेनी होगी। इस सूरत में लालू प्रसाद को 2019 के आम चुनाव से पहले बेल मिलना बेहद कठिन है। अगर बेल मिली तो वह सुप्रीम कोर्ट से ही मिल सकती है। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या लालू औपचारिक रूप से पार्टी की कमान तेजस्वी यादव को सौंप देंगे? सूत्रों के अनुसार अब पार्टी की पसंद और मजबूरी तेजस्वी यादव हैं। वे उपचुनाव का टेस्ट भी पास कर चुके हैं, जिसमें आरजेडी अपनी दोनों सीटें जीतने में सफल रही थी। लेकिन लालू के सामने अभी तीन तरह की चुनौती है। पहली चुनौती अपनी पार्टी के अंदर सीनियर नेताओं मसलन रघुवंश प्रसाद सिंह, अब्दुल बारी सिद्दीकी की जैसों के साथ समीकरण बनाने की है। पिछले दिनों मनोज झा को राज्यसभा भेजकर तेजस्वी ने हालांकि संदेश दे दिया था कि उनका पार्टी पर नियंत्रण हो चुका है। लेकिन इसके बाद बड़ी चुनौती अपने कुनबे को बढ़ाने की है। गठबंधन की गाड़ी को संवारने की है। अब तक लालू यह काम निभाते रहे हैं। यह स्पेस तेजस्वी के लिए भरना आसान नहीं होगा। बता दें कि यह सजा किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में किसी पूर्व मुख्यमंत्री व मंत्री को हुई अब तक की सबसे बड़ी सजा है। लालू 69 वर्ष के हो गए हैं। लगता है कि उनका बुढ़ापा जेल में ही कटेगा।

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