Thursday 1 March 2018

माफी नहीं तो समझौता भी नहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट के मुख्य सचिव के आरोपों के बीच आम आदमी पार्टी के उत्तम नगर से आप विधायक नरेश बाल्यान का यह कहना कि काम न करने वाले अधिकारी की पिटाई होनी चाहिए निन्दनीय तो है ही बल्कि शर्मनाक भी है। इसका क्या यह मतलब निकाला जाए कि सीएम अरविन्द केजरीवाल के सरकारी आवास पर मुख्य सचिव से मारपीट अकस्मात हुई दुर्घटना नहीं थी। क्या इसे साजिश रचकर अंजाम दिया गया था? दिल्ली पुलिस ने पहले ही अदालत को बताया था कि मुख्यमंत्री के आवास पर रात 12 बजे आम आदमी पार्टी के विधायकों ने जिस तरह मुख्य सचिव पर हमला किया था, इसमें उनकी जान भी जा सकती थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंशु प्रकाश बड़ी मुश्किल से आप विधायकों के चंगुल से छूटकर भाग सके थे। दरअसल जिस तरह आधी रात को बैठक में आने के लिए उन्हें बार-बार फोन किया जा रहा था, वह सशंक्ति था। मगर यह अंदेशा फिर भी नहीं था कि उन पर यूं जानलेवा हमला किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने न तो सोमवार रात अंशु प्रकाश पर हो रहे हमले को रोकने की कोशिश की और न ही नरेश बाल्यान को टोका जब वह अधिकारियों को पीटने की बात कह रहे थे। क्या मुख्यमंत्री की चुप्पी उनके समर्थन के संकेत देती है? यह स्थिति दर्शाती है कि आप विधायक शालीनता खो चुके हैं और उनके नेता या कथित मार्गदर्शक उन्हें शालीनता की सीख देने के इच्छुक नहीं हैं। हम दिल्ली सरकार के अधिकारियों का भय और अपमान समझ सकते हैं। दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त फोरम ने उपराज्यपाल अनिल बैजल और पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से अपील की कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित हाथापाई के मामले में वे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करें। कर्मचारियों के संयुक्त फोरम की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में फोरम की प्रतिनिधि पूजा जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री घटना को नकार रहे हैं। वे षड्यंत्र का हिस्सा हैं, इसलिए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। फोरम ने सोमवार को हुई बैठक में इस विषय पर एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया है कि जब तक केजरीवाल और सिसोदिया विशेष तौर पर लिखित और सार्वजनिक माफी नहीं मांगते हैं व जब तक अधिकारियों की निजी सुरक्षा तथा सम्मान सुनिश्चित करने के लिए कदम नहीं उठाते, तब तक वे आप के मंत्रियों के साथ कामकाज में केवल लिखित संवाद का ही प्रयोग करेंगे। संयुक्त बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि अपनी गलती मानकर माफी मांगने के बजाय मुख्यमंत्री इसे नकार रहे हैं जो यह दिखाता है कि वे साजिश का हिस्सा थे। ऐसा नहीं कि सरकार और अधिकारियों में टकराव पहले नहीं हुआ। लेकिन जो स्थिति दिल्ली में पैदा हुई है वह न केवल खतरनाक ही है बल्कि चिन्ताजनक भी है। कई अधिकारियों ने दिल्ली सरकार से हटने की अर्जी दी है। हमारी राय में श्री अरविन्द केजरीवाल और श्री मनीष सिसोदिया को यह समझना चाहिए कि यह स्थिति न तो उनके हक में है और न ही दिल्लीवासियों के लिए। विकास का जो भी काम हो रहा था वह इस टकराव से प्रभावित होगा। सरकार और आप के वरिष्ठ लोगों को इस संकट का हल करने के लिए पहल करनी चाहिए। उन्हें अपने विधायकों को शालीनता बरतने की सलाह देते हुए अधिकारियों के साथ पैदा हुए तनाव को दूर करने के लिए ईमानदारी से आगे आकर गंभीर प्रयास करने चाहिए। इस विवाद को हल करने के लिए उपराज्यपाल भी भूमिका निभा सकते हैं।

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