Friday 9 October 2015

उस आम आदमी से 10 गुना वेतन होगा आप विधायकों का

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) आम आदमी के बूते पर राजनीति में स्वच्छता लाने के लिए, वीआईपी संस्कृति समाप्त करने के मुद्दों पर सत्ता में आई थी। पर पिछले नौ महीनों में अरविंद केजरीवाल अपने सारे वादों से मुकर गए और अपने लोगों, विधायकों, चुनिन्दा कार्यकर्ताओं की दीपावली मनाने पर जुटे हुए हैं। आज चुनिन्दा आप कार्यकर्ताओं को भारी वेतन, गाड़ी इत्यादि की सुविधा प्रदान की जा रही है। अब विधायकों का वेतन इत्यादि सुविधाएं बढ़ाने का सिलसिला चल रहा है। अगर आचारी समिति की सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गईं तो विधायकों के भत्तों में भारी इजाफा होगा। अगर यह सिफारिशें मानीं तो राजधानी के विधायकों का वेतन उस आम आदमी के मुकाबले 10 गुना हो जाएगा जिसकी दुहाई देकर केजरीवाल जीते थे। समिति ने मंगलवार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विधायकों का मासिक वेतन वर्तमान में 88 हजार रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर दो लाख 10 हजार रुपए प्रतिमाह करने की सिफारिश की है। 2014-15 के दौरान दिल्ली में प्रति व्यक्ति सालाना आय 2.41 लाख रुपए थी। इस हिसाब से यहां आम आदमी का औसत वेतन करीब 20 हजार रुपए है, जो विधायकों के प्रस्तावित वेतन से 10 गुना कम है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय समिति ने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को यह रिपोर्ट सौंपी है। विशेषज्ञ समिति ने यह भी सिफारिश की है कि नए वेतन-भत्ते लागू होने के बाद हर 12वें महीने मूल वेतन में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी की जाए। यह बढ़ोत्तरी 50 हजार पर ही जुड़ेगी। अर्थात अगले पांच सालों के दौरान आम जनता के इन प्रतिनिधियों के वेतन में 25 हजार रुपए की वृद्धि हो जाएगी। विधायकों के वेतन में वृद्धि की सिफारिश भले ही हो गई हो, लेकिन इसके लागू होने में अभी लंबा वक्त लग सकता है। दरअसल अभी एक लंबी प्रक्रिया के बाद ही विधायकों की पगार में बढ़ोत्तरी होगी। अभी तो यह सिफारिशें दिल्ली सरकार के पास भेजी जाएंगी। सरकार का वित्त विभाग इस पर अपनी राय देगा, जिसमें सरकार को यह  बताया जाएगा कि बढ़ोत्तरी से कितना अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। इसके बाद दिल्ली की कैबिनेट मुहर लगाकर इसे दिल्ली विधानसभा में वेतन एवं भत्ता संशोधन विधेयक 2015 के रूप में प्रस्तावित करेगी। विधानसभा से मंजूरी मिलने के बाद इसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय में भेजगी। वहां से लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिलेगी। फिर राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इसमें लंबा समय लग सकता है और सिफारिशों में भारी काट-छांट संभव है। देखें आगे क्या होता है? विधायकों के वेतन-भत्तों में बढ़ोत्तरी का असर विधानसभा के अन्य कर्मचारियों पर भी होगा। लंबा रिएक्शन होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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