Wednesday, 14 October 2015

सीरिया में पुतिन का जबरदस्त सियासी दांव

आए दिन खबरें आ रही हैं कि विभिन्न देशों में कई युवाओं को वहां की सरकारों ने रोका है जो चरम कट्टरपंथी समूह इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए सीरिया जाने की कोशिश कर रहे थे। सीरिया में इस्लामिक स्टेट और राष्ट्रपति अल बशर की सेना में जबरदस्त संघर्ष चल रहा है। सीरिया और इराक में जिस रफ्तार से आईएस बढ़ रहा था उससे लगता था कि वह बहुत जल्द ही अपना कब्जा पूरे क्षेत्र में जमा लेगा और एक साल से अमेरिका और यूरोपीय साथियों ने इन्हें रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया। रोकने का ड्रामा करते रहे और अंदरखाते उन्हें पैसा व हथियार सप्लाई करते रहे। धन्य हो रूस का जिन्होंने ताबड़तोड़ हवाई हमले कर आईएस की बढ़ती रफ्तार पर रोक लगाने की कोशिश की है। रूस के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के उपप्रमुख एंड्री करतापोलाव ने शनिवार को कहाöहम न केवल हवाई हमले जारी रखेंगे बल्कि उन्हें तेज भी करेंगे। एंड्री ने कहा कि आईएस के धावा बोलने वाले ठिकाने, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री वाले अड्डे, औजार मुहैया कराने वाली जगह और आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर मुख्य से निशाने पर हैं। उन्होंने कहा कि रूस के विमानों ने सतत हवाई हमलों के दौरान 60 से ज्यादा अभियान चलाए हैं और आईएस के 40 फीसद से ज्यादा ठिकानों को नष्ट कर दिया है। इन हवाई हमलों से सीरिया के सैनिकों में भी नया जोश आ गया है और वह आईएस के खिलाफ जमीनी लड़ाई में आक्रमकता दिखाने लगे हैं। पिछले दिनों रूस ने कैस्पियन सी से 26 मिसाइलें सीरिया में आईएस ठिकानों पर दागीं। एक शिप से इन मिसाइलों ने लगभग 1500 किलोमीटर दूर ठिकानों पर हमला किया। इस हमले से रूस ने यह भी साबित कर दिया कि रूस चुप बैठकर तमाशा नहीं देखता। उसने इन मिसाइलों को 1500 किलोमीटर दूर दाग कर अमेरिका व यूरोप को भी हिलाकर रख दिया है। सोवियत संघ के विघटन के बाद यह पहला मौका है जब रूस ने इस तरह अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया है। रूस ने अपनी खोई प्रतिष्ठा को भी इस झटके में पुन हासिल करने का प्रयास किया है। यूरोप तो रूसी हमलों से हिल गया है। अमेरिका अब खुलकर रूसी हस्तक्षेप का विरोध कर रहा है। उनके दोहरे मापदंडों को जितनी प्रभावी ढंग से पुतिन ने एक्सपोज किया उससे अमेरिका की बौखलाहट समझ सकते हैं। दूसरी ओर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिए मध्य पूर्व में रूसी सैन्य हस्तक्षेप आवश्यक है। राष्ट्रपति असद ने ईरान के एक सरकारी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि अगर इस क्षेत्र में आतंकवाद (आईएस) को खत्म करना है तो सीरिया को रूस, ईरान और इराक के साथ होना पड़ेगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरा क्षेत्र नष्ट हो जाएगा। इस गठबंधन की सफलता की पूरी संभावना है। असद ने सीरिया और इराक में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा हो रहे हवाई हमलों की भी निन्दा की। सीरिया में रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच अमेरिका ने संघर्षग्रस्त क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट के खात्मे के लिए अपने नेतृत्व में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के मॉस्को को हस्तक्षेप नहीं करने के लिए चेताया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रपति ओबामा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रूस को 65 सदस्यों वाले उस अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन में हस्तक्षेप से बचना चाहिए क्योंकि यह उलटा आईएस को मजबूत कर रहे हैं। अर्नेस्ट ने कहा कि रूसी सेना के ज्यादातर हवाई हमले उन इलाकों में किए जा रहे हैं जहां पर आईएस की मौजूदगी कम है या नहीं के बराबर है। रूस, ईरान और इराक एक खेमे में है और अमेरिका व उसके सहयोगी दूसरे खेमे में हैं। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सीरियाई घरेलू जंग में मॉस्को के कूद पड़ने से हालात और ज्यादा उलझ गए हैं। रूस सीरिया में अपनी पकड़ दिनोंदिन मजबूत करता जा रहा है और अमेरिका, नॉटो समेत पूरी विश्व बिरादरी बेबस तमाशाई बनी हुई है। ब्लादिमीर पुतिन के पास सीरिया को लेकर यकीनन एक विस्तृत रणनीति है। कुछ जानकारों का कहना है कि सीरिया में पुतिन की दखलंदाजी के पीछे दरअसल घरेलू दबाव है, क्योंकि तेल की घटी कीमतों और क्रीमिया की घटना के बाद रूस के खिलाफ लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण मॉस्को की माली हालत पतली हो गई है या फिर पुतिन यूकेन में  बढ़ते असंतोष से अपनी जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि अरब देश रूसी हवाई हमलों पर बिल्कुल खामोशी अख्तियार किए हुए है। उनकी चुप्पी की वजह यह भी हो सकती है कि वे भ्रम की स्थिति में हो क्योंकि सीरिया में रूस ने ऐसा दांव खेला है जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की हो।

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